बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी फेडरल कोर्ट से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तानी मूल के तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण से जुड़ी भारत की अर्जी पर विचार करें। तहव्वुर राणा 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले की साजिश का मुख्य आरोपी रहा है। लॉस एंजिल्स में अमेरिकी जिला अदालत के न्यायाधीश जैकलीन चुलजियान 22 अप्रैल को प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई करेंगे।
राणा के वकील ने प्रत्यर्पण का विरोध किया था
यूएस के असिस्टेंट अटॉर्नी जॉन जे लुलजियान ने लॉस एंजिल्स में एक फेडरल अमेरिकी अदालत के समक्ष कहा, भारत के पास मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी राणा के खिलाफ अपने मुकदमे के लिए प्रत्यर्पण संबंधि सभी मानदंड हैं। 4 फरवरी को, राणा के वकील ने उनके प्रत्यर्पण का विरोध भी किया था। लुलजियन ने सोमवार को कोर्ट में अपने 61 पेजों को प्रस्तुत करते हुए कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका सम्मानपूर्वक अनुरोध करता है कि 22 अप्रैल, 2021 के बाद, कोर्ट राणा पर भारत की प्रत्यर्पण अपील को आगे बढ़ाएं।
अमेरिका में गिरफ्तार हुआ था राणा
मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में शामिल तहव्वुर राणा (59) को अमेरिका के लॉस एंजिल्स में गिरफ्तार किया गया था। उसे शिकागो में 14 साल की साज हुई थी, लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने और सेहत खराब होने के आधार पर सजा पूरी होने से पहले ही रिहा कर दिया गया था। भारत ने उसके प्रत्यर्पण की अपील की थी, इसलिए जून 2020 में उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। अमेरिकी कोर्ट के डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक राणा के प्रत्यर्पण का आधार हत्या और हत्या की साजिश में शामिल होने को बनाया गया है। क्योंकि, अमेरिका में एक ही अपराध के लिए दो बार दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
2018 में राणा के खिलाफ भारत ने जारी किया था वारंट
राणा के खिलाफ अगस्त 2018 में भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के स्पेशल कोर्ट ने भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। वकीलों के मुताबिक राणा अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मुंबई हमले की साजिश में शामिल था। पाकिस्तान में 2006 से 2008 के बीच साजिश रची गई थी, राणा ने लश्कर-ए-तैयबा की मदद की थी।
26/11 के आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे
26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमले किए थे। उनमें 166 लोग मारे गए और 300 घायल हुए थे। मरने वालों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी थे। एनकाउंटर में पुलिस ने 9 आतंकवादियों को मार गिराया और अजमल कसाब को गिरफ्तार किया था। 2012 में उसे फांसी दे दी गई।