@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
“कैग की वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2021-22 मे आडिट रिपोर्ट पर चौकानें वाले तथ्य सामने आए है। मौरम-बालू ढुलाई को बड़े वाहनों की जगह खनिज विभाग ने बालू चोरी करते ई-रिक्शा, स्कूटर,एम्बुलेंस तक को रायल्टी प्रपत्र एमएम 11 / रवन्ना जारी किया है। कुल 148 पेज की इस डिटेल अंग्रेजी रिपोर्ट को हाल ही मे विधानसभा सत्र के दरम्यान रखा गया। जिसमें यूपी के 17 ज़िलों मे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने बुंदेलखंड के हमीरपुर क्षेत्र के सरीला, चन्दवारी और बाँदा के अछरौड, दांदौ-खादर मे बड़े स्तर पर अवैध खनन पाया है।”
बाँदा। उत्तरप्रदेश के विंध्याचल पट्टी पर लाल मौरम का अवैध खनन वैसे तो कोई नया मुद्दा अब नही है। बावजूद इसके भारत सरकार के अधीनस्थ कैग / नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अपनी ऑडिट विश्लेषण रिपोर्ट मे गाहेबगाहे यहां व्यापक स्तर पर हो रहे प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, सरकार की राजस्व चोरी व अवैध खनन को उजागर करता रहता है। अभी 3 माह वर्षाकाल की बाधित अवधि चल रही है तो मौरम ठेकेदार व छुटभैये नेता मौरम-बालू के डंप / भण्डारण से काम चला रहें है। जुलाई से सितंबर तक यह बाधित अवधि चलती है। अक्टूबर माह से फिर मौरम पट्टेधारक खण्ड क्षेत्रों मे खनन करतें है। लेकिन मौरम भंडारण मे भी खनिज विभाग और तहसील के अधिकारियों को साधकर अवैध खनन से रात्रि मे अवैध भंडारण होता है।
बालू के डंप दिन मे खाली होते है और रात्रि को पुनः वैसे ही भर दिये जाते है। उधर ई-रिक्शा वाले सालभर बिना रायल्टी प्रशासन के रहमोकरम से अवैध लाल मौरम ढोते रहते है। इस क्रम मे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वर्ष 2016, 2017, 2018, 2021-22 की ऑडिट रिपोर्ट मे बुंदेलखंड परिक्षेत्र मे बड़े पैमाने पर नदियों मे अवैध खनन पाया है। कैग ने उत्तरप्रदेश के 17 ज़िलों मे यह अन्वेषण अपने ज़मीनी ऑडिट रिपोर्ट को जीपीएस व सैटलाइट तस्वीरों से संकलित किया है। उल्लेखनीय है कि 148 पेज की इस रिपोर्ट मे सैटलाइट और जीपीएस तस्वीर भी है। उसमें स्पष्ट दर्शाया गया है कि कैसे एनजीटी व सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश को धता बतलाकर खनिज प्रशासन ने नदियों के कैचमेंट क्षेत्र व जलधारा मे खनन पट्टे दिये है। कैग ने रिपोर्ट मे उत्तरप्रदेश सरकार को इस भ्रस्टाचार से राजस्व क्षति की बात भी लिखी है। इस रिपोर्ट मे मौरम खदानों से इतर पहाड़ों मे अवैध खनन व बिना पर्यावरण एनओसी / भूगर्भीय विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी हुए खनन प्रक्रिया के संचालन की बात कही गई है।
बाँदा मे 45.48 हेक्टेयर तो हमीरपुर मे 6.18 हेक्टेयर अवैध खनन –
कैग की रिपोर्ट मे चित्रकूट मंडल के बाँदा मे केन नदी पर 45.48 हेक्टेयर अवैध खनन पाया गया है। यह अछरौड-चट-चटगन-मरौली क्षेत्र मे मिला है। जहां नदी की जलधारा ही मोड़ दी गई है। वहीं हमीरपुर के सरीला और बेरी इलाके मे 6.18 हेक्टेयर अवैध खनन मिला है। काबिलेगौर है कि इस रिपोर्ट मे बाँदा के पैलानी, नरैनी, तिंदवारी, बबेरू तरफ अवैध खनन बताया गया है। ओवरलोडिंग परिवहन से अवैध खनन की पुष्टि हुई है। खनिज ढोने के परमिट जबकिं राजधानी लखनऊ से मिलते है। किंतु ई-रिक्शा,एम्बुलेंस और स्कूटर तक के नम्बर / टेम्पर्ड प्लेट पर परिवहन दर्शाए गए है। बाँदा, चित्रकूट, हमीरपुर के अतिरिक्त फतेहपुर, कानपुर देहात, कौशांबी,प्रयागराज, बुलंदशहर, सहारनपुर और संभल ज़िले भी ऑडिट मे शामिल है। इसके पूर्व के वर्षों मे भी कैग ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट से चेताया था लेकिन यूपी के ब्यूरोक्रेटस / अफसरों मे खनिज विभाग ने शैलेन्द्र सिंह पटेल, सुभाष सिंह, बाँदा के राजरंजन जैसे अधिकारी सम्मानित ओहदों पर बैठाए है जिन्होंने केन, यमुना, बाघे, बेतवा, मंदाकिनी नदियों मे मौरम माफियाओं और अवैध खनन के रक्तबीजों का पूरा नेक्सेस पनपा रखा है। बाँदा मे वर्ष 2025 के खनन सत्र मे पैलानी के ग्राम सांडी मे खंण्ड 77 पर मध्यप्रदेश के मल्होत्रा ग्रुप की न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स कम्पनी की कारगुजारियों को सबने देखा है। वहीं एमपी से लगे रामपुर, स्योढ़ा तक ओवरलोडिंग का जाल बंसल की बदौलत फैला हुआ था। अन्य खदानों मे भी बड़े स्तर पर अवैध कारोबार हुआ है। जिन्होंने आवाज उठाई उन्हें प्रशासन की सांठगांठ से टारगेट किया गया।
विडंबना है कि आगामी अक्टूबर माह से भी यही होने वाला है जब खनिज विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय ( पर्यावरण एनओसी जल और वायु) व भूगर्भ विभाग ( ग्राउंड वाटर पर खनन की एनओसी) यह तीनों सूरदास बनकर बेतरतीब अवैध खनन करवाते है। हल्ला मचने पर जुर्माना की फौरी व दिखावटी कार्यवाही अमल होती है। कैग की यह रिपोर्ट इन तथ्यों को संबल देती है।