राहत का संबल लंबे समय से जिस पैकेज की उम्मीद लगायी

राहत का संबललंबे समय से जिस राहत पैकेज की उम्मीद लगायी जा रही थी,

बृहस्पतिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उसका खाका देश के सामने रख दिया।

निस्संदेह महामारी थामने को लगे लॉकडाउन के बाद देश के सामने जो आर्थिक संकट पैदा हुआ, सरकार ने उससे उबरने की कवायद की है।

कोशिश है कि रोजगार के नये अवसर सृजित हों, लोगों की क्रयशक्ति बढ़े तथा विनिर्माण से जुड़ी गतिविधियों में तेजी आए।

इससे पहले केंद्र सरकार मई में भी बीस लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा कर चुकी थी।

आत्मनिर्भर भारत तीन पैकेज के तहत कोशिश है कि महामारी से उबरते देश में नई नौकरियां पैदा की जा सकें।

कोशिश की गई है कि जिन लोगों की नौकरी इस संकट के दौरान गई है, उनको कुछ राहत दी जा सके।

संगठित क्षेत्र में ईपीएफओ में पंजीकृत कंपनियों में पंद्रह हजार के कम वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों को  इस योजना का लाभ मिलेगा।

अगले दो साल तक इन कर्मचारियों व सेवायोजक के हिस्से का एक निर्धारित पीएफ सरकार जमा करायेगी। सरकार ने इसके लिये सब्सिडी की घोषणा की है।

सरकार को इस बात का पता है कि जीडीपी में आई भारी गिरावट से उबरने के लिये अतिरिक्त प्रयास जरूरी हैं।

यही वजह है कि ईसीएलजीएस की सुविधा को 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाया गया है। यह स्कीम दबाव में चल रहे सेक्टरों को राहत देने का प्रयास है।

दरअसल, कामत समिति ने जिन 26 सेक्टरों को चिन्हित किया था, उन्हें इसके अंतर्गत मदद दिये जाने का प्रावधान है।

वहीं दूसरी ओर सरकार ने  शहरी पीएम आवास योजना में अठारह हजार करोड़ के अतिरिक्त व्यय से 18 लाख घरों को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

सरकार ने रियल एस्टेट में मांग को बढ़ावा देने के लिये डेवलेपर्स तथा घर के खरीदारों को आयकर में छूट देने का भी प्रावधान किया है।


दरअसल, सरकार इस बात से उत्साहित है कि अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में सकारात्मक रुझान देखा जा रहा है,

जिसमें बैंक क्रैडिट और शेयर बाजार में उछाल भी शामिल है।

सरकार चाहती है कि आर्थिकी को गति देने के लिये उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को बढ़ाया जाये, जिससे मंदी के खतरे को टाला जा सके।

यही वजह है कि वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जो घोषणाएं कीं, उनमें से सात आम लोगों से जुड़ी हैं।

इसमें करीब ढाई लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज में बारह क्षेत्रों को लक्षित किया गया है। सरकार की मंशा है

कि यदि रियल एस्टेट कारोबार में गति आयेगी तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वहीं स्टील और सीमेंट की मांग भी बढ़ेगी।

सरकार ने नई रोजगार सृजन योजना के तहत नई भर्ती करने वाले प्रतिष्ठानों को सब्सिडी देने की बात कही है।

इसके अंतर्गत उन कर्मचारियों को पुन: मौका देने का प्रयास है जो लॉकडाउन के दौरान रोजगार खो चुके हैं, जिसमें निर्धारित संख्या में नई भर्तियां जरूरी होंगी।

राहत पैकेज में हाल के कृषि सुधारों से नाराज चल रहे किसानों का भी ख्याल रखा गया है। पैकेज में कृषि क्षेत्र में फर्टिलाइजर के लिये 65000 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है।

सरकार की कोशिश है कि इस प्रयास से आगामी फसल चक्र के लिये उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।

इसके अतिरिक्त सरकार ने कोशिश की है कि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति दी जाये,  जिसके तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत दस हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

साथ ही कर्ज सहायता के जरिये निर्यात प्रोत्साहन के प्रयास हेतु तीन हजार करोड़ रुपये दिये जायेंगे। वहीं कोविड संकट से जूझ रहे

देश के लिये टीके पर शोध हेतु जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 900 करोड़ के अनुदान देने की भी घोषणा की गई है।

साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा उपकरण, औद्योगिक प्रोत्साहन, हरित ऊर्जा हेतु

पूंजीगत व औद्योगिक व्यय हेतु दस हजार करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। कोशिश यही है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटे।

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