कोरोना वायरस के खिलाफ अमेरिका दुनिया की पहली दवा बनाने की योजना बना रहा है। बाइडन प्रशासन एंटीवायरल दवा विकसित करने के लिए 3.2 अरब डॉलर देने जा रहा है। अगर अमेरिका यह दवा बनाने में सफल रहा तो कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में बहुत आसानी हो जाएगी। साथ ही यह कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की पहली कारगर दवा होगी।
3.2 अरब डॉलर में से 50 करोड़ डॉलर शोध और विकास के लिए
फाउची ने कहा कि 3.2 अरब डॉलर में से 50 करोड़ डॉलर शोध और विकास तथा एक अरब डॉलर प्री क्लिनिकल ट्रायल और क्लिनिकल ट्रायल के लिए प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 70 करोड़ डॉलर का इस्तेमाल निर्माण के लिए किया जाएगा। साथ ही एक अरब डॉलर का इस्तेमाल नए एंटीवायरल ड्रग डिस्कवरी सेंटर का निर्माण करने के लिए किया जाएगा। गौरतलब है कि दुनिया में हेपिटाइटिस बी और एड्स जैसे कई वायरस का इलाज दवा के जरिए किया जा सकता है।
कोरोना वायरस के लिए कोई दवा नहीं
हालांकि, अभी तक कोरोना वायरस के लिए किसी तरह की दवा नहीं है। कोरोना से निपटने के लिए अमेरिका में केवल रेमडेसिविर ही एकमात्र दवा है। इसे कोरोना संक्रमितों के मरीजों के इलाज में मंजूरी दी गई है। इसे भी इंजेक्शन से देना पड़ता है। इस नए कार्यक्रम एंटी वायरल प्रोग्राम फॉर पैनडेमिक्स के जरिए दवाओं के शोध के लिए खाली जगह को भरा जा सकेगा। फाउची ने कहा कि उनको उस दिन का इंतजार है, जब किसी इंसान को कोरोना संक्रमण होता है और वह तत्काल दवा की दुकान से इसकी दवा लेकर खा लेता है। दुनिया में इस समय कई दवाओं का परीक्षण चल रहा है। इसमें एक फाइजर की भी दवा शामिल है।
दुनिया में कोरोना के 17.73 करोड़ से ज्यादा मामले
पूरे विश्व में कोरोना के मामले बढ़कर 17.73 करोड़ हो गए हैं। इस महामारी से अब तक कुल 38.4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। वर्तमान कोरोना के मामले और मरने वालों की संख्या क्रमश: 177,355,602 और 3,840,181 है। दुनिया में सबसे ज्यादा मामलों और मौतों की संख्या क्रमश: 33,508,384 और 600,933 के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है। कोरोना संक्रमण के मामले में भारत 29,700,313 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।
गंभीर रूप से बीमार होने से पहले ही रोग को निष्क्रिय कर देगी दवा
राष्ट्रपति बाइडन के सलाहकार व अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फाउची ने इस योजना के लिए अरबों डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। इस पैसे के जरिए विभिन्न दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल को तेज किया जाएगा। यह दवा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के गंभीर रूप से बीमार होने से पहले ही उसको बेकार कर देंगी। अगर यह ट्रायल सफल रहता है तो इस साल के आखिर तक दुनिया में कोरोना वायरस की पहली दवा सामने आ सकती है।