विजयबहादुर का नया पब्लिक स्टंट,राजाभैया ने सिखा दिये करतब... | Soochana Sansar

विजयबहादुर का नया पब्लिक स्टंट,राजाभैया ने सिखा दिये करतब…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

बाँदा। सेवानिवृत्त अध्यापक रहे विजयबहादुर (पूर्व प्रधान अतर्रा ग्रामीण) ने अपनी रुकी पेंशन को पाने के लिए प्रशासन को रिझाने के लिए क्रांतिकारी चोला धरकर भेष बदला है। बदन पर क्वीन कलर के कपड़े पर मुख्यमंत्री योगी जी को संबोधित बात लिखी है। यह अलग बात है कि उक्त लिबासी बैनर पर योगी जी भी गलत (योगि) लिखा है। अब सेवानिवृत्त अध्यापक की हिन्दी वर्तनी मे इतनी गलती तो राजाभैया के करतबों पर चलती है। कभी बिल्हरका ग्रामपंचायत मे गहरार नाले को नदी बना देने वाले शोमैन से इतनी उम्मीद तो की जानी चाहिए। समाजसेवा के कथित भगीरथ ने उड़ दौर मे डीएम हीरालाल के रहते कोविड काल मे जो स्टंट किये थे सार्वजनिक है। फिर तत्कालीन सीडीओ की प्रेसवार्ता भी काबिलेगौर की जानी चाहिए।

अलबत्ता लखनऊ मार्च का बिगुल फूंकने वाले मजदूरों के कंधे से सत्ता को नीचा दिखाना चाहते थे। जैसे बाँदा डीएम रहे श्री सुरेश कुमार प्रथम के कार्यकाल मे मीडिया नाबदान से निकली सुलखान के पुरवा/नौगंवा मे मुस्लिम समुदाय के मध्य शकीला के झंझट से घास की रोटी खाते लोगों के मार्फ़त जांबाज योद्धा महाराणा प्रताप का कालखंड याद दिलाया था !!! गौरतलब है हाल ही मे इसी विजयबहादुर पूर्व प्रधान अतर्रा ग्रामीण ने एक कथित प्रार्थना पत्र पर 30 अक्टूबर की घटना दिखाकर 1 अक्टूबर को थाना अतर्रा मे क्रमशः चंद्रशेखर राजपूत व उसके पुत्र विद्यार्थी अक्षय राजपूत पर 10 लाख रुपया रंगदारी मांगने का आरोप लगाकर पत्र दिया है।

विजयबहादुर ने बाकायदा खुद को गरीब लिखते हुए आलोकित किया है। तब जबकिं वह सेवानिवृत्त अध्यापक व पूर्व प्रधान भी है। क्या विजयबहादुर का वेतन भी रुका पड़ा है ? अथवा झोला ऊठाकर चल देने वालों की जुगाली मे पूर्व प्रधान ने इतनी बड़ी ग्रामपंचायत मे एक रुपया का भ्रस्टाचार नही किया है ? खैर पेंशन जारी करवाने को अनशनकारी चोला धरकर विजयबहादुर ने बाँदा अशोक लाट तक आने की बात लिबासी बैनर पर लिखवाई है। उल्लेखनीय है विजयबहादुर 302 के कत्ल केस मे उम्रकैद सजायाफ्ता है। व हाईकोर्ट से बेलेवेल है। वहीं दलित महिला के साथ दिसंबर-फरवरी माह मे हुई चिंगारी कांड का सहअभियुक्त भी रहा है। जिसको अतर्रा वाले खाकी के रहनुमा ने बड़ी साफगोई से चार्जशीट से बाहर कर दिया। अबकी विजयबहादुर पेंशन की क्रांति पर गांधीवादी तरीका इख्तियार करते हुए आंदोलन की राह पर है लेकिन उनके मुताबिक आयुक्त महोदय के आश्वासन पर फिलहाल क्रांति मार्च रुका है। बतलाते चलें कि विजयबहादुर ने पेंशन रोकने का जिम्मेदार बेसिक शिक्षा अधिकारी को बताया है। जिन पर 1 लाख रुपया मांगने का आरोप लगाया है। नही देने पर विजयबहादुर की पेंशन फ़ाइल एडी बेसिक प्रयागराज को भेज दी गई। विजय के मुताबिक इसके दोषी सहायक डीजीसी क्रिमिनल जितेन्द्र कुमार परिहार है। जिलाधिकारी व सीएमओ ने इस पर जांच मे टिप्पणी भी की है। देखना यह होगा कि प्रायोजित अनशनकारी क्रांति के पहरुआ गांधीवादी रस्ते पर कितनी दूर तक टिके रहतें है। निकट भविष्य मे ऐसे और नए-नए करतबों की बाढ़ आ सकती है। मुद्दा भी नया और पुराना हो सकता है।

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