राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को बचपन से पालने वाली भाभी विद्यावती जब परिवार संग मिलने पहुंचीं तो लल्ला (राष्ट्रपति) की पसंद को नहीं भूलीं। उनके लिए वह अपने हाथ से पेड़ा बनाकर लाईं, जो झींझक स्टेशन पर उन्हें भेंट किया। राष्ट्रपति ने पेड़े अपनी ट्रेन में रखवा दिए और बाद में खाने को कहा। दोनों ने एक-दूसरे के सेहत का हाल भी लिया। भाई प्यारेलाल व रामस्वरूप और भतीजे दीपक ने भी उनका हालचाल पूछा।
अपनों तक न पहुंचने का छलका दर्द
चार साल तक अपनों के बीच न पहुंच पाने का दर्द आखिर राष्ट्रपति की बातों में छलक ही गया। अपने कार्यक्रम में होने वाले भारी भरकम खर्च को बचाने के लिए उन्होंने यहां न आने की बात कहकर लोगों को सफाई दी। बोले, मुझसे किसी ने कहा कि यहां पर एक घंटे के लिए आ जाइए, आपके लिए कौन सी बड़ी बात है। कहने में तो यह आसान लगता है, लेकिन इसके पीछे भारी भरकम खर्च आता है, क्योंकि इस पद के पीछे एक मर्यादा है। मैंने जब इसे समझा तो पता चला कि कहीं जाने पर 60 से 70 लाख रुपये खर्च आता है। यह रुपये आपके और हमारे हैं। जो हम टैक्स देते हैं तो इसे ऐसे खर्च क्यों करें। अगर इन रुपये को यहां विकास कार्य में लगा दिया जाए तो कितना विकास होगा। यह आपको सोचना चाहिए।
विद्यावती बेटी हेमलता व अन्य परिवारीजन संग यहां पहुंचीं थीं। अपने लल्ला से मिलने की बेताबी उनके अंदर पहले से दिख रही थी। जैसे ही ट्रेन आने का पता चला वह बेहद खुश हो गईं। जब राष्ट्रपति परिवार संग उनके पास अभिवादन करने आए तो दोनों ने एक दूसरे के सेहत का हाल लिया। भतीजे दीपक के साथ आए दोस्तों से परिचय लिया। राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविन्द व बेटी स्वाति ने भी परिवारीजन का हाल पूछा। दीपक ने झींझक क्षेत्र में बस अड्डा समेत अन्य विकास कार्य कराने के लिए कहा। राष्ट्रपति सभी का हाल लेकर मंच की ओर बढ़ गए।