आजम के बेटे अब्दुल्ला के सामने खड़ा किया नवाब खानदान के हैदर अली को | UP Eletion 2022

रामपुर जिले में पिछले विधानसभा चुनाव में सपा का दबदबा रहा। तब पांच में से तीन सीटें सपा को मिली थीं। सपा के फायर ब्रांड नेता आजम खां रामपुर शहर से नौ बार विधायक रह चुके हैं। वह सपा का मुस्लिम चेहरा भी हैं। वह दो साल से सीतापुर जेल में बंद हैं, लेकिन सपा के टिकट पर रामपुर शहर से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा गठबंधन दल ने रामपुर जिले की स्वार-टांडा सीट से हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां को प्रत्याशी बनाकर बड़ा दाव खेला है।इसके जरिये उसे यहां भाजपाइयों के साथ ही मुस्लिम वोट मिलने की भी उम्मीद है।

आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार-टांडा से चुनाव मैदान में हैं।

भाजपा गठबंधन को मजबूती मिलीः भाजपा के जिलाध्यक्ष अभय गुप्ता कहते हैं कि स्वार-टांडा सीट पर पिछले चुनाव में भले ही भाजपा की स्थिति कमजोर रही, लेकिन इस बार भाजपा गठबंधन दल मजबूत है। भाजपा का जो वोट है, वह तो गठबंधन दल के प्रत्याशी को मिलेगा ही, नवाब खानदान से जुड़ा वोट भी मिलेगा। इस गणित के हिसाब से गठबंधन दल को बड़ा फायदा हो रहा है।

हमारा वोट दोनों से ज्यादाः समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल कहते हैं कि पिछले चुनाव के नतीजे ही देख लीजिये। भाजपा प्रत्याशी और नवाब खानदान के प्रत्याशी को जितने वोट मिले थे, उन दोनों से ज्यादा अकेले सपा प्रत्याशी को मिले थे। इस बार भी सपा सबसे मजबूत है। गठबंधन की हकीकत जनता अच्छी तरह जानती है।

आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार-टांडा से चुनाव मैदान में हैं। वह पिछले चुनाव में भी इसी सीट से सपा प्रत्याशी थे और जीत गए थे। लेकिन, बाद में कम उम्र के आरोप में हाईकोर्ट ने उनकी विधायकी रद कर दी। इस सीट से नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां लगातार चार बार चुनाव जीते, लेकिन पिछली बार हार गए थे। इस बार अब्दुल्ला के मुकाबले नवेद मियां के बेटे हमजा मियां मैदान में हैं। वह अपना दल के प्रत्याशी हैं। भाजपा और अपना दल का गठबंधन है। प्रदेश में भाजपा गठबंधन ने केवल स्वार-टांडा सीट पर ही मुस्लिम प्रत्याशी बनाया है।ऐसा करके गठबंधन दल ने सपा की राह मुश्किल करने की कोशिश की है। टांडा निवासी अपना दल के जिला महासचिव वकील अहमद कहते हैं कि स्वार टांडा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होगा। नवाब खानदान को हिंदुओं के साथ ही मुस्लिम मत भी मिलते रहे हैं। इस बार भाजपा का वोट भी अपना दल प्रत्याशी को मिलेगा। मुस्लिम मतदाता सीधे कमल के फूल को वोट देने से बचता है, लेकिन अपना दल के निशान पर मुसलमान वोट दे सकेगा।

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