@आशीष कुमार / आशीष सागर
- बाँदा नवाब अली बहादुर ने 18 वीं शताब्दी मे इस तालाब को शहर मे जलसंकट से निजात दिलाने हेतु बनवाया था तब बाँदा मे सूखा पड़ा था।
- पूर्व जिलाधिकारी श्री हीरालाल इसका नाम परिवर्तन कर ‘अटल सरोवर’ भी कर चुके है लेकिन स्थानीय बाशिंदों मे नवाब टैंक ही बोला जाता है।
- बसपा सरकार मे कैबिनेट मंत्री रहे श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने यहां एक सर्किट हाउस निर्माण कार्य के साथ लगे इस नवाब टैंक पर डेढ़ करोड़ रुपये से सुंदरीकरण कराया था।
- बीजेपी सरकार मे ज़िले के 10 ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन स्थल के शक्ल मे विकसित करने की योजना है।
बाँदा। बाँदा नवाब अली बहादुर के शासन मे विंध्याचल पट्टी मे बसे बाँदा को जलसंकट से उबारने के दृष्टिकोण से शहर के बाहरी भूभाग पर एक विशाल जल सरोवर “नवाब टैंक” का निर्माण कराया गया था। जानकार व इतिहास का अध्ययन करने वाले बतलाते है कि 18 वीं शताब्दी मे बाँदा सूखे की चपेट मे था। बाँदा नवाब ने नवाब टैंक से पहले अतर्रा मार्ग पर स्थित बाबू साहब तालाब जिसका पूर्ववर्ती नाम बाबू राव गोरे तालाब था का निर्माण कराया था। बाबू साहब तालाब के दक्षिणी दिशा मे बने उस वक्त के नवाबी घाट इसकी तस्दीक करते है।
बाबू साहब तालाब को बाँदा नवाब के कारिंदे बाबू राव गोरे जो मूल निवासी महाराष्ट्र से थे अपनी देखरेख मे बनवा रहे थे। इसलिए यह उन्ही के नाम से आसपास की आबादी मे आम बोलचाल पर चर्चित था। बाँदा नवाब जब एक रोज इस तालाब के भ्रमण को आये तो लीगो से अपने नाम की जगह कारिंदे की तालाब निर्माण कार्य से जुड़ी प्रसंशा सुनकर अतिश्योक्ति मे पड़ गए। उन्होंने इस तालाब का काम रुकवा दिया और फिर बाँदा नवाब ने “नवाब टैंक” की बुनियाद डाल दी फिर नवाब टैंक अस्तित्व मे आया। इन ऐतिहासिक कहानियों से जुड़े तालाब के सारे दस्तावेज खाशकर बाबू साहब तालाब की वसीयत, सदर तहसील राजस्व रिकार्ड, तालाब कब्जा पर आमजन की शिकायत के बाद तत्कालीन लेखपालों की जांच आख्या व सूचना अधिकार से जुड़े कागज आदि संवाददाता के पास सुरक्षित है। लेकिन बाँदा नवाब के बाबू साहब तालाब से इतर आज नवाब के दूसरे तालाब नवाब टैंक के विकास की बात होनी है। अच्छा ये है शहर की बाहरी सीमा से लगे नवाब टैंक मे भूमाफियाओं की नजर अभी नही लगी है। इसका बड़ा कारण नवाब टैंक का सुरक्षित सीमांकन, चारों तरह रेलिंगनुमा दीवार व बेहतरीन आर्किटेक्ट है। यह सिंचाई विभाग के केन-कैनाल दफ्तर से जुड़ा हुआ है इसलिए भी अभी कब्जेदारों से बचा है।
पर्यटन विभाग दस करोड़ से नवाब टैंक का विकास करेगा-
बाँदा नवाब के द्वारा बने नवाब टैंक के शायद अच्छे दिन आएंगे। जिला पर्यटन विभाग इस तालाब के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए चयनित दस पर्यटन स्थल के साथ नवाब टैंक का भी विकास करने जा रहा है। गाहेबगाहे इस तालाब मे प्रशासन सफाई अभियान चलाता है। वहीं पितृ विसर्जन,कजली आदि मे यहाँ लोगों की भीड़ रहती है। उल्लेखनीय है स्थानीय एक बीजेपी नेता को नवाब टैंक मे मोटरबोट / स्टीमर जल विहार का ठेका भी विगत वर्ष मिला था। उनके पास इस प्रोजेक्ट का कोई अनुभव नही था लेकिन ज़ोर जुगाड़ से कागज बनते है तो बन गए और नवाब टैंक मे नौकाविहार / स्टीमर मोटर बोट चलने लगी है।
दस करोड़ से नवाब टैंक मे यह काम होंगे-
नवाब टैंक मे पर्यटन विभाग शीघ्रता से सिंचाई विभाग से एनओसी लेकर इसमें दस करोड़ से विकास कार्य कराएगा। जिसमें म्यूजिकल फाउंटेन (संगीत की ताल वाला फव्वारा) लगेगा। करीब 50 फव्वारे लगने है। रंगबिरंगे लाइट,लाइट एंड साउंड शो जिसमें जनता चन्देल कालीन राजाओं की शौर्य गाथा सुन सकेगी।, नवाब टैंक की मरम्मत आदि होगी। दो वाले शहरी आबादी के लिए क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी श्री अनुपम श्रीवास्तव जी मुताबिक प्रदेश सरकार का यह तोहफा विकास मे चारचांद लगा देगा। फिलहाल सिंचाई विभाग से एनओसी पर बात अटकी है लेकिन मिल जाएगी। बतलाते चले कि नवाब टैंक के आसपास सिंचाई विभाग की बड़ी मूल्यवान ज़मीन कई बीघा लगी है। पूर्व मे तत्कालीन डीएम श्री जीएस नवीन कुमार ने सिंचाई विभाग से एनओसी लेकर पीडब्ल्यूडी की मदद से नवाब टैंक के समीप ही एक और तालाब निर्माण कराया था। बोलचाल मे यह नवीन तालाब कहा जाने लगा। समाजवादी सरकार ने बाँदा के अन्य तालाब विकसित करने हेतु जब बजट दिया तो यह भी बनवाया गया लेकिन विभागों की अदूरदर्शिता और सपा सरकार मे बजट की किल्लत ने नवीन तालाब को आज जर्जर कर दिया है। इस पर भी प्रशासन की दयादृष्टि पड़े तो उक्त जल राशि का पुनुरूद्धार हो सकता है। अटल सरोवर से पुनः नवाब टैंक बन जाने और विकास की इस बुनियाद के लिए प्रदेश सरकार को साधुवाद तो बनता ही है। बावजूद इसके नवाब टैंक पर पर्यटन व ऐतिहासिक धरोहर के मद्देनजर दीर्घकालिक निगरानी की आवश्यकता है। नवाब टैंक से लगे उपरोक्त नवीन तालाब का फ़ाइल फ़ोटो नीचे है….