हैदराबाद (Rns)| तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने पिछली बीआरएस सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ बिजली खरीद और भद्राद्रि व यद्राद्रि थर्मल पावर परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच के आदेश दिए। सरकार द्वारा सदन में श्वेतपत्र पेश करने के बाद ऊर्जा क्षेत्र पर बहस के दौरान बीआरएस विधायक और पूर्व ऊर्जा मंत्री जगदीश रेड्डी द्वारा दी गई चुनौती को स्वीकार करते हुए उन्होंने विधानसभा में यह घोषणा की।

उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ समझौते पर लड़ने के लिए हमें मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकाल दिया गया था। छत्तीसगढ़ समझौते पर तथ्य जारी करने के लिए एक अधिकारी को पदावनत कर सुदूर क्षेत्र में तैनात कर दिया गया।” पिछली सरकार ने यद्राद्रि थर्मल पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए बीएचईएल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा, कंपनी ने एक्सपायर्ड सब-क्रिटिकल तकनीक का इस्तेमाल किया और सरकार को भारी नुकसान हुआ। रेवंत रेड्डी ने कहा कि भद्राद्रि बिजली परियोजना में भी हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने अपने साढ़े नौ साल के शासनकाल में सदन में तथ्यों का खुलासा नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार ने पूरे ऊर्जा विभाग की जांच की और सदन में तथ्य पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के शासकों को तथ्यों को सम्मानजनक तरीके से स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 24 घंटे बिजली आपूर्ति पर सभी दलों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक तथ्य-खोज समिति का गठन करेगी।
उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि राज्य सरकार ने एक मेगावाट थर्मल पावर पैदा करने के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 9.7 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि झारखंड ने 5.5 करोड़ रुपये की लागत से इसे हासिल किया है। उन्होंने दावा किया था कि लागत में वृद्धि के परिणामस्वरूप, सरकार को भद्राद्रि संयंत्र में 4,538 करोड़ रुपये और यद्राद्रि में 9,384 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।