राकेश टिकैत अपनी बात पर अड़े, जानिए सरकार के साथ बातचीत को लेकर क्या कहा | Kisan Andolan Latest Update

केंद्र सरकार के तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे धरने को बुधवार को छह माह का समय पूरा हो गया। इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन की तरफ से धरना स्थलों पर काला झंडा लगाकर विरोध दर्ज कराया गया। यूपी गेट पर किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी मौजूद रहे। इस मौके पर उन्होंने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। कहा कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेगी किसान धरना खत्म करके वापस नहीं जाएंगे। इससे पहले सरकार के साथ जो भी बातचीत हुई थी, यदि सरकार फिर से बातचीत करना चाहती है तो बातचीत वहीं से शुरू होगी जहां पर पहले खत्म हुई थी। नए सिरे से नई रूपरेखा के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। किसान इसके लिए नहीं मानेंगे।

Empty statements will not benefit farmers, says Rakesh Tikait on PM's 'MSP  will stay' promise - India News

उन्होंने कहा कि जब आंदोलन शुरू हुआ तो सरकार ने कुछ दौर में बातचीत की थी, अब यदि वो फिर से बातचीत करना चाहती है तो बात वहीं से शुरू होगी जहां से खत्म हुई थी। इससे पहले कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने आंदोलन स्थल पर शामिल प्रदर्शनकारियों की कम संख्या को देखते हुए कहा कि यह आंदोलन 2024 तक भाजपा सरकार के रहने तक भी चल सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी पार्टी की होती तो शायद मांगों को मान लिया जाता। हमें इस आंदोलन की तैयारी वैसे ही करनी होगी जैसे तीन साल के लिए फसल की करते हैं। गांव में बैठे हुए लोग आएंगे नहीं तो आंदोलन कैसे चल पाएगा। खेत में जाए बिना फसल कैसे तैयार होगी।

उन्होंने कहा कि जैसे खेत की रखवाली करते हैं वैसे ही आंदोलन की करनी होगी। खुद ही झोपड़ी बनानी होगी। गांव से साधन लाने पड़ेंगे। आंधी-बारिश और गर्मी से निपटने के लिए पक्के टेंट की व्यवस्था करनी होगी। रस्सी, बांस, तख्त, चारपाई और ट्रालियां सब मजबूत चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव से लेकर दिल्ली तक संघर्ष तेज करना होगा, आंदोलन की भाषा सीखनी होगी। तारीख वह भी 26 ही थी, जब किसानों ने दिल्ली तक चार लाख ट्रैक्टर पहुंचा दिए थे। यह तारीख हर महीने आती है और ट्रैक्टर भी हैं।

अब 27 को फहराएंगे सफेद झंडा

कृषि कानून विरोधियों ने 26 मई को यूपी गेट पर काले झंड़े लहराए और यहां परिक्रमा की, सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की। अब किसान संगठन 27 मई को धरना स्थल पर सफेद झंडा लहराएंगे। उन्होंने आह्वान किया है कि किसान सफेद झंड़ा लगाकर शांति का संदेश दें। बताएं कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ ही वार्ता चाहते हैं। लेकिन नए कृषि कानूनों को वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा।

सरकार उन्हें कोरोना का सुपर स्प्रेडर कह रही है जबकि वो कोरोना के नियमों का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की हितैषी नहीं है इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। उनके नेतृत्व में यूपी गेट पर कृषि कानून विरोधियों ने सरकार का पुतला फूंका और काले झंड़े लेकर धरना स्थल पर नारेबाजी करते हुए परिक्रमा भी की।

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