आलोक पुराणिकटिक-टॉक सिर्फ घड़ी की आवाज नहीं है, यह गणतंत्र है करीब पचास करोड़ लोगों का। टिक-टाक मोबाइल एप्लीकेशन है, पचास करोड़ लोग इसे नियमित तौर पर प्रयोग करते हैं। यह इंडिया में चलेगा या नहीं, यह घणा महत्वपूर्ण सवाल हो लिया है। कभी इस पर बैन लग जाता है, कभी बैन उठ जाता है।टिक-टॉक गणतंत्र के नागरिक परेशान हैं। टिक-टॉक का क्या होगा। टिक-टॉक के भारत में बंद होने का मतलब कुछ-कुछ ऐसा है, मानो कुछ का देश निकाला कर दिया हो या कुछ को इस देश में दाखिल होने की अनुमति ही नहीं दी गयी।बंदे अब वर्चुअल दुनिया में हैं। इंडिया का बंदा न्यूयार्क के बंदे की फेसबुक पोस्ट लाइक करके आ जाता है, फिर ब्रिटेन के बंदे की पोस्ट पर कमेंट करके आ जाता है। घर वाले कहते हैं कि पास के बाजार से आधा किलो दही लाकर दे दो तो जाने से इनकार कर देता है। अमेरिका- ब्रिटेन जाना आसान है, दही लेने जाना मुश्किल है। दही लेने जाओ तो धूप लगती है।फेसबुक पर तो दिल्ली से न्यूयार्क बहुत आराम से एयरकंडीशनर में ही बैठे-बैठे जा सकते हैं। बंदा आराम देखता है और दही का आर्डर भी ऑनलाइन दे देता है। सब कुछ ऑनलाइन हो गया है टिक-टॉक गणतंत्र में। मैं कई बार डरता हूं, क्या-क्या ऑनलाइन हो रहा है। अपने करीबियों की शादी में रिश्तेदार नहीं आ पा रहे हैं और कह रहे हैं कि शादी का वेबकास्ट कर दो। देखो जी, वेब इंटरनेट पर देख लो शादी और गिफ्ट वगैरह देना हो तो ऑनलाइन ट्रांसफर कर दो। आशीर्वाद वगैरह की जरूरत नयी पीढ़ी को नहीं है। नयी पीढ़ी की एकमात्र खास चिंता यह है कि कंपनी से सैलरी पैकेज कितना मिल रहा है। आशीर्वाद को कैश न कराया जा सकता। जिस आइटम में कैश न हो, कैशबैक न हो, उसकी ज्यादा परवाह नयी पीढ़ी नहीं करती।टिक-टॉक गणतंत्र के नियम अलग हैं। बंदा अभी फेसबुक पर था, अभी ट्विटर पर निकल लिया। अरे कुछ देर पहले तो टिक-टॉक पर था। अच्छा शायद अब स्नैपचैट पर चला गया होगा। ठीक है भाई, पर वह घर कब आयेगा। जी वह तो घर पर ही है, बस घर वालों से बात करने का टाइम नहीं है। बंदा न्यूयार्क, ब्रिटेन से फ्री हो पाये, तब ही तो बात करे घर वालों से।टिक-टॉक गणतंत्र के चलन अलग हैं। कभी डर लगता है कि अगर मत देने के अधिकार देश की सीमाओं से पार चले गये और मताधिकार ग्लोबल हो गये तो टिक-टॉक जैसे कंप्यूटर एप्लीकेशन अपने आप में बहुत पॉवरफुल गणतंत्र बन जायेंगे। पचास करोड़ यानी अमेरिका और पाकिस्तान की जनसंख्या मिला दी जाये तो करीब इतनी आबादी बन जाती है।टिक-टॉक गणतंत्र के विरोधियों समझ लो, अगर मताधिकार ग्लोबल हो गये तो दुनिया का इतना पावरफुल गणतंत्र हो जायेगा टिक-टॉक। आइये टिक-टॉक गणतंत्र के शक्ति के सम्मान में सिर झुकायें।००