कोरोना के उपचार में शुगर की अनदेखी और उस पर स्टेरायड का अत्यधिक प्रयोग भी ब्लैक फंगस की वजह बन रहा है। अस्पताल आने वाले ब्लैक फंगस के ज्यादातर मरीजों में हाईपरग्लाइसिमिया की शिकायत यानी शुगर बढ़ी हुई देखी जा रही है। कोरोना के उपचार में सीधे स्टेरायड देना शुरू कर देते हैं। स्टेरॉयड से शरीर की इम्युनिटी कम होती है और ब्लैक फंगस के लिए यही स्थिति अनुकूल साबित होती है। वह कहते हैं कि किसी डायबिटीज के मरीज को जब स्टेरायड दी जाती है तो उसकी शुगर के स्तर की सतत निगरानी की जरूरत होती है। लगातार शुगर लेवल को दवाओं से चाहे वह इंसुलिन देकर अथवा ओरल दवा देकर नियंत्रित करना जरूरी होता है। हालांकि यह उन्हीं मरीजों में संभव हो पाता है जिन्हें पता है कि वह डायबिटीज से पीडि़त हैं। यही वजह है कि कई बार डायबिटीज मरीज जिसे यह पता ही नहीं कि वह हाईपरग्लाइसीमिया से ग्रस्त हैं स्टेरायड का अधिक इस्तेमाल घातक साबित होता है।
केजीएमयू के फैमिली मेडिसिन के हेड व फिजियोलॉजी विभाग के डा. नरङ्क्षसह वर्मा बताते हैं कि आज भी केवल 10 से 20 फीसद लोग ही डायबिटीज के प्रति सचेत हैं। ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जिन्होंने कभी शुगर की जांच ही नहीं कराई और यही लापरवाही कोरोना के उपचार में उन पर भारी पड़ रही है। वजह यह है कि डॉक्टर बगैर शुगर की जांच करें स्टेरायड दवा का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है। डा.वर्मा कहते हैं कि कोरोना महामारी में तो लोगों ने दवाओं का अधाधुंध प्रयोग किया। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नाम पर पूरे साल की दवा कुछ ही महीनों में खा डालीं। सेल्फ मेडिकेशन का आलम यह कि बुखार आने पर पूरे मोहल्ले ने एक ही पर्चे पर लिखी दवाई मंगा कर खाना शुरु कर दिया। ऐसे में स्टेरायड का भी बगैर जरूरत अंधाधुंध प्रयोग हुआ। ब्लैक फंगस की बड़ी वजह यह भी साबित हो रहा है।
डॉक्टरों का कहना हैै कि कोरोना के इलाज में मधुमेह की अनदेखी भारी पड़ रही है। लोहिया संस्थान के डॉ. विक्रम सिंह बताते हैं कि लोहिया आने वाले ब्लैक फंगस के ज्यादातर मरीजों में हाईपोग्लाइसीमिया की शिकायत भी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि मरीज चाहे गांव से आए या शहर से सभी में यह दिक्कत आम है।
डा. सिंह ने कहा इसका कारण स्ट्राइड का अधाधुंध प्रयोग है। वह कहते हैं कि स्ट्राइड के इस्तेमाल से शुगर बढऩे की समस्या हो सकती है लेकिन ग्रामीण इलाकों व शहर की बाहरी सीमा में कोरोना के इलाज में स्ट्राइड का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। यहां तक कि यह भी देखा गया है कि स्ट्राइड की दो-दो दवाएं इलाज के नाम पर मरीजों को दी जा रही हैं। वह कहते हैं कि आज भी ऐसे लोगों की संख्या बहुत है जिन्होंने शुगर की कभी जांच ही नहीं कराई। ऐसे में वह स्वयं इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उन्हें डायबिटीज है। वहीं कोरोना का इलाज करने वाले डाक्टर भी स्ट्राइड शुरू करने से पहले न तो यह पूछते हैं कि मरीज डायबिटिक तो नहीं। और न ही शुगर की जांच ही कराते हैं।