लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में घमासान मचा है। पार्टी पर कब्जे की जंग में इसके संस्थापक रहे राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) को चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने हाशिए पर ला खड़ा किया है। इस बीच कल तक खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narenfra Modi) का हनुमान (Hanuman) बताते रहे चिराग पासवान का अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) से मोह भंग हो चुका है। ऐसे में सवाल यह है कि विपक्षी एकता (Opposition Unity) को मजबूत करने की मुहिम में जुटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के विरोधी लालू परिवार (Lalu Family) ने चिराग के पक्ष में अभी तक कोई बयान क्यों नहीं दिया?
चुनाव में चिराग के कारण तेजस्वी को मिली थी मदद
जहां तक चिराग पासवान की बात है, उनके कारण बीते विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में आरजेडी को लाभ मिला। चिराग ने जेडीयू के खिलाफ उपने उम्मीदवार उतार कर उसके वोट काटे, जिस कारण बीजेपी के साथ आरजेडी की सीटें भी बढ़ीं। उन्होंने तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र में राकेश रौशन को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाकर बीजेपी के सतीश कुमार का भी वोट काटा, जिससे तेजस्वी की जीत का रास्ता आसान हो गया। लेकिन आज चिराग के मुसीबत में पड़ने पर लालू व तेजस्वी चुप हैं।
लालू परिवार नहीं चाहता कोई और बने सीएम फेस
ऐसा क्यों, इसे समझने के लिए राजनीति की नई पीढ़ी व विरासत की राजनीति पर ध्यान देना होगा। माना जा रहा है कि लालू परिवार नहीं चाहता कि महागठबंधन (Grand Alliance) में तेजस्वी के समाने मुख्यमंत्री पद का कोई अन्य दावेदार (CM Face) पैदा हो जाए। चिराग पासवान की राष्ट्रीय छवि तेजस्वी की सूबाई छवि को ढ़क न ले, यह आशंका है। ऐसी आशंका इसलिए भी कि पहले भी एक बार रामविलास पासवान ने भी बेटे चिराग पासवान को लेकर कहा था कि उनमें बिहार का मुख्यमंत्री बनने की क्षमता है।
शिवानंद ने दिया बयान, पर मायने रखती लालू की चुप्पी
ऐसा नहीं है कि आरजेडी में चिराग को अपने पाले में देखने की इच्छा रखने वालों की कमी है। आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने चिराग पासवान को महागठबंधन (Mahagathbandhan) से जुड़ने का न्योता जरूर दिया है। आरजेडी के भाइ वीरेंद्र (Bhai Birendra) ने भी ऐसा ही बयान दिया है। लेकिन आरजेडी में लालू प्रसाद यादव व उनके परिवार की चुप्पी मायने रखती है।
चुनावी सभाएं नहीं कर सके थे कन्हैया कुमार
महागठबंधन के इतिहास पर गौर करें तो इसमें जिस नेता में भी तेजस्वी के मुख्यमंत्री प्रत्याशी की छवि को खतरा लगा, वह किनारे लगा दिया गया। बीते बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी का वाम दलों से गठबंधन था। वाम दलो को महत्व दिया गया, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के बड़ वाम नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) की तूफानी चुनावी सभाएं नहीं हुईं। इसके पीछे आरजेडी का दबाव माना गया। बाद में पार्टी फोरम पर कन्हैया ने इसके लिए नाराजगी भी जताई।
चिराग को अपने पाले में करने को ले लालू व तेजस्वी मौन
लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) तथा उनके बेटे व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) बात-बात पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरते रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगियों के खिलाफ वे विपक्षी एकता के समर्थक रहे हैं। इन दिनों जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) व मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) से बातचीत कर एनडीए में सेंध लगा सरकार गिराने की उनकी मंशा के खूब चर्चे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोध में झंडा उठाकर घूमते रहे चिराग पासवान को अपने पाले में करने पर लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव मौन हैं।