पहला चरण तय करेगा असम में अगली सरकार का भविष्य, भाजपा और कांग्रेस गठबंधन ने ताकत झोंकी

असम में पहले चरण के मतदान से ही भविष्य की सरकार का संकेत मिल जाएगा। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस ने पहले चरण में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। पहले चरण में अपर असम की 47 सीटों पर मतदान है और सीएए के खिलाफ सबसे अधिक प्रदर्शन यहीं हुए थे। भाजपा इस अहम चरण में कांग्रेस गठबंधन में शामिल बदरुद्दीन अजमल को मुद्दा बनाकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस सीएए को मुद्दा बनाकर भाजपा को घेरने में जुटी है। सीएए के खिलाफ आई उदासीनता: पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहले चरण की 47 सीटों में 35 पर जीत हासिल की थी और इसकी मदद से ही वह राज्य की 126 विधानसभा सीटों में 58 जीतने में सफल रही थी। इस बार अपर असम क्षेत्र में आने वाली इन सीटों पर भाजपा के सामने चुनौती कठिन है। 

सीएए के खिलाफ हुए तेज विरोध प्रदर्शनों के कारण यहां भाजपा को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन अब राहत की बात यह है कि एक साल बाद सीएए के खिलाफ लोगों में नाराजगी न सिर्फ कम हुई है, बल्कि उदासीनता की स्थिति भी आ गई है। अपर असम के आम लोग अब सीएए को बड़ा मुद्दा नहीं मान रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस सीएए के मुद्दे को चर्चा में लाकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के घोषणापत्र में सीएए को शामिल करना इसी रणनीति का हिस्सा है। 

सीएए विरोधी वोट बंटा तो कांग्रेस को नुकसान

सीएए के विरोधी वोटों को अपनी तरफ खींचने में कांग्रेस के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सीएए विरोध के केंद्र में रहे अखिल गोगोई रायजोर दल के नाम से अपनी पार्टी बनाकर खुद चुनावी मैदान में हैं। रायजोर दल ने सीएए के मुद्दे को लेकर ही नवगठित असम जातीय परिषद के साथ गठबंधन भी किया है। जाहिर है जेल में रहते चुनावी मैदान में उतरे अखिल गोगोई सीएए विरोधी वोटों को समेट कर कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकते हैं। सीएए विरोधी वोटों के बंटने का सीधा फायदा भाजपा को होगा। 

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भाजपा उठा रही घुसपैठ का मुद्दा

कांग्रेस के लिए दूसरी बड़ी समस्या अपर असम में बदरुद्दीन अजमल के खिलाफ बना माहौल है। अपर असम में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी कम है, पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ सबसे अधिक आक्रोश यहीं है। सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के पीछे भी यही आशंका जताई जा रही थी कि इससे करोड़ों हिंदू बांग्लादेशी असम आकर नागरिकता ले लेंगे। इससे असम के मूल निवासी अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक बनकर रह जाएंगे। भाजपा बदरुद्दीन अजमल का मुद्दा जोर शोर से उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत भाजपा के सभी बड़े नेता रैलियों में जनता को आगाह कर रहे हैं कि बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ और कांग्रेस के गठबंधन के सत्ता में आने के बाद असम में घुसपैठ को खुली छूट मिल जाएगी। यही कारण है कि कांग्रेस ने पहले चरण के चुनाव तक बदरुद्दीन अजमल को चुप रहने को कहा है और चुनावी दौर में भी अजमल का कोई भी बयान मीडिया में नहीं आ रहा है। 

लोअर असम में भाजपा को हो सकता नुकसान

कांग्रेस और बदरुद्दीन अजमल के गठबंधन से भाजपा को लोअर असम और बराक घाटी में 10 सीटों का नुकसान तय माना जा रहा है और भाजपा नेता इसे स्वीकार भी कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्व सरमा के अनुसार इस गठबंधन के कारण कई सीटों का समीकरण बदल जाएगा और भाजपा को अपनी सीटें गंवानी भी पड़ेंगी। बदरुद्दीन अजमल और कांग्रेस के गठबंधन से लोअर असम और बराक घाटी में होने वाले नुकसान की भरपाई भाजपा अपर असम में पहले चरण के चुनाव में पिछली बार की तुलना में अधिक सीटें जीतकर करना चाहती है। 

हिमंता बिस्व सरमा इस बार पहले चरण में पिछली बार की 35 सीटों की तुलना में 42-43 सीटें जीतने का दावा करते हैं। यदि भाजपा पहले चरण में सात-आठ सीटें बढ़ाने में सफल होती है तो कुल मिलाकर नुकसान दो-तीन सीटों का ही होगा और भाजपा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग पिछली बार जितनी सीटें जीतकर सरकार बनाने की स्थिति में होगी। लेकिन अपर असम में खराब प्रदर्शन की भरपाई करने का भाजपा को आगे मौका नहीं मिलेगा और गठबंधन के साथ कांग्रेस बहुमत के लिए जरूरी 64 सीटों के जादुई आंकड़े को पार कर सकती है।

ये  है असम का रण

-सीएए मुद्दे के कारण पहले चरण की 47 सीटें कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए बेहद अहम, इन सीटों पर ही सबसे अधिक हुआ सीएए के खिलाफ प्रदर्शन 

– पिछली बार भाजपा ने इन 47 सीटों में से 35 जीती थीं, इस बार 42-43 सीटें जीतने का लक्ष्य

-लोअर असम में नुकसान की आशंका के कारण भाजपा अपर असम में पहले चरण की सीटों पर लगा रही अधिक ताकत

-पहले चरण में सीएए के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही कांग्रेस, भाजपा ने कांग्रेस और अजमल के गठबंधन से घुसपैठ की आशंका को बनाया है मुद्दा 

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