राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर पिछले साल जैसे हालात नजर आने लगे हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के साथ अब मुख्यमंत्री अशाक गहलोत समर्थक विधायकों का भी धर्य जवाब देने लगा है। करीब ढ़ाई साल पुरानी गहलोत सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतक नियुक्तियां नहीं होने से विधायकों में नाराजगी बढ़ने लगी है। पिछले साल बगावत करने वाले कांग्रेस विधायक एक बार फिर पायलट पर निर्णायक लड़ाई के लिए दबाव बना रहे हैं। पिछले दो दिन में आधा दर्जन विधायकों के साथ ही अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पायलट से मिलकर कहा कि वे पार्टी आलाकमान से साफ बात करें कि वे एक साल पहले हुए समझौते के अनुसार गहलोत सरकार में फैसले करवाएगा या फिर उन्हे कोई दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा। दूसरा रास्ता बगावत को हो सकता है।
पायलट के विश्वस्त विधायकों में शामिल रमेश मीणा व वेदप्रकाश सोलंकी ने पिछले कुछ दिनोें में सीएम गहलोत के समर्थकों से संपर्क साधा है। एक विधायक ने दावा किया कि गहलोत समर्थक 4 विधायक उनके साथ खुलकर आने को तैयार है। अधिकांश विधायक मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर नाराज है । विधायकों और संगठन के नेताओं में प्रदेश प्रभारी अजय माकन को लेकर भी नाराजगी बढ़ती जा रही है। माकन ने 10 माह में 4 बार सार्वजनिक रूप से सत्ता व संगठन में विस्तार का आश्वासन दिया। लेकिन गहलोत से फैसले कराने में नाकाम रहे। इन विधायकों व नेताओं ने अब माकन से बात करने से ही इंकार कर दिया। सरकार से नाराज चल रहे कांग्रेसियों का कहना है कि अब राहुल गांधी से सीधी बात होनी चाहिए।
गहलोत खेमे के इन विधायकों ने जताई नाराजगी
पिछले साल पायलट खेमे की बगावत के समय सीएम गहलोत के साथ रहने वाले वरिष्ठ विधायक अमिन खान, मदन प्रजापत, बाबूलाल बैरवा, इंदिरा मीणा, रामलाल मीणा और राजेंद्र गुढ़ा इन दिनोें नाराज चल रहे हैं। अमिन खान, बैरवा, प्रजापत और मीणा ने विधानसभा और बाहर मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। इन विधायकों ने मंत्रियों पर कांग्रेसियों से नहीं मिलने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने तक के आरोप लगाए। बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने वाले गुढ़ा भी नाराज है। सूत्रों के अनुसार गुढ़ा को बसपा विधायक दल के कांग्रेस में विलय के कुछ दिनों बाद ही मंत्री पद देने का आश्वासन दिया गया था,लेकिन वह अब तक पूरा नहीं हो सका।
पायलट समर्थक ये विधायक संभाल रहे मोर्चा
6 बार विधायक रहे हेमाराम चौधरी ने सरकार में सुनवाई नहीं होने से नाराज होकर पिछले दिनों विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष विचाराधिन है। पायलट समर्थक अन्य विधायक रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा, पी.आर.मीणा, राकेश पारीक,वेदप्रकाश सोलंकी खुलकर अपनी ही सरकार को घेरते रहे हैं। इन विधायकों ने सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए हैं।
सूत्रों के अनुसार लॉकडाउन समाप्त होने के बाद जून के दूसरे सप्ताह में विधायक और पार्टी नेता दिल्ली जाकर राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। उधर गहलोत के कोरोना प्रबंधन से पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी,पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा काफी खुश बताए जाते हैं। देश में सबसे पहले आरटी-पीसीआर टेस्ट शुरू कराने, नि:शुल्क वैक्सीनेशन के लिए ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने और सीएम के नियमित समीक्षा करने को लेकर राष्ट्रीय नेता तारीफ कर रहे हैं।