@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
इमरान अली राजू, अंसार, बंसल,पहलवान सरीखों ने केन की छाती को पोकलैंड से रौंदने की ठानी, वाह रे यूपी सरकार की मेहरबानी….
- बाँदा मे इस वक्त दो दर्जन मौरम खदानों पर सफेदपोश ठेकेदारों और नेताओं का पट्टा है।
- हर मौरम खदान पर पर्यावरण जल-वायु एनओसी समेत खनिज लीज शर्तों व यूपी खनिज एक्ट नियमों की खुलेआम अनदेखी है।
- मौरम पट्टेधारक ने अवैध खनन की खबरों को रोकने के लिए मीडिया को महीना फिक्स कर रखा है। वहीं खान अधिकारी से ब्यूरोक्रेसी तक सिस्टम सेट है।
- गाहेबगाहे अवैध खनन की खबरें अखबारों और सोशल मीडिया का हिस्सा बनी तो गले तक रुपया भर दिया जाता है। अथवा फौरी कार्यवाही पर जुर्माना होता है लेकिन मौरम माफिया पर एफआईआर और ब्लैकलिस्ट का एक्शन अपवाद की बात है।
बाँदा। चित्रकूट मंडल मुख्यालय का बाँदा यहां की केन नदी की पानीदारी पर आश्रित है। शहरी क्षेत्रों मे पाइपलाइन से पेयजलापूर्ति या तो सरकारी नलकूपों से होती है। या फिर केन नदी के जल को फिल्टर करके बाम्बेश्वर पहाड़ के ऊपर बने पानी फिल्टर प्लांट से शहरी आबादी को पानी मिलता है। गर्मी मे केन नदी पर पेयजलापूर्ति मुकम्मल करने को बालू भरी बोरियों से सिकुड़ी जलधारा पर जनता को पीने का पानी मुनासिब होता है। उत्तरप्रदेश सरकार ने बाँदा मे इस वक्त दो दर्जन लाल मौरम-बालू के खंड ठेकेदारों को खनन का पट्टा दिया है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करेंगे तो बाँदा-चित्रकूट कर्वी ब्लाक क्षेत्र क्रिटिकल जोन मे है। साथ ही रामनगर,पहाड़ी,मऊ सेमी क्रिटिकल जोन पर है। वहीं बाँदा मे बबेरू, जसपुरा ( खनन प्रभावित क्षेत्र ),तिंदवारी और नरैनी सेमी क्रिटिकल जोन मे जलसंकट से जूझ रहें है।
बाँदा के शहरी क्षेत्र मे 165 कुएं और 26 तालाब थे आज कूड़ादान है-
विकास की बदरंग बयार ने सरकारी जल गोष्ठियों की रामलीला मे प्राकृतिक जलस्रोत कैसे मिटाए उसकी नजीर के लिए शहरी क्षेत्र के 165 कुओं और 26 तालाबों की दुर्दशा को ग्राउंड पर देखना लाजमी है। विगत कुछ वर्षों मे शहर के 11 मुख्य तालाब को भूमाफिया या तो कब्जा कर लिए या फिर कूड़ादान बना दिया। उधर बाँदा मे गत 5 साल से धरतीपुत्र बनकर जमे मुख्य विकास अधिकारी पद्मश्री उमाशंकर पांडेय के साथ जल संरक्षण गोष्ठियों का दौर चला रहें है। बावजूद इसके आज तक एक भी सकारात्मक गोष्ठी मौरम ठेकेदारों को साथ लेकर विकास भवन के सभागार या ग्रामीण खदान क्षेत्रों मे आयोजित नही की गई। राजस्व निरीक्षक और भूमि संरक्षण विभाग के आंकड़े देखेंगे तो ज़िले मे 866 तालाब बचे है लेकिन अमृत सरोवर मे 405 खोजने पर बमुश्किल मिल सके। वहीं 4250 कुओं और पांच नदियों की स्थिति बेहद दयनीय है। इन नदियों मे मुख्य केन नदी, यमुना, चंद्रावल, बाघेन, नरैनी क्षेत्र की रंज नदी शामिल है। लेकिन इनके गर्भगृह को दो दर्जन मौरम खदानों ने रातदिन हैबिबेट प्रतिबंधित अर्थ मूविंग पोकलैंड और लिफ्टर मशीनों से मृत्युदंड देने का वचन जैसे प्रधानमंत्री मोदी जी को ‘मन की बात’ कार्यक्रम से अभिप्रेरित होकर दिया है।
बाँदा मे चल रही यह मौरम खदान-
इस वित्तीय वर्ष मे अक्टूबर माह से बाँदा मे संचालित लाल मौरम खदान की संख्या दो दर्जन के लगभग है। जिसमें थाना मटौंध अंतर्गत मरौली खंड 03, मरौली खंड 1, मरौली खंड 05, गिरवां क्षेत्र की सिल्पाही खदान,पैलानी क्षेत्र से ग्राम साड़ी की खंड 77, खपटिहा कला, पैलानी, कनवारा क्षेत्र से बाईपास की सोना खदान, बिसंडा क्षेत्र से चरका खदान, मर्का मौरम खदान ( पूर्व कांग्रेसी विधायक / वर्तमान बीजेपी नेता मौरम कारोबारी दलजीत सिंह एंड कम्पनी), जसपुरा क्षेत्र की मड़ौली मौरम खदान, चिल्ला की सादीकमदनपुर खदान ( अंसार गुट ), हटेटी पुरवा मौरम खदान,
नरैनी क्षेत्र की बिल्हरका, निहालपुर खदान, तिंदवारी से बेंदा घाट खदान, देहात कोतवाली की पथरी खदान खंड 3 शामिल है।
सादिक मदनपुर के अंसार से मरौली के इमरान अली राजू तक गरजती पोकलैंड, संजीव गुप्ता को नही जुर्माने का खौफ-
बाँदा खान अधिकारी राज रंजन को आये करीब 2 माह से ज्यादा हो रहें है। लेकिन वह भी पूर्व खान अधिकारी की रस्मों का अनुपालन करते है। गाहेबगाहे अवैध खनन की खबरें वायरल होने पर फौरी जुर्माना की कार्यवाही करके इतिश्री हो जाती है। खान अधिकारी के द्वारा अधिरोपित अर्थदंड की विज्ञप्ति बानगी है कि हो क्या रहा है। विगत अक्टूबर माह से अब तक करोडों रुपया अलग -अलग खदानों पर जुर्माना हुआ लेकिन जुर्माना झेलने के अभ्यस्त मरौली वाले संजीव गुप्ता से मरौली खंड एक के समाजवादी पूर्व जिलाध्यक्ष इमरान अली राजू तक किसी की खदान ब्लैकलिस्ट नही की गई। जुर्माना भी भरता कौन है यदि जुर्माना दण्ड होता तो फिर 24 घण्टे सूर्यास्त के बाद भी 3 मीटर से ज्यादा लाल मौरम का उत्खनन भला अवैध गतिविधियों से कैसे मयस्सर होता ? यदि जुर्माना ही भयाक्रांत करता माफियाओं और बालू ठेकेदारों को तो पथरी खण्ड पर लगातार 3 बार जुर्माना हुआ क्या खान अधिकारी या प्रशासन की गरिमा पट्टेधारक ने बचा ली है ?
अर्थ मूविंग हैबिबेट प्रतिबंधित पोकलैंड से ताबड़तोड़ अवैध खनन केन की बीच जलधारा से, किसानों की निजी भूमि / ग्राम सभा से सांडी खंड 77 मे बंसल का बाहुबल नदी हत्या का जिम्मेदार है। गले तक स्थानीय मीडिया को रुपया भरकर ( प्रति पत्रकार बैनर मुताबिक 3 से 5 हजार लगभग 30 से 60 हजार महीना ) दो दर्जन मौरम खदान भुगतान कर रहीं है। वहीं अफसरों और खनिज विभाग को मोटा माल दिया जाता है।
मुख्यमंत्री योगी जी और प्रधानमंत्री के जल संरक्षण संकल्प पर पानी-
बाँदा खान अधिकारी एवं उनकी मातहत टीम सादिक मदनपुर के मौरम माफिया अंसार के तक्केबाज नही देख पाती है। वह इस क्षेत्र मे लगा वह बोर्ड भी नजरअंदाज करती है जिस पर लिखा है ‘यहां भारी वाहन का प्रवेश प्रतिबंधित है।’ हिमाकत देखिए अंसार के गुर्गे बोर्ड उखाड़ कर फेंक दिए है। वहीं सांडी खंड 77 मार्ग पर वनविभाग का बोर्ड है जिसमें लिखा है ‘100 मीटर की दूरी तक भारी वाहन निषेध है।’ लेकिन क्या मजाल जो कोई ठेकेदारों और माफियाओं पर बुलडोजर कार्यवाही कर सके। क्योंकि उन्हें तो खुद केन नदी की सूखी छाती पर बाँदा की जनता को सुखाड़, जकसंकट,पलायन का नासूर देने की नैतिक ज़िम्मेदारी सौंप दी गई है। कमोबेश चित्रकूट की राजापुर क्षेत्र मे यमुना का हाल भी वैसा है जैसा हमीरपुर के मौरम माफियाओं ने नदियों के पर मंडराते खतरों से मौरम रक्तबीजों के साथ चौतरफा कहर की शक्ल मे बरपा रखा है।
खनन के क्या है मानक-
नदी कैचमेंट क्षेत्र मे पोकलैंड से खनन वर्जित है। नदी मे जहां कम पानी है खनन नही होगा। नदी की जलधारा पर 3 मीटर से ज्यादा खनन नही होगा ताकि जलीय जीवों की सुरक्षा बनी रहे और पर्यावरण नुकसान न हो। सूर्यास्त के बाद खनन नही होगा,धर्मकांटा के सीसीटीवी से गुजरते परिवहन ओवरलोडिंग नही करेंगे। पर्यावरण जल-वायु एनओसी का सख्ती से पालन किया जाएगा। लेकिन ज़िले का क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग कुंभकर्ण के अवतार पर बाँदा मे विराजमान है तब कार्यवाही करेगा कौन ???