@आशीष सागर दीक्षित,बाँदा।

- पूर्व मे राष्ट्रीय आजीवका मिशन की ब्लाक मिशन प्रबंधक बड़ोखर खुर्द रहते इन्होंने 88 लाख का गबन कराया। जो लगभग 3 करोड़ का था,मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन आज तक चार्जशीट नही लगी है।
- शिवम द्विवेदी (डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन /डीआरपी) उद्यान विभाग, आकांक्षा कुशवाहा और शिकायत कर्ता संदीप कुमार इन तीनो के नाम एफआईआर ज़िला उद्यानअधिकारी केशवराम चौधरी की तहरीर पर लिखी गई है।
बाँदा। चित्रकूट मंडल मे सरकार की योजनाओं को बट्टा लगाने वालों की मौज है। गिरोह बनाकर लगातार दो बार एक महिला ने सरकारी योजना को चपत लगाई। एफआईआर भी लिखी जाती है लेकिन उसका होता कुछ नही है। बाँदा के ग्राम खमौरा निवासी आकांक्षा कुशवाहा ने यह शातिराना हुनर राष्ट्रीय आजीवका मिशन मे बतौर ब्लाक मिशन प्रबन्धक रहते सीखा। गबन पकड़े जाने पर वो नौकरी छोड़ी और खुद की फर्म बनाकर अब ठगी का नया कारोबार पोषित किया है।

अंकिता इंटरप्राइजेज साल 2022 से संचालित है इसका अर्थ है कि नौकरी करते हुए ही आकांक्षा कुशवाहा ने फर्म बना ली थी। यहां बतलाते चलें कि बाँदा के महुआ विकासखंड तहसील अतर्रा के ग्राम खमहौरा निवासी अंकिता इंटरप्राइजेज फर्म की संचालक आकांक्षा कुशवाहा ने जिला उद्यान विभाग को ठगने से पूर्व राष्ट्रीय आजीवका मिशन की ब्लाक मिशन प्रबंधक (बीएमएम) बड़ोखर खुर्द,विकासखंड महुआ रहते हुए साल 2024 मे एनआरएलएम योजना मे कार्यरत तीन डीएमएम (ज़िला मिशन प्रबंधक) क्रमशः धर्मेंद्र जायसवाल, शालनी जैन व राकेश सोनकर के साथ मिलकर करीब 3 करोड़ रुपया की चपत लगा चुकी है। विडंबना है कि सरकारी योजना के धन का गबन करने की साज़िश मे शामिल उक्त तीन डीएमएम को ही तत्कालीन सीडीओ वेदप्रकाश मौर्या ने जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जिसमें महुआ विकासखंड के बड़ोखर खुर्द की नोडल इंचार्ज डीएमएम शालनी जैन थी। नियमानुसार आईएएस को जांच करनी चाहिए थी लेकिन अपनी कालर बचाते हुए राष्ट्रीय आजीवका मिशन की ब्लाक मिशन मैनेजर रही आकांक्षा कुशवाहा समेत अन्य समूह की महिलाओं को जांच मे दोषी दिखाया गया वहीं तीन डीएमएम (ज़िला मिशन प्रबन्धक) को सीधे तौर पर बचा लिया गया।

तत्कालीन सीडीओ वेदप्रकाश मौर्या ने जानबूझकर बड़ोखर खुर्द की नोडल अफसर रही शालनी जैन व राकेश सोनकर, धर्मेद्र जायसवाल की टीम बनाकर 3 करोड़ के वित्तीय घोटाले की जांच कराई। जिसमे महज 88 लाख रुपया की एफआईआर नगर कोतवाली मे मुकदमा अपराध संख्या 700/2024 दर्ज करवाई गई। जिसमें तहरीर कर्ता जिला मिशन प्रबन्धक धर्मेंद्र जायसवाल थे। लेकिन आज तक नगर कोतवाली मे इसकी विवेचना पूरी नही हो सकी जबकिं तीन कोतवाल बदल गए और तत्कालीन सीडीओ वेदप्रकाश मौर्या सेवानिवृत्त हो चुकें है। वहीं मौजूदा उपायुक्त स्वतः रोजगार भैयन लाल भी चुप्पी मारकर बैठें है। गौरतलब है कि सरकारी योजनाओं को निजी संपत्ति समझने वाली शातिर और चालबाज आकांक्षा कुशवाहा ने राष्ट्रीय आजीवका मिशन का घोटाला सामने आते ही बिना कारण नौकरी छोड़कर पल्ला झाड़ने की कोशिश नकामयाब थी। आकांक्षा कुशवाहा से जुड़े वित्तीय गबन की शिकायत ब्लाक मिशन प्रबन्धक ब्रजेश अग्निहोत्री ने सीडीओ व उपायुक्त एनआरएलएम बाँदा को लिखित रूप से दिनांक 15 अप्रैल 2024 को की थी।


जिस पर शिकायत कर्ता बीएमएम ब्रजेश अग्निहोत्री ने खंण्ड विकास अधिकारी एवं उपायुक्त को बताया था कि डिंगवाही के दुर्गा समूह के बैंक आफ बड़ौदा खाता संख्या 53080100001474 से 1000000 रुपया, डिंगवाही के साक्षी ग्राम संगठन समूह के बैंक आफ बड़ौदा खाता संख्या 46790100004608 से 600000 रुपया, गुरेह के चांदनी ग्राम संगठन समूह के आर्यावर्त बैंक मेनब्रांच खाता संख्या 6108601100060516 से 300000 रुपया, गुरेह के सृष्टि ग्राम संगठन समूह के आर्यावर्त बैंक खाता संख्या 200110510000018 से 300000 रुपया, पडुई के सुरक्षा ग्राम संगठन समूह के यूनियन बैंक छावनी खाता संख्या 300402010907081 से 500000 रुपया, सुहाना के कन्हैया ग्राम संगठन के खाता संख्या 380462010912019 से 400000 रुपया व कतरावल के रागनी ग्राम संगठन के खाता संख्या बैंक आफ इंडिया 697910110009042 से 400000 रुपया कुल 3500000 रुपया संदिग्ध निकासी की गई है।

इस शिकायत पत्र की जब विस्तृत जांच हुई तो करीब 3 करोड़ का वित्तीय गबन उजागर हुआ। यह सुनियोजित ठगी आकांक्षा कुशवाहा के नेतृत्व मे समूह की ग्रामीण अनपढ़ महिलाओं को ढाल बनाकर तीन विभागीय ज़िला मिशन प्रबन्धक की बदौलत की गई थी। यही इस गबन के जांचकर्ताओं मे शामिल थे। जिन्होंने गरीब महिलाओं को टारगेट किया और समूह की कुछ करीबी महिलाओं को योजनाबद्ध तरीक़े से बचाया गया व ब्लाक मिशन प्रबन्धक रही आकांक्षा कुशवाहा ( निवासी ग्राम खमौरा, क्लस्टर प्रभारी सीएलएफ विकास खण्ड बड़ोखर खुर्द) सहित इस वित्तीय अनियमितता मे क्रमशः कमेलश निवासी ग्राम डिंगवाही,तत्कालीन अध्यक्ष संकुल प्रभारी आदर्श संकुल स्तरीय संघ बड़ोखर खुर्द व अध्यक्ष साक्षी ग्राम संगठन डिंगवाही, पदाधिकारी दुर्गा स्वयं सहायता समूह पदाधिकारी संतोषी स्वयं सहायता समूह, नसीमा ग्राम अरबई, मुस्ताक ग्राम अरबई पदाधिकारी ख़ुशी महिला ग्राम संगठन अरबई पदाधिकारी के पति, ऊषा निवासी ग्राम तिंदवारा पदाधिकारी सीता 01 पीजी, सुनीता ग्राम पडुई पर मुकदमा लिखा गया था। उल्लेखनीय है कि संवाददाता के पास गबन से जुड़ी तिंदवारा निवासी ऊषा की ऑडियो रिकार्डिंग है जो आकांक्षा कुशवाहा सहित भ्रस्टाचार मे संलिप्त अधिकारी की पोलपट्टी खोलती है। बावजूद इसके आज तक मुकदमा संख्या 700/2024 नगर कोतवाली पर अरोपपत्र तय नही हुआ है।
आकांक्षा कुशवाहा के निशाने पर अब उद्यान विभाग बाँदा :-

सरकारी योजनाओं का लाखों रुपया 420 सी व साजिशों से ठगी कराने वाली आकांक्षा कुशवाहा इस खेल की मंजी खिलाड़ी है। या यूं कहिये की अभ्यस्त है। एनआरएलएम के बाद एक बार फिर अब उद्यान विभाग की सरकारी योजना सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की धनराशि को हड़पने का षडयंत्र रचा गया है। यह मामला तिंदवारा निवासी संदीप कुमार से जुड़ा है। जिन्होंने लाभार्थी बनकर योजना से ऋण लेने को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन स्कीम के तहत लोन हेतु आवेदन किया था। इसमें 182 बेरोजगार लोगों को ऋण दिया गया था। इस दरम्यान संदीप कुमार ने आरोप लगाया कि उद्यान विभाग के डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन शिवम द्विवेदी और आकांक्षा कुशवाहा की सांठगांठ से उसको 7 लाख रुपया ऋण का पूरा रुपया नही मिला है। शिकायत कर्ता के मुताबिक डेढ़ लाख रुपया काटकर धनराशि उसको उपलब्ध कराई गई। जिसमें ग्राम खमौरा निवासी अंकिता इंटरप्राइजेज की संचालक आकांक्षा कुशवाहा, शिवम द्विवेदी की मिलीभगत है। संदीप को 7 लाख रुपया ऋण /लोन की फ़ाइल डीआरपी शिवम द्विवेदी ने तैयार कराई थी। ऋण स्वीकृति होने पर आंतरिक विभागीय अप्रूवल के बाद मेसर्स अंकिता इंटरप्राइजेज के कोटेशन मे लिखित एक्सिस बैंक खाताधारक आकांक्षा कुशवाहा के खाते मे इंडियन बैंक तिंदवारा से 22 दिसंबर को 4.50 लाख रुपया व 31 दिसंबर को 0.75 लाख रुपया कुल 5.25 लाख रुपया ट्रांसफर किया गया। खाताधारक आकांक्षा कुशवाहा ने 23 दिसंबर 2022 को 541550 रुपया उद्यान विभाग के डीआरपी शिवम द्विवेदी के भारतीय स्टेट बैंक सेविंग खाते मे ट्रांसफर किये। इसके बाद शिवम द्विवेदी ने व्यक्तिगत खाते से संदीप कुमार को 3 लाख 50 हजार रुपया ट्रांसफर किया। बैंक ने न तो लोन सत्यापन प्रक्रिया मे संदीप ने न तो अंतिम बिल जमा किया। और न वेंडर अंकिता इंटरप्राइजेज द्वारा मशीनों की सप्लाई की गई। बैंक ने जब रिकवरी दबाव बनाया तो कथित लाभार्थी संदीप कुमार ने पुरानी आटा चक्की लगाकर मौन रख लिया। उधर पूरा प्रोजेक्ट न लगने के कारण कैश क्रेडिट लिमिट रिलीज नही की और न संदीप ने इसके लिए आवेदन किया। जिसकी वजह से बैंक मे पोस्ट डिस्टर्बेंसमेन्ट प्रक्रिया लंबित है।

लाभार्थी बना मासूम रिकवरी पर की शिकायत-
उधर जब बैंक ने ऋण रिकवरी की नोटिस जारी की तो संदीप कुमार हरिश्चंद्र बनकर शिकायत कर दिए। जबकिं इस ठगी मे लाभार्थी संदीप कुमार, उद्यान विभाग के डीआरपी शिवम द्विवेदी व फ्राड की महंत अंकिता इंटरप्राइजेज से जुड़ी आकांक्षा कुशवाहा भी शामिल है। इन तीनो पर वित्तीय अनियमितता की एफआईआर लिखी गई है। लेकिन क्या एनआरएलएम की तरह इस बार भी शातिर आकांक्षा कुशवाहा अभयदान लेकर स्वतंत्र रहेंगी ? ताकि फिर कोई सरकारी विभाग इनकी जालसाजी का शिकार हो सके ? आखिर ऐसे 420 लोगों पर प्रशासन व सरकार कब न्यायोचित कार्यवाही करेगी सवाल यही खड़ा है ? क्या योजना का रुपया इनकी धूर्तता का केंद्रबिंदु है ?