@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

बाँदा। आज 16 अक्टूबर को बाँदा के बाईपास स्थित कृषि प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय मे 11 वें दीक्षांत समारोह का भव्यता से आयोजन हुआ। कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की सतत शैक्षणिक यात्रा मे आज ग्यारहवें वर्ष का प्रवेश भी उल्लासपूर्ण रहा। इस आयोजन मे उत्तरप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल, व कुलाधिपति कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा ने आज कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया गया। इसके साथ ही उन्होंने 11 वें दीक्षांत समारोह मे विभिन्न संकायों मे श्रेष्ठ छात्रों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक छात्र/छात्राओं को पदक प्रदान किये तथा 350 छात्र/छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गयी।

इससे पूर्व राज्यपाल जी ने बाॅदा कृषि विश्वविद्यालय मे आर्ट गैलरी एवं म्यूजियम का उद्घाटन भी किया।दीक्षान्त समारोह कार्यक्रम मे सम्बोधित करते हुए राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित 11वें दीक्षान्त समारोह में उपस्थित होने पर मुझे प्रशन्नता हो रही है। उन्होंने छात्र/छात्राओं को मेडल प्रदान करते हुए उनके उज्जवल भविष्य हेतु निरन्तर कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने 12 छात्रों एवं 7 छात्राओं को विभिन्न संकायों के मेडल प्रदान किये। अपने उद्बोधन मे कहा कि कृषि क्षेत्र की शिक्षा में छात्राओं की भागीदारी बढ रही है। कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान में छात्राओं को आगे बढाया जाए।

कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। यह योगदान शिक्षा एवं अनुसंधान में भी हो। उन्होंने कहा कि जहां नारी है, वहीं सृजन है, महिलायें ही सृष्टि की रचना और पोषण करती हैं। राज्यपाल जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा 24 हजार करोड़ की धन धान्य कृषि योजना का शुभारम्भ किया गया है तथा उन्होंने दलहन के क्षेत्र में भी कार्य करने पर जोर दिया है। धन धान्य योजना प्रदेश में 12 जनपदों में संचालित की जायेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री जी की कृषि क्षेत्र की योजनाओं को कृषि विश्वविद्यालय छात्र/छात्राओं हेतु श्रोत तथा प्रोजेक्ट तैयार करें। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय किसानों को इस योजना के बारे में बतायें और छात्र/छात्राओं को भी इसके अध्ययन के लिए प्रेरित करें।उन्होंने कहा कि किसानों को फसल बीमा योजना एवं भूमि मृदा परीक्षण हेतु सुवधिायें दी जा रही है, जिसका लाभ लेकर किसानों की आय बढ सके।

श्रीमती आनंदी बेल पटेल राज्यपाल जी ने कहा कि ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करने में पीएम धन धान्य योजना महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगी। किसानों को नवाचार तथा पारम्परिक खेती में आगे बढने हेतु प्रसस्त करेगी। उन्होंने कहा कि दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए मिशन के रूप में कार्य करें। हर भोजन की थाली प्रोटीन होना आवश्यक है, हर किसान आत्मनिर्भर हो इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। युवाओं को इंगित करते हुए वे बोलीं कि आगामी सत्र में इस विश्वविद्यालय द्वारा पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रहा है।
विश्वविद्यालय द्वारा वर्षा जल संचयन हेतु 24 बडे तालाबों का निर्माण किया है, यह सभी तालाब कृषि कार्य में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा कृषि क्षेत्र के अनुसंधान की प्रयोगशाला को किसानों के खेतों तक पहुंचायें एवं अनुसंधान के सम्बन्ध में किसानों को जानकारी दें। उन्होंने कहा कि किसानों का सशक्तिकरण एवं ग्रामीण भारत का उत्थान होगा तो प्रदेश व देश सशक्त बनेगा। भारत में नवाचार एवं विज्ञान तकनीक में प्रगति कर रहा है इसी के साथ कृषि क्षेत्र में भी प्रगति किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व में बडे दुग्ध एवं मिलेट्स का उत्पादक है। फूड प्रोसेसिंग सिस्टम में भी प्रगति हुई है।

किसान आत्मनिर्भर बने तथा किसानों की आय दोगुनी हो, इस क्षेत्र में सरकार निरन्तर कार्य कर रही है। वहीं किसानों को खेती, मौसम आधारित कृषि करने की सलाह दी। बुन्दलेखण्ड में गौ आधारित खेती को अपनायें तथा जैविक उत्पदों को बढायें, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता के साथ बाजार में बेहतर मूल्य मिल सकेगा। कृषि हेतु रासायनिक खाद का उपयोग कम करें क्योंकि रासायनिक खेती के उत्पादों से कई गम्भीर बीमारियां होती हैं इसलिए गोबर खाद से फसलों का उत्पादन करें, जिससे कि बीमारियां भी कम होंगी। संबोधन मे राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की आयुष्मान योजना के अन्तर्गत 05 लाख की चिकित्सीय सहायता की व्यवस्था भी किसानों के लिए की गयी है।
राज्यपाल जी ने जैविक और आर्गेनिक खेती करने की अपील करते हुए कहा कि छात्र/छात्रायें इस क्षेत्र मे आर्गेनिक खेती के सोध से मेडल प्राप्त कर सकते हैं। किसान प्राकृतिक खेती की ओर आगे बढें और लक्ष्य लेकर प्राकृतिक खेती को अपनायें जिससे आगामी वर्षों मे परिवर्तन अवश्य आयेगा। सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बुन्दलेखण्ड क्षेत्र में कृषि क्षेत्र की अपार सम्भावनायें है जिस ओर विश्वविद्यालय पूर्णतया प्रयत्नशील है। राज्यपाल जी ने कहा कि किसानों के बीच मे बैठकर कृषि के विषय में वैज्ञानिक जानकारी दें ताकि किसान कृषि कार्य, वैज्ञानिक एवं उन्नतिशील तरीके से करके अपना उत्पादन बढा सकें। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा दलहन, तिलहन मिशन के अन्तर्गत मूंगफली, सरसों, अलसी, तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए कार्य किया जा रहा है।
श्रीमती आनन्दी बेन पटेल, राज्यपाल उत्तरप्रदेश कुलाधिपति कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा ने आज कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया गया। साथ ही 11 वें दीक्षांत समारोह मे विभिन्न संकायों मे श्रेष्ठ छात्रों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक छात्र/छात्राओं को पदक प्रदान किये तथा 350 छात्र/छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गयी। इससे पूर्व राज्यपाल जी ने बाॅदा कृषि विश्वविद्यालय मे आर्ट गैलरी एवं म्यूजियम का उद्घाटन भी किया।
दीक्षान्त समारोह कार्यक्रम मे सम्बोधित करते हुए राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित 11वें दीक्षान्त समारोह में उपस्थित होने पर मुझे प्रशन्नता हो रही है। उन्होंने छात्र/छात्राओं को मेडल प्रदान करते हुए उनके उज्जवल भविष्य हेतु निरन्तर कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने 12 छात्रों एवं 7 छात्राओं को विभिन्न संकायों के मेडल प्रदान किये। अपने उद्बोधन मे कहा कि कृषि क्षेत्र की शिक्षा में छात्राओं की भागीदारी बढ रही है। कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान में छात्राओं को आगे बढाया जाए। कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। यह योगदान शिक्षा एवं अनुसंधान में भी हो। उन्होंने कहा कि जहां नारी है, वहीं सृजन है, महिलायें ही सृष्टि की रचना और पोषण करती हैं। राज्यपाल जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा 24 हजार करोड़ की धन धान्य कृषि योजना का शुभारम्भ किया गया है तथा उन्होंने दलहन के क्षेत्र में भी कार्य करने पर जोर दिया है। धन धान्य योजना प्रदेश में 12 जनपदों में संचालित की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री जी की कृषि क्षेत्र की योजनाओं को कृषि विश्वविद्यालय छात्र/छात्राओं हेतु श्रोत तथा प्रोजेक्ट तैयार करें। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय किसानों को इस योजना के बारे में बतायें और छात्र/छात्राओं को भी इसके अध्ययन के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने कहा कि किसानों को फसल बीमा योजना एवं भूमि मृदा परीक्षण हेतु सुवधिायें दी जा रही है, जिसका लाभ लेकर किसानों की आय बढ सके। श्रीमती आनंदी बेल पटेल राज्यपाल जी ने कहा कि ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करने में पीएम धन धान्य योजना महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगी। किसानों को नवाचार तथा पारम्परिक खेती में आगे बढने हेतु प्रसस्त करेगी। उन्होंने कहा कि दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए मिशन के रूप में कार्य करें। हर भोजन की थाली प्रोटीन होना आवश्यक है, हर किसान आत्मनिर्भर हो इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। युवाओं को इंगित करते हुए वे बोलीं कि आगामी सत्र में इस विश्वविद्यालय द्वारा पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा वर्षा जल संचयन हेतु 24 बडे तालाबों का निर्माण किया है, यह सभी तालाब कृषि कार्य में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा कृषि क्षेत्र के अनुसंधान की प्रयोगशाला को किसानों के खेतों तक पहुंचायें एवं अनुसंधान के सम्बन्ध में किसानों को जानकारी दें। उन्होंने कहा कि किसानों का सशक्तिकरण एवं ग्रामीण भारत का उत्थान होगा तो प्रदेश व देश सशक्त बनेगा। भारत में नवाचार एवं विज्ञान तकनीक में प्रगति कर रहा है इसी के साथ कृषि क्षेत्र में भी प्रगति किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व में बडे दुग्ध एवं मिलेट्स का उत्पादक है। फूड प्रोसेसिंग सिस्टम में भी प्रगति हुई है। किसान आत्मनिर्भर बने तथा किसानों की आय दोगुनी हो, इस क्षेत्र में सरकार निरन्तर कार्य कर रही है।
वहीं किसानों को खेती, मौसम आधारित कृषि करने की सलाह दी। बुन्दलेखण्ड में गौ आधारित खेती को अपनायें तथा जैविक उत्पदों को बढायें, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता के साथ बाजार में बेहतर मूल्य मिल सकेगा। कृषि हेतु रासायनिक खाद का उपयोग कम करें क्योंकि रासायनिक खेती के उत्पादों से कई गम्भीर बीमारियां होती हैं इसलिए गोबर खाद से फसलों का उत्पादन करें, जिससे कि बीमारियां भी कम होंगी। संबोधन मे राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की आयुष्मान योजना के अन्तर्गत 05 लाख की चिकित्सीय सहायता की व्यवस्था भी किसानों के लिए की गयी है। राज्यपाल जी ने जैविक और आर्गेनिक खेती करने की अपील करते हुए कहा कि छात्र/छात्रायें इस क्षेत्र मे आर्गेनिक खेती के सोध से मेडल प्राप्त कर सकते हैं। किसान प्राकृतिक खेती की ओर आगे बढें और लक्ष्य लेकर प्राकृतिक खेती को अपनायें जिससे आगामी वर्षों मे परिवर्तन अवश्य आयेगा। सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बुन्दलेखण्ड क्षेत्र में कृषि क्षेत्र की अपार सम्भावनायें है जिस ओर विश्वविद्यालय पूर्णतया प्रयत्नशील है। राज्यपाल जी ने कहा कि किसानों के बीच मे बैठकर कृषि के विषय में वैज्ञानिक जानकारी दें ताकि किसान कृषि कार्य, वैज्ञानिक एवं उन्नतिशील तरीके से करके अपना उत्पादन बढा सकें। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा दलहन, तिलहन मिशन के अन्तर्गत मूंगफली, सरसों, अलसी, तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आंगनबाडी केन्द्रों मे बच्चों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिये जाने तथा स्वच्छता के बारे मे बच्चों की आदत डलवाये जाने के साथ बच्चों हेतु उपयोगी सामग्री की किट उपलब्ध कराये जाने के साथ बच्चों के लिए खिलौनो की सामग्री गरीब बच्चों को छोटी साइकिल, कुर्सी, मेज, किताब, स्टेशनरी किट आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को वितरित किया। कार्यक्रम मे राजभवन से प्राप्त पुस्तकों के सेट का वितरण जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी को किया। गौरतलब है कि कृषि प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय के 11 वें दीक्षांत समारोह मे राज्यपाल जी ने वर्ष 2025 में स्नातन / परास्नातक मे मेडल प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र/छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गयी, जिसमें कृषि संकाय, उद्यान, वानकी, सामुदायिक विज्ञान संकाय, पीएचडी कृषि एवं उद्यान संकाय के छात्र/छात्राओं को बीएससी, एमएससी व पीएचडी की उपाधियां प्रदान की गयीं, जिसमें उद्यान संकाय के अंश सक्सेना को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कुमारी देवांशिका यादव, प्रिया कायल, मो. आरिफ को स्वर्ण पदक प्रदान किया। साबान को कुलपति स्पर्ण पदक, दीपक को रजत पदक, आकांक्षा चैहान को कांस्य पदक प्रदान किया गया। कृषि संकाय में आलोक साहू को कुलपित स्पर्ण पदक, सौम्या पाण्डेय को रजत पदक, सृजन यादव को कांस्य पदक प्रदान किया। वानिकी संकाय में अभिलाष यादव को कुलपति स्वर्ण पदक, सुधीर प्रजापति को रजत पदन तथा ऋतिक रोशन को कांस्य पदक प्रदान किया गया।
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि पूसा कृषि अनुसंधान नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर चिरूपमल्ली निवास राव ने मेडल एवं उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र / छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य की उम्मीद करते हुए कहा कि बदलते जलवायु परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए कृषकों को जलवायु अनुकूल कृषि कार्य करके अपनी फसलों का उत्पादन करने की आवश्यकता है क्योंकि अधिकतर किसान वर्षा पर कृषि हेतु निर्भर रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह कृषि विश्वविद्यालय आईआरआई कृषि अनुसंधान पूसा के साथ मिलकर काम करे तो शोध के क्षेत्र में और प्रगति होगी। संबोधित करते हुए उन्होंने अंत मे कहा कि तिलहन और दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है। मिट्टी के कार्बन को बढाने की आवश्यकता है, फसल उत्पादन हेतु मिट्टी का परीक्षण आवश्यक है। माइक्रो एरीग्रेशन को बुन्देलखण्ड मे अपनाना चाहिए। सोलर एनर्जी के क्षेत्र मे कार्य करने की आवश्यकता है। एग्रीकल्चर बिजनेस मैनेजमेन्ट बढाना है तथा सोलर एनर्जी के क्षेत्र में कार्य किये जाने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि उक्त भव्य कार्यक्रम मे कुलपति प्रोफेसर डॉ. एस.वी.एस.राजू, कुलसचिव डाक्टर एस.के.सिंह, पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, आयुक्त चित्रकूटधाम मण्डल बांदा अजीत कुमार, पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश एस, जिलाधिकारी बांदा श्रीमती जे. रीभा, पुलिस अधीक्षक पलाश बंसल, विधायक नरैनी श्रीमती ओममणि वर्मा सहित अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व कुमार धर्मेन्द्र, प्रबन्ध परिषद एवं विद्वत परिषद के सम्मानित सदस्यगण, आमंत्रित अतिथिगण, आंगनबाडी कार्यकत्रियां, पत्रकार बन्धु, विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक एवं कर्मचारीगण, छात्र एवं छात्राएं, उपस्थित रहे।

उन्होंने कहा कि आंगनबाडी केन्द्रों मे बच्चों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिये जाने तथा स्वच्छता के बारे मे बच्चों की आदत डलवाये जाने के साथ बच्चों हेतु उपयोगी सामग्री की किट उपलब्ध कराये जाने के साथ बच्चों के लिए खिलौनो की सामग्री गरीब बच्चों को छोटी साइकिल, कुर्सी, मेज, किताब, स्टेशनरी किट आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को वितरित किया। कार्यक्रम मे राजभवन से प्राप्त पुस्तकों के सेट का वितरण जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी को किया। गौरतलब है कि कृषि प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय के 11 वें दीक्षांत समारोह मे राज्यपाल जी ने वर्ष 2025 में स्नातन / परास्नातक मे मेडल प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र/ छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गयी, जिसमें कृषि संकाय, उद्यान, वानकी, सामुदायिक विज्ञान संकाय, पीएचडी कृषि एवं उद्यान संकाय के छात्र /छात्राओं को बीएससी, एमएससी व पीएचडी की उपाधियां प्रदान की गयीं, जिसमें उद्यान संकाय के अंश सक्सेना को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कुमारी देवांशिका यादव, प्रिया कायल, मो. आरिफ को स्वर्ण पदक प्रदान किया। साबान को कुलपति स्पर्ण पदक, दीपक को रजत पदक, आकांक्षा चैहान को कांस्य पदक प्रदान किया गया।
कृषि संकाय में आलोक साहू को कुलपित स्पर्ण पदक, सौम्या पाण्डेय को रजत पदक, सृजन यादव को कांस्य पदक प्रदान किया। वानिकी संकाय में अभिलाष यादव को कुलपति स्वर्ण पदक, सुधीर प्रजापति को रजत पदन तथा ऋतिक रोशन को कांस्य पदक प्रदान किया गया।
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि पूसा कृषि अनुसंधान नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर चिरूपमल्ली निवास राव ने मेडल एवं उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र / छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य की उम्मीद करते हुए कहा कि बदलते जलवायु परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए कृषकों को जलवायु अनुकूल कृषि कार्य करके अपनी फसलों का उत्पादन करने की आवश्यकता है क्योंकि अधिकतर किसान वर्षा पर कृषि हेतु निर्भर रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह कृषि विश्वविद्यालय आईआरआई कृषि अनुसंधान पूसा के साथ मिलकर काम करे तो शोध के क्षेत्र में और प्रगति होगी। संबोधित करते हुए उन्होंने अंत मे कहा कि तिलहन और दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है। मिट्टी के कार्बन को बढाने की आवश्यकता है, फसल उत्पादन हेतु मिट्टी का परीक्षण आवश्यक है। माइक्रो एरीग्रेशन को बुन्देलखण्ड मे अपनाना चाहिए। सोलर एनर्जी के क्षेत्र मे कार्य करने की आवश्यकता है। एग्रीकल्चर बिजनेस मैनेजमेन्ट बढाना है तथा सोलर एनर्जी के क्षेत्र में कार्य किये जाने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि उक्त भव्य कार्यक्रम मे कुलपति प्रोफेसर डॉ. एस.वी.एस.राजू, कुलसचिव डाक्टर एस.के.सिंह, पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, आयुक्त चित्रकूटधाम मण्डल बांदा अजीत कुमार, पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश एस, जिलाधिकारी बांदा श्रीमती जे. रीभा, पुलिस अधीक्षक पलाश बंसल, विधायक नरैनी श्रीमती ओममणि वर्मा सहित अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व कुमार धर्मेन्द्र, प्रबन्ध परिषद एवं विद्वत परिषद के सम्मानित सदस्यगण, आमंत्रित अतिथिगण, आंगनबाडी कार्यकत्रियां, पत्रकार बन्धु, विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक एवं कर्मचारीगण, छात्र एवं छात्राएं, उपस्थित रहे।