नियक्तियों में फर्जीवाड़े का आरोप:आउटसोर्सिंग के जरिए हो रही कर्मचारियों की भर्ती में घूसखोरी का आरोप, वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप

पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग के माध्यम से विभिन्न पदों के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया से संबंधित एक वीडियो वायरल होने से खलबली मच गई है। वायरल वीडियो में भर्ती के टेंडर के लिए करोड़ों के लेनदेन की बात कही गई है और दावा किया गया है कि यह रकम शीर्ष अफसरों तक पहुंचाई गई होगी। जिस एजेंसी को भर्ती की जिम्मेदारी दी गई है, उसके प्रतिनिधि वीडियो में यह कहते भी सुने गए कि माली और स्वीपर जैसे पदों पर भर्ती के लिए 40-40 हजार रुपए की रिश्वत ली जा रही है।

हालांकि दैनिक भास्कर इस वीडियो के पुष्टि का दावा नहीं कर रहा है। वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने विभिन्न प्रकार के 200 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए मेसर्स सन फैसिलिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ को टेंडर दिया है। यह एजेंसी कंसल्टेंसी फर्म लक्षदीप इनफो प्लेसमेंट प्रॉपर्टी एजुकेशन ग्रुप के माध्यम से भर्ती करा रही है। इस फर्म का ऑफिस सिविल लाइंस में पत्रिका चौराहे के पास है। भर्ती प्रक्रिया इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस में चल रही है।

भर्ती के लिए शनिवार को गेस्ट हाउस में हजारों अभ्यर्थियों की भीड़ जुटी थी। भीड़ इतनी थी कि भर्ती प्रक्रिया बीच में ही रोक दी गई और इंटरव्यू स्थगित कर दिया गया। इस बीच विश्वविद्यालय के तीन छात्र नेता पहले गेस्ट हाउस पहुंचे। वहां उन्हें गड़बड़ी की आशंका लगी तो अपनी पहचान छिपाते हुए अभ्यर्थी बनकर फर्म के ऑफिस पहुंचे और वहां मौजूद फर्म के प्रतिनिधियों से बातचीत का ऑडियो-वीडियो बनाकर उसे वायरल कर दिया।

40-40 हजार रुपये घूस मांगने का किया जा रहा दावा
वायरल ऑडियो और वीडियो में फर्म के प्रतिनिधियों को साफ कहते हुए सुना जा रहा है कि भर्ती के लिए 40 हजार रुपये देने होंगे। आवेदन अनिवार्य है और एडवांस में 25 हजार रुपए जमा करने होंगे। इसके बाद ही लिस्ट लखनऊ भेजी जाएगी। नौकरी मिलने के बाद प्रतिमाह एक हजार रुपए देने होंगे, क्योंकि दो करोड़ रुपए देकर टेंडर लिया गया है।

अभ्यर्थियों ने दो करोड़ जैसी बड़ी रकम को लेकर आश्चर्य जताया तो फर्म के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि यह रकम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के शीर्ष अफसरों तक पहुंचाई गई होगी। आखिर एजेंसी इसकी भरपाई कहां से करेगी। यहां तक कि फर्म के प्रतिनिधि नगर निगम में सफाई कर्मी भर्ती में भी घूस लेकर नियुक्ति कराने का दावा करते हुए सुने जा रहे हैं।

यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने कहा- जांच कर होगी कार्रवाई

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला का कहना है कि काफी समय से आउटसोर्सिंग के जरिये भर्ती हो रही है। पुरानी एजेंसी की समयावधि समाप्त होने पर नया टेंडर निकाला गया और पारदर्शिता के साथ टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई। कुछ लोग बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके खिलाफ कड़ी विधिक कार्रवाई की जाएगी। चीफ प्रॉक्टर प्रो. हर्ष कुमार का कहना है कि आरोप एजेंसी पर लगे हैं। एजेंसी को भी कार्रवाई करनी चाहिए विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर से विधिक कार्रवाई करेगा।

कार्यदायी संस्था ने FIR के लिए कर्नलगंज कोतवाली में दी एप्लिकेशन
इविवि भर्ती प्रक्रिया को लॉकर वीडियो वायरल होने के मामले में एजेंसी के निदेशक रविकांत तिवारी ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए कर्नलगंज थाने में तहरीर दी है। रविकांत का कहना है कि यह एजेंसी और विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश है। वीडियो में घूस मांगने वालों को वह नहीं जानते और न ही घूस मांगने वाले उनकी एजेंसी के कर्मचारी हैं।

एजेंसी सीधे भर्ती करा रही है और जॉर्जटाउन में मालवीय रोड पर एजेंसी का कार्यालय है, जहां एक कर्मचारी नियमित रूप से बैठता है। जिन छात्र नेताओं ने वीडियो वायरल किया है, उनके खिलाफ एजेंसी विधिक कार्रवाई कर रही है।

इन पदों के लिए चल रही है भर्ती

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग के जरिये माली के 52, स्वीपर के 58, कंप्यूटर ऑपरेटर/ऑफिस असिस्टेंट, टेक्निकल असिस्टेंट/ड्राइवर/एमटीएस/चपरासी के 60 पदों और इंजीनियरिंग विभाग में लिफ्ट ऑपरेटर, प्लंबर, इलेक्ट्रिकल हेल्पर, ट्यूबवेल ऑपरेटर, कार हेल्पर, इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर, प्लंबर हेल्पर के 35 पदों पर भर्ती के लिए 25 मार्च को विज्ञापन जारी किया गया था। यह भर्ती वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से होनी है। इंटरव्यू के लिए 25 से 28 मार्च तक की तिथि निर्धारित की गई थी, लेकिन शनिवार को प्रस्ताव इंटरव्यू स्थगित कर दिया गया।

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