अमित शाह,’ हम नारे लगाते थे असम की गलियां सूनी है इंदिरा गांधी खूनी है..’ | LATEST NEWS

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज असम में असम में उन्होंने भाजपा के नए प्रदेश कार्यालय के उद्घाटन के दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उनके साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद रहे। अपनी इसी संबोधन के दौरान कार्यकर्ताओं को अमित शाह ने अपने विद्यार्थी जीवन की कहानी सुनाई जब वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य थे और असम के दौरे पर गए थे। अमित शाह ने कहा कि मैं यहां विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में आया था तब हमें हितेश्वर सैकिया (असम के पूर्व CM) ने बहुत मारा था… हम नारे लगाते थे असम की गलियां सूनी है इंदिरा गांधी खूनी है। उस वक्त कल्पना नहीं थी कि भाजपा अपने बूते पर 2 बार जीतकर यहां सरकार बनाएगी।

अपने संबोधन में शाह ने कहा कि असम की भूमि को कांग्रेस ने कई साल तक आतंकवाद, विघटन, आंदोलन और हड़ताल की भूमि बना दिया था। यहां पर न विकास हो रहा था ना शिक्षा हो रही थी, न शांति थी। आज मुझे खुशी है कि 2014 से पूरा नॉर्थ ईस्ट विकास के रास्ते पर चल पड़ा है। उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट का विकास और भाजपा का नॉर्थ ईस्ट में विकास दोनों समांतर चल रहा है। शाह ने कहा कि आज असम में मैं गृह मंत्री के नाते नहीं आया हूं, मैं आज यहां भाजपा के एक कार्यकर्ता के नाते आया हूं। असम की महान भूमि को कांग्रेस ने विघटन की, आतंकवाद की, हड़तालों की, आंदोलनों की भूमि बनाया था। उन्होंने कहा कि मुझे आज बहुत हर्ष है कि 2014 से लेकर 2022 के अल्प काल में आज पूरा नॉर्थ ईस्ट और हमारा असम विकास के रास्ते पर चल पड़ा है।

वहीं, खानापारा में कार्यकर्ता सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ये कांग्रेसी जहां पर भी बैठे हैं वो सुन ले, जवाहर लाल नेहरू ने 1962 में जब चीन की लड़ाई हुई थी तब बाय बाय असम कह दिया था। उसके बाद से कांग्रेस वाले भूल ही गए थे कि उत्तर-पूर्व भी कोई चीज है। उन्होंने कहा कि यहां पर जिस प्रकार का अलगाववाद हुआ था, मोदी जी बिना किसी भाषण के उसमें परिवर्तन लाए। कांग्रेस के शासन में भारत को तोड़ने की प्रक्रिया हुई और कांग्रेस मूकदर्शक बनी रही। मोदी जी ने आकर भारत को तोड़ने की प्रक्रिया को बंद कर भारत को जोड़ने का काम किया है।

गृह मंत्री ने कहा कि मेरे जैसे कार्यकर्ता के लिए ये सौभाग्य का विषय है कि नॉर्थ ईस्ट का विकास और नॉर्थ ईस्ट में भाजपा का विकास दोनों एक साथ चले हैं। लोग हमेशा चिंतित रहते थे कि अगर असम को समावेशी विकास नहीं मिला तो यह उत्तर पूर्व के लिए एक बड़ी समस्या होगी। अंतर्निहित कारण कांग्रेस थी, जो हमेशा असम की पवित्र और शांतिपूर्ण भूमि को विभाजनकारी बनाने की इच्छुक थी। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता के लिए कार्यालय कोई भवन नहीं होता है, कार्यालय भावनाओं का एक पुलिंदा होता है। यहां कार्य का रेखांकन होता है, यहीं पर भाजपा पूरे नॉर्थ ईस्ट की और असम के विकास की योजनाएं बनती हैं।

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *