बाईपास से लगी सोना खदान का पट्टेधारक परेशान,ई-रिक्शा और मोटरसाइकिल के अवैध खनन से हलकान... | Soochana Sansar

बाईपास से लगी सोना खदान का पट्टेधारक परेशान,ई-रिक्शा और मोटरसाइकिल के अवैध खनन से हलकान…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा

  • बांदा में सोना खदान एक बार फिर से चलनी है लेकिन छुटभैये क्षेत्रीय बालू व्यापारी मसलन कनवारा, झील का पुरवा, मोहन पुरवा, दुरेड़ी बाईपास आदि के रहवासियों ने वर्ष 2018 से सोना खदान जो करिया नाला हनुमान जी मार्ग पर है। वहां बालू की लूट बाजार बनाया हुआ है। कृषि विश्वविद्यालय चौकी की सेटिंग से यह ई रिक्शा के जरिये बालू बिचवाते है। प्रतिदिन विगत 7 साल से बिना रॉयल्टी यह अवैध खनन सोना खदान एवं बाईपास पुल के नीचे होता है।

बाँदा। जिले में “सोना खदान का लाल सोना सरेआम दिन दहाड़े लुट रहा है और प्रशासन इस ओर नहीं दे रहा है। बतलाते चले कि विगत 2018 से यह छुटभैया बालू कारोबार का मुख्य केंद्र है। ई-रिक्शा बालू व्यापार ने ट्रैक्टर वालों का रोजगार खत्म कर दिया है। वहीं इस सोना खदान का पट्टेधारक निषाद अब परेशान है। गौरतलब है कि आगामी जनवरी 2025 से खदान शुरू होनी है यह खबर है। उधर इसके पहले छुटभइया दबंगों और 2018 से यह रोजाना अवैध बालू व्यापार बिना रवन्ना करने वाले अवैध खनन करते है।
बकौल पट्टा धारक निषाद बंधु गण हमारी इस हालत मे प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

कौन है इस बाईपास बालू बाजार का मास्टर माइंड –

केन नदी को सीएम योगी के रहते इस तरह चौतरफा अवैध उत्खनन का केंद्र बनाना कितना जायज है यह तो अधिकारी ही बतला सकते है। वहीं खनिज का खजाना लूटा जा रहा है और उनके प्रशासनिक ज़िम्मेदार खामोशी से सारा नजारा देख रहे है।
इस सोना खदान के लाल सोने की लूट को मार्च 2018 के बाद मजबूत किया गया था। जब खपटिहा कला के 40 किसानों की बैलगाड़ी बालू निकासी पर सीज हो गई थी। तब बाँदा के सामाजिक कार्यकर्ता आंदोलन किये थे। तत्कालीन डीएम रहे महेंद्र बहादुर सिंह व एडीएम गंगाराम गुप्ता को आंदोलन से ज़िले मे आये प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने सर्किट हाउस मे फटकार लगा दी। निर्देश दिया कि किसानों की बैलगाड़ी व साइकिल बालू पर सीज नही होगी। वे न तो रोड टैक्स देते है और न ही उनमें कोई आरटीओ नम्बर व चेचिस नम्बर है। अलबत्ता इस आदेश का यह खामियाजा हुआ कि प्रशासन ने कृषि विश्वविद्यालय से आगे बाईपास मार्ग पर होने अवैध खनन जो मोटरसाइकिल वाले खोली मे भरकर बालू ढोते है और शहरी ई रिक्शा के बालू व्यापार को पोषित कर दिया। यह बाजार बाँदा की सोना खदान के लिए मुसीबत बन चुका है। आज बिना रॉयल्टी इस मोटरसाइकिल और ई रिक्शा मौरम धंधे को रोक पाना सोना खदान पट्टेधारक और खनिज अधिकारी के लिए टेढ़ी खीर है। अब तक सैकड़ों ट्रक बालू 7 साल मे ई रिक्शा व मोटरसाइकिल वालों ने चोरी की है और सब खामोश है।

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