ईसाई समुदाय के कुछ लोगों ने कोरोना संक्रमण न फैले, इसके लिए संक्रमित शव को धार्मिक मान्यता के अनुरूप दफनाने की बजाय विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कराया। इसके बाद अस्थि कलश लेकर उसे ईसाई कब्रिस्तान में दफनाया, लेकिन एक परिवार तो ऐसा रहा जिसने अस्थियां दफनाने की जगह गोमती में प्रवाहित कीं। ईसाई समुदाय के कोविड संक्रमित की मृत्यु के बाद दफनाने के लिए निशातगंज कब्रिस्तान को चिह्नित किया गया है। इसके बाद भी कई ईसाई परिवारों ने कोरोना प्रसार की आशंका समाप्त करने के लिए शव की अंत्येष्टि के लिए दफनाने की जगह जलाने का रास्ता चुना।
इंदिरानगर सेक्टर 16 निवासी सुनील जोनस डेविड की 28 अक्टूबर 2020 को कोरोना के कारण केजीएमयू में मौत हुई थी। इनके परिवार ने भी ऐसा ही किया। गौतमबुद्ध मार्ग में शिवपुरी कालोनी निवासी यूशा साओ का अपोलो हास्पिटल में 17 दिसंबर, 2020 को कोविड से निधन हुआ था। संक्रमण न फैले इसके लिए परिवार ने भैंसाकुंड विद्युत शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया। दिवंगत के रिश्तेदार कैनिथ यू का कहना है कि अस्थियां भी कब्रिस्तान में दफन करने के बजाय गोमती में प्रवाहित कर दी गईं। इन सभी परिवारों का कहना था कि उन्होंने किसी दबाव में नहीं, बल्कि संक्रमण के प्रसार की आशंका समाप्त करने के लिए स्वत: यह कदम उठाया।
‘कई ईसाई परिवारों ने ने संक्रमण फैलने के डर से भैंसाकुंड श्मशान घाट पर विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कराया और फिर अस्थियां कब्रिस्तान में लाकर ईसाई मान्यताओं के हिसाब से दफन कीं। कुछ ऐसे भी मामले हैं, जिसमें हिंदू से ईसाई धर्म अपनाने वाले पहले हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करते हैं और फिर अस्थियां ईसाई धर्म के अनुसार से कब्रिस्तान में दफन करते हैं। ऐसे मामले सालभर में दो-तीन आ जाते हैं।
रायबरेली रोड के इंदिरापुरी निवासी बुजुर्ग लीला का निधन सात अप्रैल, 2021 को कोविड संक्रमण से हुआ था। परिवार ने भैंसाकुंड श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराया। फिर अस्थि कलश को निशातगंज कब्रिस्तान में ईसाई रीति-रिवाज से दफनाया गया। अंतिम संस्कार में शामिल हुए पोते के दोस्त अभिषेक ने बताया- ऐसा संक्रमण न फैलने के कारण किया गया। कानपुर रोड एलडीए कालोनी निवासी सुजान चौधरी का 18 अप्रैल, 2021 को कोरोना संक्रमण से निधन हुआ था। उनका भी विद्युत शवदाह गृह में अंंतिम संस्कार किया गया और अस्थि कलश को निशातगंज कब्रिस्तान में दफन किया गया था।