@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
- 2 फरवरी 2025 को दर्ज हुआ है मुकदमा संख्या 0043/2025 थाना अतर्रा। गत 17 दिसंबर की एफआईआर 0314/2024 दुष्कर्म के क्रम मे छोड़ी गई धाराओं पर एक नई रिपोर्ट दर्ज की गई है।
- गुलाबी गैंग कमांडर संपत पाल ने वर्ष 2016 की तर्ज पर पुनः चली चाल और राजाभैया यादव को दिया बैकफायर।
- संपत पाल ने बिना एफआईआर पढ़े ही महिलाओं पर लगाये एसपी दफ्तर मे कूटरचित आरोप। यह काम वह 1 मार्च 2016 मे पुराने केस 037/2016 विश्वकर्मा युवती के मामले पर भी की थी।
बाँदा। विद्याधाम समिति एवं चिंगारी संगठन प्रमुख राजाभैया यादव सहित 22 लोगों पर अतर्रा थाने मे एक मुकदमा दर्ज हुआ है। यह वाद राजाभैया की पीड़िता ग्राम बगदरी मानिकपुर निवासी दलित महिला ने लिखाया है। यह महिला 17 दिसंबर 2024 को राजाभैया पर दुष्कर्म का केस दर्ज करा चुकी है। उसका आरोप है कि उसके साथ 14 दिसंबर को कारित घटनाक्रम व अपहरण को थाना प्रभारी अतर्रा ने पहली एफआईआर मे समाहित नही किया था। जिससे मुझे यह पत्र देना पड़ा है। पीड़िता ने थाना प्रभारी सहित क्षेत्राधिकारी की जांचशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए है। उन्होंने आईओ और अभियुक्त पर सजातीय होने का आरोप भी लगाया है जिससे जांच लचर हो रही है। मिली जानकारी मुताबिक थाना अतर्रा अपराध संख्या 0043/2025 बीएनएस की धारा 140(3), 352, 356(2), 115 (2),123, 61(2), 3(5),आईटी एक्ट 66 व एससी. एसटी एक्ट 3 (2) (V) मे राजाभैया यादव,मुबीन खान, शिवकुमार गर्ग,शिराज अहमद, मुबीना खान सहित कुल 22 लोगों पर दर्ज हुआ है। जिसमे 5 पुरुष अभियुक्त अपहरणकर्ताओं मे शामिल है। वहीं महिलाओं को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2008 की धारा 66 का आरोपी बनाया गया है।
गौरतलब है इसके पूर्व भी गत 17 दिसंबर को राजाभैया से जुड़ी दोनों पीड़िताओं ने क्रमशः अतर्रा थाने मे ही मुकदमा अपराध संख्या 0314/2024 दुष्कर्म आदि की धारा मे व 0315/2024 छेड़छाड़ आदि मे लिखाया था। तीनो मामलों पर क्षेत्राधिकारी अतर्रा श्री प्रवीण कुमार यादव व अतर्रा थाना एसआई श्री काशीनाथ यादव जांच कर रहें है। लेकिन वे मुकदमों के लिखे जाने के दिन से ही अभियुक्तों के हमदर्द होने का आरोप झेल रहें है। जैसा दोनों पीड़िताओं ने 17 दिसंबर से पूर्व एफआईआर लिखने और दर्ज होने के बाद आला अधिकारियों को राजाभैया की गिरफ्तारी को लेकर प्रेषित किये है। बतलाते चले कि राजाभैया यादव के जांच कर्ताओं (आईओ सजातीय ) से कितने मधुर संबंध है यह इस बात से पुष्टि होती है जब पीड़ित 13 दिसंबर को तहरीर लेकर थाने जाते है और थाना प्रभारी दबिश देकर हिरासत मे लिए गए राजाभैया यादव को देररात किसी माननीय / पहुंच वाले व्यक्ति के हस्तक्षेप से छोड़ देते हैं। इसके बाद राजाभैया और क्षेत्राधिकारी श्री प्रवीण कुमार यादव,थाना प्रभारी श्री कुलदीप तिवारी, एसआई श्री काशीनाथ यादव ढाल की तरह अभियुक्त राजाभैया यादव के साथ प्रथम दृष्ट्या खड़े नजर आते है। उक्त दोनों पीड़िताओं के मुख्यमंत्री पोर्टल / आईआरजीएस मे प्रस्तुत शिकायत पत्र जिस तरह की आख्या के साथ आईओ निस्तारण कर रहें है वह उनकी नैतिकता / ईमानदारी को कटघरे मे खड़ा कर रहा है। इस तथ्य से माननीय उच्चन्यायालय भी वाकिफ है। बावजूद इसके चिंगारी संगठन और विद्याधाम समिति के मुखिया को बचाने व थाने बुलाकर उसकी खातिरदारी करने का दौर जारी है। इसकी बानगी के लिए 2 फरवरी की वो फ़ोटो साक्ष्य है जब अपहरण की तहरीर पर मुकदमा लिखने से पूर्व राजाभैया यादव सीओ अतर्रा थाने व 14 दिसंबर को अपराह्न भी थाना प्रभारी के दफ्तर मे मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि 14 दिसंबर की देरशाम ही ग्राम बगदरी, मानिकपुर निवासी दलित पीड़िता अचानक 3 दिन के लिए गायब कर दी जाती है जबकि दुष्कर्म का प्रार्थना पत्र थाने मे देने के बाद महिला सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होती है। इन तथ्यों दोनों जगहों के सीसीटीवी फुटेज से देखा जा सकता है। अतर्रा थाने के विभागीय सूत्रधारों ने पहले ही खबरवालों से खुलासा कर दिया है।
राजाभैया ने शकीला के पुत्र मुबीन से परिवाद दाखिल कराया-
विद्याधाम समिति / चिंगारी मुखिया ने फर्जी मुकदमों की विशेषता के क्रम मे एक बार फिर बाँदा न्यायालय मे पत्रकार सहित उक्त दोनों पीड़िता को एक साथ मुबीन खान की दुकान से 10 हजार रुपया चोरी की घटना मे आरोपी बनाया है। तब जबकिं दलित महिला व राजपूत महिला कानूनी रूप से एकदूसरे के दुश्मन है। इन्ही महिलाओं ने 31 मई वर्ष 2022 मे आशीष सागर पर छेड़छाड़ का केस राजाभैया यादव के इशारे पर लगाया था, तब यह चिंगारी की सदस्य थी। ऐसे मे पत्रकार और यह दोनो महिलाओं को एक साथ दिखाने की बतोलेबाजी राजाभैया ने मुबीन खान से कराई है। अलबत्ता यह वाहियात परिवाद तब दाखिल हुआ है जब कालिंजर चौकी मे 12 जनवरी की घटना दिखाकर शकीला व नजीर खान के पुत्र मुबीन ने एक कूटरचित शिकायत पत्र एफआईआर लिखने को दिया था। गौरतलब है नरैनी कोतवाली ने अपनी जांच व अभिलेख, साक्ष्यों के परीक्षण पश्चात न्यायालय मे आख्या भेज दी है। विद्याधाम समिति / चिंगारी के अधिवक्ता श्री द्वारिकेश मंडेला इसकी सतत पैरवी मे लगें है। संवाददाता के पास हाईकोर्ट मे राजाभैया यादव का वह कागज बतौर सबूत उपलब्ध है जिसमे वह अपनी बेटी शशि यादव, धर्मपत्नी रामप्यारी के साथ शिवकुमार गर्ग व अधिवक्ता द्वारिकेश सिंह यादव को सामाजिक कार्यकर्ता दिखाकर वेतन दे रहें है।
कौन है मुबीन खान-
वर्ष 2016 मे कालिंजर थाने अंतर्गत गुढ़ा कला से आगे स्थित मुस्लिम आबादी वाले गांव सुलखान का पुरवा मे राजाभैया यादव ने यूपी व केंद्र सरकार की पीडीएस योजना को धता बतलाते हुए ‘घास की रोटी’ खिलाने का मीडिया स्टंट कराया था। बाँदा के तत्कालीन डीएम श्री सुरेश कुमार प्रथम व एडीएम वित्त एवं राजस्व श्री दयाशंकर पांडेय को कटघरे मे लाने की साज़िश पर यह घास की रोटी खिलाकर माहौल बनाया गया था। इसकी खबरों को दिल्ली तक छपवाने मे सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार तक राजाभैया यादव की मेजबानी मे तमाशा कर रहें थे। घास की रोटी का यह पब्लिक स्टंट शकीला खान के घर पर किया गया था जो राजाभैया के चिंगारी की सदस्य है। संवाददाता ने 9 जनवरी 2016 के गांव कनेक्शन अखबार मे इसका खुलासा किया था। वहीं दैनिक हिंदुस्तान अखबार ने भी तत्कालीन बाँदा संवाददाता अमित त्रिपाठी के जरिये ‘चिंगारी मे सिकी घास की रोटी’ शीर्षक से खबर लिखकर डीएम रहे श्री सुरेश कुमार प्रथम व सरकार की छवि खराब होने से बचाई थी। जबकि राजाभैया के हितुआ दो-तीन पतनशील पत्रकार नवभारत टाइम्स मे फर्जी घास की रोटी खिलाकर आनंद ले रहे थे। मकसद साफ था विद्याधाम समिति को ईसाई मिशनरियों से विदेशी फंडिंग का जुगाड़ करना और भारत सरकार की छवि को धूमिल करके भुखमरी के इंडेक्स मे दुनियाभर तक देश की बदनामी प्रचारित करना। जैसा ज्यादातर एनजीओ फंड के लिए स्टंट करते रहते है।
गुलाबी गैंग कमांडर संपत पाल ने चला पुराना दांव-
वर्ष 2016 मे राजाभैया यादव पर ग्राम अनथुआ रहवासी एक विश्वकर्मा लड़की ने दुष्कर्म का मुकदमा अतर्रा थाने मे लिखाया था। यह लड़की भी विद्याधाम मे काम करती थी। लगातार यौन शोषण, अश्लील वीडियो क्लिप आदि के आरोप पर अपराध संख्या 037/2016 दर्ज हुआ था। यह एफआईआर संपत पाल व सपा नेता मधुसूदन कुशवाहा की मदद से लिखी गई थी। किंतु राजाभैया के दबाव पर पाला बदलते हुए यह लोग मेडिकल होने से पूर्व पीछे हट गए थे। गुलाबी गैंग कमांडर ने 1 मार्च 2016 को बाँदा एसपी व डीआईजी को पत्र देकर राजाभैया की चारित्रिक तारीफ मे विश्वकर्मा लड़की को झूठा साबित करने का कृत्य किया था।
संपत पाल का वह पत्र और खबर इस खबर के साथ चस्पा है। वहीं बाद मे पत्रकार ने उस युवती का सच के लिए साथ दिया जिससे राजाभैया और पत्रकार आशीष सागर की दुश्मनी और बढ़ गई। आज वर्ष 2025 मे पुनः गुलाबी गैंग कमांडर संपत पाल अभियुक्त राजाभैया यादव के साथ परोक्ष रूप से खड़ी है। इसकी बानगी 17 दिसंबर की वो ऑडियो है जिसमे वह अतर्रा निवासी राजपूत महिला ( राजाभैया की पीड़िता) को खुलेआम धमका रहीं है। वहीं बीते 3 फरवरी को बाँदा पुलिस अधीक्षक श्री अंकुर अग्रवाल जी की चौखट पर लावलश्कर के साथ उपस्थित संपत पाल ने राजाभैया यादव पर 2 फरवरी की एफआईआर को आधार बनाकर उसमे अपना नाम शामिल होने का स्टंट किया है।
उक्त दोनों पीड़िताओं ने मीडिया से कहा कि संपत पाल को राजाभैया यादव के हाईकोर्ट वाले अधिवक्ता ने गुमराह किया है ताकि संपत पाल उक्त दोनों महिलाओं से भिड़ जाएं और राजाभैया यादव एक बार फिर अपनी चालबाजी मे कामयाब होकर पुलिस व कानून को बौना साबित कर सके। उन्होंने कहा कि गुलाबी गैंग कमांडर को पहले 2 फरवरी 2025 की प्रथम सूचना रिपोर्ट पूरी पढ़नी चाहिए और अभियुक्तों की लिस्ट मे नाम भी देखने चाहिए। बाँदा प्रशासन व पुलिस अधिकारियों को असत्य बात बोलकर लंबित जांचों को प्रभावित करने की उनकी मंशा साल 2016 के हथकंडों का हिस्सा है। वह राजाभैया यादव को हरिश्चंद्र बतलाकर महिलाओं पर बेबुनियाद दोषारोपण कर रहीं है।