अमेरिका से मुकाबले को ईरान ने चीन से मिलाया हाथ, सामरिक संधि पर किए हस्ताक्षर |

अमेरिका से तनाव के चलते ईरान ने अब चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा ली हैं। तेहरान ने बीजिंग के साथ 25 साल का परस्पर सामरिक समझौता किया है। साथ ही अब व्यापारिक क्षेत्रों में भी चीन का निवेश बढ़ेगा। ईरान को उम्मीद है कि संधि के बाद अब परमाणु समझौते पर चीन उसके साथ खड़ा होगा। इस संधि पर शनिवार को चीन और ईरान के विदेश मंत्रियों ने हस्ताक्षर किए।

Iran, China Sign Economic, Security Agreement, Challenging U.S. Pressure -  WSJ

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि अब दोनों देशों के संबंध स्थाई और सामरिक रूप से और महत्वपूर्ण हो जाएंगे।ईरान ने कहा है कि वह अन्य देशों से संबंध बनाने का निर्णय स्वतंत्र रूप से करेगा। वो उन देशों में नहीं है, जिनके संबंध एक फोन कॉल के बाद बदल जाते हैं। वांग ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से भी मिले। ईरानी विदेश मंत्री के प्रवक्ता सईद खातिबजाद ने कहा कि संधि से दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक गतिविधियां, परिवहन के क्षेत्र में काम आगे बढ़ेगा। विशेषतौर पर प्राइवेट सेक्टर को गति मिलेगी।वैसे 2016 से ही चीन ईरान का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि चीन ईरान के 2015 के परमाणु समझौते के हितों को भी सुरक्षित करेगा। ज्ञात हो कि यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के साथ परमाणु समझौते को लेकर ईरान के संबंध बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति में हैं। 

हाल ही में ईरान के अर्धसैनिक बल रीवोल्यूशनरी गार्ड ने जमीन के अंदर मिसाइल संयंत्र की शुरुआत की थी। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक इस जगह का इस्तेमाल मिसाइलों को रखने के लिए किया जाएगा। मालूम हो कि साल 2011 के बाद से ईरान ने पूरे देश के साथ-साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज जलडमरूमध्य के पास स्थित दक्षिणी तट में भी जमीन के अंदर सामरिक महत्व के संयंत्रों की शुरुआत की थी। ईरान यह दावा करता रहा है कि उसके पास ऐसी मिसाइलें जो दो हजार किलोमीटर तक मार कर सकती हैं।  

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *