
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
- आगामी 24 फरवरी से करेंगे एकसाथ रणनीतिक बैठक, यूपी विधानसभा मे क्षेत्रीय भाषाओं को मिला स्थान तो निखर उठी ‘बुंदेली बोली’।
- पिछले एक दशक से क्षेत्र के कुछ संगठन कर रहें है अलग बुंदेलखंड राज्य की प्रबल मांग।
- बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा, बुंदेलखंड राष्ट्र निर्माण समिति, बुंदेलखंड नवनिर्माण सेना, बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी, बुंदेलखंड किसान यूनियन ( आ-राजनैतिक) आदि लगातार बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाये जाने की आवाज बुलंद कर रहें है।
- यूपी के 7 और मध्यप्रदेश के 6 ज़िलों वाला बुंदेलखंड एकजुट हो यह मुख्य बात है। जबकि महाराजा छत्रसाल का ‘विंध्य बुंदेलखंड राज्य 23 ज़िलों तक था।
बाँदा। विंध्याचल बुंदेलखंड जिसको अतीत मे जेजाभुक्ति भी कहा जाता था। काले-नीले ग्रेनाइट की प्लाइट और मौसमी, सदानीरा पहाड़ी नदियों से समृद्ध रहा है। कालांतर मे चंदेलों की शौर्यगाथा से परिपूर्ण इस बुंदेलखंड की वीरता के किस्से महोबा क्षेत्र मे पृथ्वीराज चौहान और आह्ला-ऊदल की कहानियों मे पढ़ा जा सकता है।
बुंदेलखंड राज्य की मांग-

यूपी बुंदेलखंड के बाशिंदों ने एक दशक से बुंदेलखंड राज्य की मांग को धार देने का काम किया है। इसमे कई क्षेत्रीय संगठन शामिल है। जिसमे बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा,बुंदेलखंड नवनिर्माण सेना,बुंदेलखंड राष्ट्र समिति, बुंदेलखंड किसान यूनियन आदि शामिल है। हाल ही मे दो माह पूर्व बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला के नेतृत्व मे बुंदेलखंड राज्य निर्माण को लेकर एक ‘पदयात्रा’ का आयोजन भी हुआ था। इसका नारा था ‘बुंदेलखंड गांव-गांव-पांव-पांव’। वहीं गाहेबगाहे अन्य लोग, युवा नेतृत्व भी अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग करता रहता है। लेकिन मध्यप्रदेश बुंदेलखंड मे राजनीतिक और आम नागरिक के बीच अभी इस मुद्दे पर एकरूपता नही है। विंध्याचल यूपी-एमपी क्षेत्र के 13 ज़िलों मे विस्तार लिए वर्तमान बुंदेलखंड के पास महज 6 फीसदी कृषि क्षेत्र है। जिसमे कई हेक्टेयर खेतिहर भूमि परती है। वहीं ग्रेनाइट-पहाड़ों के उत्खनन की डस्ट से खेतों की उपज घटी है। बाँदा, चित्रकूट, महोबा, झांसी, ललितपुर,जालौन औऱ छतरपुर, पन्ना तक केन नदी,बेतवा नदी, यमुना नदी धसान नदी,उर्मिल नदी,पहुंज नदी,बाघेन नदी, मंदाकिनी नदी मे भारी मात्रा पर मौरम उत्खनन होता है। यह भी नदियों को खत्म कर रहा है। करीब 10 हजार करोड़ का खनन राजस्व देने वाला बुंदेलखंड आज जल संकट, किसान आत्महत्या, पलायन, बेरोजगारी को कुख्यात है। जबकि यहां की ऐतिहासिक पर्यटन विरासत और जल प्रबंधन कला को संरक्षण करके केंद्र व राज्य सरकार बुंदेलखंड को खुशहाल कर सकती है। गौरतलब है इन्ही परिस्थितियों से स्थायी समाधान को केंद्रित करके स्थानीय रहवासियों ने माननीयों से ‘पृथक बुंदेलखंड की मांग’ मुखर की है।

यूपी बुंदेलखंड के सात विधायक एकजुट-

पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को राजनीतिक स्तर पर तेज करने के मद्देनजर यूपी बुंदेलखंड के सात विधायक एकजुट है। मिली जानकारी मुताबिक बुंदेलखंड अलग राज्य को लेकर उत्तरप्रदेश बुंदेलखंड के 7 विधायकों ने एक साथ मंत्रणा की है। इन 7 विधायकों ने पहली बैठक कर अलग राज्य की मांग को गति देने को आगामी 24 फरवरी को रणनीति बनाने का संकेत किया है। इस बैठक मे सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी से मौजूद रहे महोबा सदर विधायक राकेश गोस्वामी, बृजभूषण राजपूत गुड्डू भईया (विधायक चरखारी), रामरतन कुशवाहा (विधायक ललितपुर सदर), रवि शर्मा (विधायक झांसी सदर), जवाहर राजपूत (विधायक गरौठा), मूलचंद निरंजन, (विधायक माधवगढ़), विनोद चतुर्वेदी (विधायक कालपी) रहें है। सभी ने आगामी 24 फरवरी को बुंदेलखंड के सभी विधायकों की अलग राज्य को लेकर अहम बैठक का वादा किया है। उधर बाँदा, चित्रकूट, के विधायक अभी मौन है। देखना काबिलेगौर होगा कि बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा कितना मुकम्मल होता है। वैसे भी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जी यूपी को 4 छोटे राज्यों मे विभाजित करने का नक्शा पहले ही बतला चुकी है। इधर विधानसभा मे क्षेत्रों की बोली को जगह मिल गई है जिसमें बुंदेली बोली भी शामिल है।