जल बर्बादी का वीडियो नीचे एक्स ट्वीट लिंक पर है-
https://x.com/AshishsagarD/status/1914540975227068718?s=09
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- शहर के वार्ड 16 झील का पुरवा / देवनगर मे मुख्य पाइपलाइन से दर्जनों फर्जी कनेक्शन है।
- राजपूत बिरादरी संख्या बाहुल्य मुहल्ले मे सीधे मुख्य पाइपलाइन से सटर लगाकर रातदिन शुद्ध जला बहाते लोग, जल संस्थान चुप।
- देवनगर मे निर्माण धीन घरों / नए आवासीय प्लाट मे भी चोरी से कनेक्शन जोड़कर बन रहें है मकान।
- मुहल्ले के कुछ शरारती, शराबी आदमी रुपया लेकर जेई / अभियंता / मुहल्ले के सर्वेयर को सांटते है तब यह खेल होता है।
- रिहायशी घरों मे नही नम्बर एक कनेक्शन, खुलेआम सड़क पर बहता रहता हजारों लीटर शुद्ध पानी।
- झील का पुरवा का नाला छिछला है और गर्मी मे सूख जाता लेकिन चोरी के कनेक्शन दिनभर पानी बहाते जिससे नाला मुहल्ले की मुसीबत है।
- गर्मी मे 40 दडिग्री सेल्सियस तापमान वाले बाँदा नगरपालिका / जल संस्थान का स्याह सच। क्या जल-साक्षरता मिशन यहां नही चलना चाहिए ?
बाँदा। शहर के वार्ड 16 झील का पुरवा ( देवनगर ) मे कनवारा से आने वाली मुख्य पाइपलाइन से मुहल्ले वासियों ने चोरी से पेयजल कनेक्शन जोड़ रखें है। अधिकांश घरों मे सीधे मेन पेयजलापूर्ति वाली पाइपलाइन पर नम्बर दो का कनेक्शन जल संस्थान के सर्वेयर / अभियंता को सांठगांठ करके किया जाता है। उल्लेखनीय है देवनगर मे कृषि भूमि पर आवासीय प्लाटिंग पर बन रहे नए घरों तक बिना निर्माण हुए चोरी के कनेक्शन मकान बनाने को किये गए है। इन चोरी की पाइपलाइन से दिनभर शुद्ध जल बहता रहता है।
बतलाते चले कि राजपूत बिरादरी के इस झील का पुरवा मे वाटर लेबल भी काफी ऊपर है। एक दशक पूर्व यहां मौजूद तालाब / झील को भूमाफिया बेचकर हजम कर लिए। वहीं दस रुपया के स्टाम्प पत्र पर झील मे आवास बन चुके है। आज पुराना कुआं सूखा है और झील / तालाब खत्म है।
कहीं पीने को पानी नही और कहीं अंधेरगर्दी मची है-
शहर बाँदा के बड़ा डाकखाने मार्ग, कांशीराम कालोनी, तुलसी नगर मे पेयजल की समस्या है। वहीं केन नदी खनन से दम तोड़ रही है। शहर के 11 तालाब बेदम है और सरकारी धन खर्च का जरिया है। वहीं पुलिस लाइन, आईआईटी मार्ग होते हुए झील का पुरवा / देवनगर तक मुख्य पाइपलाइन से चोरी के कनेक्शन किये गए है। बिना टोंटी ये मुहल्ले वासी दिनभर शुद्ध जल व्यर्थ बहाते है। जाहिर है जल संस्थान का क्षेत्रीय सर्वेयर और झील का पुरवा अभियंता जानबूझकर यह जल संसाधन की बर्बादी कराते है। वहीं नगरपालिका वार्ड सभासद ज्ञानू तो जैसे सत्तारूढ़ रामराज्य मे आत्ममुग्ध है। उन्हें बहुमूल्य पानी के स्रोतों की फिक्र वैसे नही है जैसे इस क्षेत्र से गुजरने वाले नम्बर दो की मौरम ढोते ई-रिक्शा बालू चोरों को केन नदी की चिंता नही है। कनवारा बाईपास, बोधी पुरवा मार्ग, भूरागढ़ सड़क तक तरकारी की तर्ज पर बिक रही बालू 2018 से बालू चोरों की मौज किये है। बिना रवन्ना, कमा रहे भन्ना। वहीं झील का पुरवा मे मेन पाइपलाइन से चोरी वाले कनेक्शन बाँदा की शहरी आबादी मे भविष्य की जल त्रासदी का बड़ा मूल कारण बनेंगे। क्या प्रशासन ने कभी नगरपालिका व जल संस्थान के माध्यम से यहां या कहीं और पेयजल संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान संचालित किए है ? मेज पर बैठकर गाल बजाना औऱ जल संरक्षण की बातें करना व धरातल पर दिखना दोनों अलग कर्मकांड है। अलबत्ता इस पानी की बर्बादी को रोकना चाहिए।