- जसपुरा क्षेत्र के अमारा, गौरीकला आदि गांवों के रहवासी 4 दिसंबर को ज़िला मुख्यालय आकर प्रशासनिक अधिकारी को दिए ज्ञापन।
- किसान नेता पुष्पेन्द्र सिंह चुनाले के नेतृत्व मे अन्य किसानों ने दिया शिकायत पत्र।
- ग्रामीणों का आरोप उक्त दोनों खदान से ओवरलोडिंग के चलते मुख्य गांव की सड़कों पर हादसों की आशंका व स्कूलों मे आने-जाने वाले बच्चों को परेशान होना पड़ता है।
- केन नदी मे मड़ौली खुर्द और खपटिहा कला खदान लीज डीड व खनिज एक्ट, पर्यावरण एनओसी, एनजीटी के दिशानिर्देश को ताक पर रखकर रातदिन प्रतिबंधित मशीनों से खनन कर इलाके की जैवविविधता को प्रभावित कर रही है।
बाँदा। यूपी के जिला बाँदा मे लाल मौरम खदानों का सावन चल रहा है। लाल बालू, मौरम की निकासी खदान से एनआर व रवन्ना दोनों होती है। इसका उदाहरण बीते सप्ताह संयुक्त जांच टीम की आख्या व जुर्माना कार्यवाही है। लगभग हर खदान नियम विरुद्ध बेधड़क चल रही है। बीते 4 दिसंबर को जिला मुख्यालय आकर जसपुरा क्षेत्र के किसानों ने किसान नेता पुष्पेन्द्र चुनाले के नेतृत्व मे शिकायत पत्र दिया। उन्होंने मड़ौली खुर्द और खपटिहा कला मौरम खदान पर प्रशासन से न्यायसंगत कार्यवाही की मांग उठाई। मांगपत्र अनुसार किसानों मे धनंजय सिंह ने बतलाया कि गौरी कला,अमारा आदि गांवों से मड़ौली खुर्द खदान रातदिन ओवरलोड ट्रक निकाल रही है। खदान संचालक के प्रभाव मे कार्यवाही नही होती है। जब से संयुक्त जांच टीम की आख्या पर जुर्माना लगाया गया है तब से राजस्व क्षति पहुंचाने की नियत से मड़ौली खुर्द, खपटिहा कला, थाना मटौंध की मरौली खंड 5 व 2 मे आप पोकलैंड की ग़दर देख सकते है।
इस साल दिसंबर माह मे सर्दी उतनी नही पड़ रही जो होनी चाहिए। वैश्विक जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा देश भविष्य मे जलसंकट, कार्बन उत्सर्जन से तबाह होगा। लेकिन बाँदा मे मौरम कारोबारी सांठगांठ से नदी की जलधारा मे सारे नियम ताक पर रखकर भारी उत्खनन कर रहें है। किसान नेता पुष्पेंद्र चुनाले मुताबिक नाम न लिखने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि जुर्माना इसलिए किया गया है कि सरकार को भरोसे मे लिया जा सके। कम जुर्माना इसलिए हुआ ताकि काम बंद न हो। बाकी अवैध खनन तो चलता रहेगा। हलात ये है कि नवंबर-दिसंबर मे ही केन जलधारा टूटने लगी है। मड़ौली खुर्द से बेपरवाह निकलते ओवरलोड वाहन ग्रामीण लोगों को कभी भी जान-माल का नुकसान दे सकते है। वहीं स्कूलों के बच्चों को आवागमन मे दिक्कत होती है। फिलहाल प्रशासन के एक अधिकारी ने यह ज्ञापन लेकर देहरी पर आए किसानों को कार्यवाही का आश्वासन दिया है। किसानों का आरोप है कि खदानों मे खनिज एक्ट की उपधारा 41 ज, लीज डीड शर्ते, पर्यावरण एनओसी, एनजीटी की गाइडलाइंस औंधे मुंह शर्मिंदा होकर खदानों को निहार रही है।