मजिस्ट्रेट के अधिकार का प्रयोग करेंगे अफसर:पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद कानपुर पुलिस लाइन में बनी अस्थाई कोर्ट

उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद से ही पुलिस के कार्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। बुधवार को पुलिस लाइन में एसीपी कोर्ट में कार्यवाही शुरू हो गई। जहां पुलिस अधिकारी मैजिस्ट्रेटियल अधिकार का प्रयोग करेंगे।

शांतिभंग के आरोपी कोर्ट में होंगे पेश

पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद कानपुर से एक अपर पुलिस उपायुक्त, एक सहायक पुलिस आयुक्त और 4 मुख्य आरक्षियों (सिपाहियों) को कोर्ट संचालन की ट्रेनिंग के लिए लखनऊ भेजा गया था और यह सभी वापस कानपुर आ गए हैं। कानपुर में आज से जितने भी आरोपित शांतिभंग (दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 151) की आशंका में गिरफ्तार किए जाएंगे, उन्हें पुलिस लाइन में बने अस्थायी कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। आरोपियों को जमानत देने का कार्य से लेकर अन्य सभी जिम्मेदारियां लखनऊ से ट्रेनिंग लेकर लौटे अधिकारियों के ऊपर होगी।

पुलिस कमिश्नर ने क्या कहा?
पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने कहा कि पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद एसीपी व उनसे ऊपर के अधिकारियों को सीआरपीसी की कुछ धाराओं में मैजिस्ट्रियल अधिकार दिए गए हैं। इनको क्रियान्वित करने के लिए आलोक सिंह (सहायक पुलिस आयुक्त), बसंत लाल (अपर पुलिस उपायुक्त) एवं 4 हेड कांस्टेबल को लखनऊ पुलिस में 3 दिन का प्रशिक्षण कराया गया। इस प्रशिक्षण में कोर्ट से सम्बन्धित प्रक्रिया, प्रपत्र आदि के बारे में जानकारी दी गई और आज से पुलिस लाइन में तैयार किए गए अस्थायी कोर्ट में कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इसके बाद सभी अधिकारियों (सीपी से एसीपी तक) का सीआरपीसी और अन्य धाराओं में न्यायिक प्रक्रिया के सम्बन्ध में प्रशिक्षण कराया जाएगा। उनके कार्यालय में कोर्ट की व्यवस्था की जाएगी। ज्यों ही यह कार्य पूरा होता है सभी एसीपी और डीसीपी के कोर्ट कार्य करना शुरू कर देंगे।

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