उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सातवें और आखिरी चरण के सियासी जंग का मैदान पूर्वांचल बन गया है. अंतिम चरण में यूपी की 13 सीटों पर 19 मई को वोटिंग है. ये सभी सीटें पूर्वांचल इलाके की हैं. यूपी की जिन 13 सीटों में से आधी सीटें ऐसी हैं जहां दलबदलू के ताल ठोकने से राजनीतिक दलों के समीकरण बिड़ते हुए नजर आ रहे हैं. बागियों के बगावत से हर दल को जूझना पड़ रहा है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती सपा-बसपा गठबंधन के सामने है.
पूर्वांचल की देवरिया सीट पर कांग्रेस से चुनावी मैदान में उतरे नियाज अहमद गठबंधन के सामने बड़ी मुसीबत बने हुए है. इस सीट पर बसपा से उतरे विनोद जायसवाल के लिए मुस्लिम मतों को साधने में सबसे बड़ी बाधा नियाज अहमद बने हुए हैं. नियाज अहमद ने पिछला लोकसभा चुनाव इसी सीट से बसपा से उम्मीदवार थे, पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया तो बगावत कर कांग्रेस का दामन थामकर मैदान में ताल ठोक रहे हैं.
घोसी लोकसभा सीट पर भी ऐसा ही कुछ नजारा है. इस सीट पर कांग्रेस से उतरे बालकृष्ण चौहान गठबंधन के लिए सिरदर्द बन हुए हैं. बालकृष्ण चौहान ने पिछला लोकसभा चुनाव बसपा से मैदान में उतरे थे, इस बार पार्टी ने अतुल राय को प्रत्याशी बनाया है. इसी के चलते बालकृष्ण चौहान ने बसपा से बगावत कर कांग्रेस का दामन थामकर चुनावी रणभूमि में उतरने से गठबंधन की राह मुश्किलों भरी हो गई है.
रार्बट्सगंज लोकसभा सीट पर अपना दल से पकौड़ी लाल चुनावी मैदान में उतरे हैं. पकौड़ी लाल ने 2014 में इसी सीट से सपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे. इस बार अनुप्रिया पटेल ने उन्हें अपने खेमे में मिलाया और टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया है.
ऐसे ही चंदौली लोकसभा सीट पर गठबंधन का खेल कांग्रेस उम्मीदवार शिवकन्या कुशवाहा बिगाड़ती हुई नजर आ रही हैं. शिवकन्या ने 2014 में गाजीपुर लोकसभा सीट से सपा उम्मीदवार थी, लेकिन मनोज सिन्हा से जीत नहीं सकी थी. शिवकन्या बसपा के दिग्गज नेता रहे बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी हैं. उनके उतरने से गठबंधन के समीकरण बिगड़ सकते हैं.
वाराणसी लोकसभा सीट पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ सपा ने शालिनी यादव को प्रत्याशी बनाया है. हालांकि पार्टी ने शालिनी को अपना प्रत्याशी तब घोषित किया जब सेना के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन पत्र खारिज हो गया. शालिनी कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं, इससे पहले 2017 में उन्होंने कांग्रेस के चुनाव निशान पर मेयर का चुनाव लड़ा था और एक लाख से ज्यादा वोट पाने में सफल रही थी. सपा से उतरकर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय के लिए परेशानी खड़ी कर दी हैं. इसी तरह से गोरखपुर सीट पर बीजेपी से उतरे रवि किशन ने 2014 का लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जौनपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़े थे.