इस वर्ष कोरोना के बाद अगर किसी प्राकृतिक आपदा ने लोगों की जान को सांसत में डाला है तो वो टाक्टे चक्रवात है। निस्संदेह इस चक्रवात ने समुद्र तटीय क्षेत्राें में रहने वाले लोगों के जनजीवन काे अस्तव्यस्त कर दिया है। वहीं, समुद्री जहाजों पर काम करने वाले कुछ ऐसे लोग भी हैं जो या तो इस चक्रवात में फंसे हुए हैं या फिर लापता होकर दम तोड़ चुके हैं। जहां टाक्टे के कारण कुछ दिन पूर्व कानपुर के बिल्हौर निवासी एक युवक की मौत की खबर आई थी वहीं, कन्नौज जिले का एक ऐसा शख्स भी है जो किसी तरह इस आपदा से बचकर स्वजन के पास सकुशल लौटा। घर के दरवाजे पर अपने लाल को देखकर स्वजन भावुक हो गए और उससे लिपट कर रोने लगे। जनपद पहुंचकर जब उसने अपनी आपबीती सुनाई तो यह लोगों के लिए अविश्वसनीय था।

जानिए, कौन है इत्रनगरी का वो शख्स: जिले के चांदापुरवा गांव निवासी 32 वर्षीय अमित कुमार कुशवाहा बार्ज पी-305 जहाज में पेंटर के पद पर कार्यरत हैं। अमित बताते हैं कि वह एक जनवरी 2021 को ड्यूटी पर गए थे।
अगले दिन सुबह उठे तो पता चला कि कैंटीन में आग लग गई थी, लिहाजा नाश्ता नहीं मिलेगा। सुबह आठ बजे एनाउंस किया गया कि तूफान में जहाज का एंकर टूट गया है। इस कारण जहाज बेकाबू होने लगा और सभी ने लाइफ जैकेट पहन ली थी। शाम के चार बजे लहरों से टकराकर जहाज में छेद हो गया। जहाज के डूबने की आशंका में लोग ईश्वर से प्रार्थना करते हुए समुद्र में कूदने लगे, जिसमें वह (अमित) भी शामिल थे।
14 घंटे समुद्र में तैरने के बाद मिला नया जीवन: अमित बताते हैं कि कूदने के बाद वह रात भर समुद्र में ही तैरते रहे। हवा के कारण कभी इधर तो कभी उधर चले जाते। 14 घंटे बाद उम्मीद की सुबह हुई। सुबह आठ बजे इंडियन नेवी के जवानों ने उन्हें सकुशल बाहर निकाल लिया। अमित बताते हैं कि वह 10 फरवरी को वह मैथ्यू कंपनी में भर्ती हुए थे। रविवार शाम को वह घर लौटे तो उनकी मां सरला देवी और पत्नी सोनी देवी उससे लिपट गईं।
बताया वो भयावह मंजर: बकौल अमित, जहाज में कुल 306 लोग थे, सभी लोगों को तूफान की जानकारी दो दिन पूर्व ही दे दी गई थी। तब यह बताया गया था कि उसकी गति 60 किमी प्रति घंटा है। लिहाजा जहाज को ओएनजीसी प्लेटफार्म से 200 मीटर दूर खड़ा कर दिया गया है। मगर जब तूफान आया तो उसकी गति तीन गुनी निकली। 15 मई रात को सभी खाना खाकर सो गए। पूरी रात जहाज लहरों के कारण हिलता रहा।