@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
- जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर गरीब निराश्रित महिला ने मुख्यमंत्री आवास बनवाने हेतु जमीन दिलवाए जाने की मांग उठाई।
बांदा। आज 27 दिसंबर 2024 को बाँदा जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच सुशीला अनुरागी पत्नी ब्रजविहारी निवासी ग्राम पंचायत महुवा ने जनपद बांदा प्रार्थना पत्र के माध्यम से बताया कि मेरा पति करीब 30 साल पहले घर से निकाल दिया था। जिस पर मैंने लोक लाज मर्यादा को बचाए रखते हुए अपने दिव्यांग बेटे को लेकर अपने भाई के यहां रहती थी।वही सुशीला ने बताया कि एक वर्ष पहले हमारे दिव्यांग बेटे का मुख्यमंत्री आवास पास हो गया है। जबकि हमारे पास आवास बनवाने के लिए जमीन नहीं है। उन्होंने बताया कि हमारा दिव्यांग बेटा बिहारी लाल कई बार प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी बांदा को दे चुका है, लेकिन आज तक आवास बनाने के लिए जमीन नहीं दिलाई गई है। जबकि ग्राम पंचायत महुवा में ग्राम पंचायत की काफी जमीनें पड़ी हुई है। उसको गांव जो दबंग लोग है वे कब्जा किए हुए है। पीड़ित परिवार ने कहा कि हम लोगो को मुख्यमंत्री आवास बनाने हेतु जमीन दिलाया जाना न्याय हित में होगा। पीड़ित व शिकायत कर्ता सुशीला देवी ने मीडिया से रूबरू होकर कहा की अगर हमारी जांच कराकर 5 दिन के अंतर्गत जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाती तो हम अपने दिव्यांग बेटे विहारीलाल के साथ अशोक लाट में आमरण अनशन करने पर मजबूर हो जाएंगे। जिसकी जिम्मेदारी सम्पूर्ण शासन और प्रशासन की होगी। गौरतलब है यह परिदृश्य गांव की उस भ्रष्ट व्यवस्था को उजागर करता है जिसने बाँदा सहित उत्तरप्रदेश के गांव-गांव मे वाजिब लाभार्थियों को दरकिनार करके पहुंच व जुगाड़तंत्र मे फिट अपात्रों को पीएम शहरी एवं ग्रामीण आवास दिये है लेकिन गरीब आज भी भटकने को मजबूर है। यह खामियां डीएम की चौखट पर पहुंचने से पूर्व यदि एसडीएम स्तर पर निस्तारण हो तो मुख्यमंत्री का सपना मुकम्मल हो सकता है।