चिकित्सा जगत में वांते पाबो को मिला नोबेल पुरस्कार,' जीनोम सिक्वेंसिंग ' पर किया है रिसर्च | Nobel Prize 2022: | Soochana Sansar

चिकित्सा जगत में वांते पाबो को मिला नोबेल पुरस्कार,’ जीनोम सिक्वेंसिंग ‘ पर किया है रिसर्च | Nobel Prize 2022:

स्टाकहोम। चिकित्सा जगत में अपनी खोजों के लिए वैज्ञानिक वांते पाबो ने नोबल पुरस्कार का सम्मान हासिल कर लिया है। उन्होंने विलुप्त मानव प्रजाति और मानव उत्पत्ति से संबंधित जीनोम के लिए रिसर्च किया था। इस पुरस्कार को देने वाली कमेटी ने सोमवार को यह जानकारी दी। विज्ञान की दुनिया में यह पुरस्कार सबसे अधिक सम्मान वाला है। इसे स्वीडिश कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली ने दिया। इस पुरस्कार के तहत 10 मिलियन क्रोनर (स्वीडिश करेंसी) (करीब 8.5 करोड़ रुपये) दिए गए। इस साल दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत आज, 3 अक्टूबर से की गई है।

नोबल पा अभिभूत हैं पाबो

चिकित्सा जगत के लिए नोबेल कमेटी के सेक्रेटरी थामस पर्लमन ने बताया कि इस पुरस्कार को पा पाबो हैरान रह गए, उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। पाबो के पिता बायोकेमिस्ट सुने बर्गस्ट्राज्म भी नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं।पिछले साल का मेडिसीन पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड जुलियस और आर्डम पैटापोशन को मिला था। इन्होंने मानव त्वचा में रिसेप्टर की खोज की थी। ये रिसेप्टर तापमान और छुअन के अहसास के अलावा शारीरिक असर को नर्व इंपल्स में बदलने की क्षमता रखते हैं। इससे पहले इस क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार को जीतने वाले प्रसिद्ध रिसर्चर रहे हैं। इनमें 1945 का पुरस्कार जीतने वाले अलेक्जेंडर फ्लेमिंग हैं, जिन्होंने पेनिसिलिन की खोज की थी। इसके अलावा ट्यूबरकुलोसिस पर इंवेस्टीगेशन करने वाले राबर्ट कोच को 1905 में इस पुरस्कार से नवाजा गया था।

उपलब्धियां-

  • लुप्त मानव जाति और आधुनिक मानव जाति के बीच लिंक की तलाश के लिए इन्होंने नीअंडरथल जीनोम (Neanderthal genome) की सीक्वेंसिंग पर काम किया
  • पहले से मौजूद अज्ञात मानव प्रजाति डेनिसोवंस की मौजूदगी का लगाया पता
  • साइबेरिया में मिले 40,000 साल पुरानी अंगुली की हड्डी के टुकड़ों पर किया था रिसर्च

स्वीडन के उद्योगपति अल्फ्रेड नोबल की वसीयत में नोबेल पुरस्कार का जिक्र था। उनकी पांचवीं पुण्यतिथि पर 1901 में पहली बार यह पुरस्कार दिया गया था। शुरुआत में यह पुरस्कार विज्ञान, साहित्य और शांति के लिए ही दिया गया। बाद में अर्थ जगत में भी इस पुरस्कार की शुरुआत की गई।

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