इमोशन और एक्शन का ज़बरदस्त तूफ़ान, फ़रहान अख़्तर ने लगा दी जान | Toofaan Review

इज़्ज़त का मतलब मालूम है?’… ‘अपने एरिया में सब अपने सामने घुटने पर गिर जाते हैं। नाक रगड़ते हैं। सलाम ठोकते हैं अपुन को। वो इज़्ज़त नहीं है, इतना मालूम है अपुन को।’ घुटनों पर गिरना। नाक रगड़ना। सलाम ठोंकना। इज़्ज़्त नहीं होती। मगर, समाज में ऐसे साहबों की कमी नहीं, जो सलाम ठोंकने को ही इज़्ज़त समझ बैठते हैं। इस बात पर ग़ौर किये बिना कि सलाम ठोंकने वाले के दिल में क्या है? इज़्ज़त कमाने के लिए फिर क्या करना पड़ता है और कैसे करना पड़ता है? महाराष्ट्र बॉक्सिंग एसोसिएशन के सबसे नामचीन कोच नाना प्रभु और डोंगरी के सड़कछाप गुंडे अज्जू भाई के बीच यह संवाद मान-सम्मान की परिभाषा को बड़े आसान शब्दों में गढ़ता है और यही संवाद फ़रहान अख़्तर की तूफ़ान की वो बुनियाद है, जिस पर दो घंटे 41 मिनट की फ़िल्म खड़ी होती है।

Toofaan' review: Farhan Akhtar leads a cliched boxing drama- The New Indian  Express

अज्जू महाराष्ट्र बॉक्सिंग एसोसिएशन के कोच नाना प्रभु के पास जाता है। शुरुआती हिचक के बाद नाना उसे ट्रेन करने के लिए तैयार हो जाता है। अज्जू स्टेट चैम्पियनशिप जीत लेता है। मगर, जब नाना को पता चलता है कि अज्जू उसकी ही बेटी से प्यार करता है और शादी करना चाहता है, वो उसे धक्के और गालियां देकर भगा देता है। अनन्या पिता को समझाने की कोशिश करती है, मगर नाना का गुस्सा कम नहीं होता।

अनन्या अज्जू के पास आ जाती है। इस बीच पैसों की तंगी दूर करने के लिए अज्जू नेशनल चैम्पियनशिप में फिक्सिंग कर लेता और हार जाता है। यह बात खुल जाती है और अज्जू पर पांच साल का बैन लग जाता है। इसको लेकर अज्जू से उसका झगड़ा होता है, मगर अज्जू के दोस्त मुन्ना (हुसैन दलाल) के समझाने के बाद अनन्या का गुस्सा उतरता है। दोनों शादी कर लेते हैं। बेटी मायारा का जन्म होता है। इसके बाद कहानी पांच साल का लीप लेती है। अज्जू बॉक्सिंग छोड़कर ट्रैवलिंग कंपनी शुरू कर चुका होता है। उधर, उस पर लगा बैन हट जाता है। अनन्या चाहती है कि अज्जू वापस बॉक्सिंग करे और चैम्पियनशिप जीतकर फिक्सिंग के दाग़ को धोए। पर अज्जू मना कर देता है… पर अज्जू को नहीं मालूम होता कि उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा इम्तेहान बाक़ी है। उसकी ज़िंदगी फिर उसी सवाल पर आकर ठहर जाती है… इज़्ज़त क्या होती है? 

कहानी के केंद्र में मुख्य रूप से यही दो किरदार अज्जू भाई यानी अज़ीज़ अली (फ़रहान अख़्तर) और नारायण प्रभु (परेश रावल) हैं। इन दोनों के ज़रिए निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कभी खुलकर तो कभी इशारों में बहुत कुछ कह दिया है। अज्जू भाई डोंगरी इलाक़े का गुंडा है, जो जाफ़र भाई (विजय राज़) के लिए काम करता है। अज्जू बॉक्सिंग चैम्पियन बनकर सच्चा सम्मान हासिल करना चाहता है। इसमें उसकी प्रेरणा इलाक़े के चैरिटी चैरिटी अस्पताल में काम करने वाली डॉ. अनन्या (मृणाल ठाकुर) बनती है।

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