- बुंदेलखंड के 6 ज़िलों मे पहुंची सोशल आडिट टीम को 8 करोड़ की फ़ाइल दिखलाई नही गई।
- बाँदा मे 2 करोड़ 37 लाख 47 हजार 619 रुपये के कार्य की फ़ाइल नही दिखाई गई। योजना से मिट्टी के कार्यों मे सर्वाधिक भ्रष्टाचार उजागर हुआ।
- सोशल आडिट 2023-24 मे शामिल बुंदेलखंड के 6 जिलों मे क्रमशः 1,29,97,156 करोड़ रुपया वित्तीय अनियमितता सामने आई है।
- बुंदेलखंड मे पिछले सात वर्षों मे मनरेगा की चाल बेहद सुस्त है। ग्रामपंचायत स्तर पर योजना के कार्यो की थमी चाल से युवाओं ने शहरों मे पलायन किया है।
बाँदा / बुंदेलखंड। मनरेगा योजना के वर्ष 2023-22 मे हुए सोशल आडिट मे टीम को ग्रामपंचायत स्तर पर सवा करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के दस्तावेज मिले है। वहीं सोशल आडिट टीम को 8 करोड़ के कागज दिखाए ही नही गए। इसमें बाँदा से 63 लाख की वित्तीय अनियमितता देखने को मिली है। वहीं सोशल आडिट टीम को बाँदा मे 2 करोड़ 37 लाख 47 हजार 619 रुपये के दस्तावेज दिखाए ही नही गए। बड़ी बात है कि यहां 168 ग्रामपंचायत का सोशल आडिट अभी पूर्ण नही हुआ है।
बुंदेलखंड के छः ज़िलों मे हुआ सोशल आडिट-
मनरेगा योजना मे हर साल सोशल आडिट होता है। वर्ष 2023-22 के सोशल आडिट मे शामिल बुंदेलखंड के 6 जनपद क्रमशः बाँदा, महोबा, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, झांसी मे यह सोशल आडिट हुआ। ललितपुर ज़िले के आंकड़े उपलब्ध नही है। केंद्र सरकार की तरफ से 600 करोड़ रुपया वार्षिक बजट जारी होता है। जिससे कच्चे, मिट्टी के विकास कार्य मसलन मेड़बन्दी, तालाब गहरीकरण, तालाब खुदाई,बंधी आदि कार्य होते है। वहीं कुछ पक्के कार्य भी शामिल है लेकिन ग्राम प्रधान व सचिव को मिट्टी के विकास कार्यों मे बचत ज्यादा होती है। फर्जी मस्टररोल भरकर बाहर रह रहे मजदूरों को भी जॉबकार्ड के निमित्त मात्र से काम पर दिखा दिया जाता है। इन कार्यों की गुणवत्ता जांचने को वार्षिक सोशल आडिट होता है। विभागीय आंकड़े बतलाते है कि सोशल आडिट मे सात ज़िलों की कुल 2,213 ग्रामपंचायत है। लेकिन ललितपुर के आंकड़े उल्लेख मे नही है। अब तक 1,6,67 ग्रामपंचायत का सोशल आडिट पूरा हुआ है। चित्रकूट मंडल के बाँदा मे 471 ग्रामपंचायत है लेकिन विकासखंड बबेरू,बड़ोखर, बदौसा, जसपुरा, कमासिन, महुआ, नरैनी की 303 ग्रामपंचायत मे ही मनरेगा सोशल आडिट हुआ है। बाँदा मे 63,50,226 रुपयों का गबन सामने है। वहीं बुंदेलखंड के 6 जनपदों मे 1 करोड़ 29 लाख 97 हजार 156 रुपया वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। इस मामले मे प्रभारी संयुक्त विकास आयुक्त ने कहा कि सोशल आडिट रिपोर्ट की पुनः सक्षम अधिकारी जांच करेंगे। दोषी मिलने पर संबंधित ज़िम्मेदार के ऊपर कार्यवाही / आर्थिक रिकवरी होगी।
बाँदा मे ग्रामपंचायत स्तर पर गांव-गांव मनरेगा योजना के भ्रष्टाचार की भरमार है-
बाँदा मे गांव-गांव इस योजना को ग्राम प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक आदि मिलकर बंदरबांट कर रहें है। मसलन पैलानी क्षेत्र की ग्रामपंचायत सांडी, अलोना, खरेई आदि मे पूर्व व वर्तमान प्रधान द्वारा कराए मिट्टी के कार्य, मनरेगा से बने अमृत सरोवरों, मेड़बंदी को देखा जा सकता है। ग्राम सांडी मे तो 35 साल से एकक्षत्र दिवंगत ग्राम प्रधान पतिराखन निषाद और उनकी धर्मपत्नी प्रधान रही है। वर्तमान मे इनका भतीजा उपचुनाव मे प्रधान बना है। इस गांव मे मनरेगा व अन्य विकास कार्य सरकारी योजनाओं का भ्रस्टाचार शीर्ष पर है। सूचना संसार के पास पूर्व मृतक प्रधान के द्वारा कागजी विकास कार्यों का पूरा दस्तावेज है। लेकिन कार्यवाही के नाम पर बेपरवाह पंचायतीराज अधिकारीयों के उदासीन बर्ताव से गांव मे कोई बंदा आगे नही आता है।
एक-दो बार शिकायत हुई भी तो कार्यवाही नही हो सकी। वह प्रार्थना पत्र भी आज तक सुरक्षित है। मनरेगा योजना केंद्र सरकार की भोजन के अधिकार व काम के अधिकार पर बनी पारदर्शी नेक योजना थी। इसका मकसद गांव मे रोजगार देकर किसानों, मौसमी मजदूरों के गांव से पलायन पर रोक लगाना भी था। बावजूद इसके हम सफल नही हो सके। देखना होगा कि इस सोशल आडिट से सामने आई वित्तीय अनियमितता पर क्या कार्यवाही होती है।