लखनऊ । बारिश की बाट जोहते-जोहते किसानों की आंखें पथरा गईं और सावन आया भी तो रूठा-अनमना सा। सामान्य वर्षा के सापेक्ष मात्र 40 प्रतिशत हुई बरसात ने उत्तर प्रदेश में सूखे जैसे हालात (Drought like situation in Uttar Pradesh) पैदा कर दिए हैं। इतनी बारिश धान की रोपाई (Paddy Planting) के लिए भी पर्याप्त नहीं है। पिछले वर्ष की तुलना में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई नहीं हो सकी है। खेत में पड़ चुकी सूखी दरारें और किसान के माथे की लकीर हालात बयां कर रही है। उत्तर प्रदेश में मानसून के दस्तक देने का आधिकारिक समय 15 जून के आसपास तय है। देर से ही सही जून माह में 95 मिलीमीटर के सापेक्ष 43.2 मिलीमीटर वर्षा हुई तो प्रगतिशील किसानों ने रोपाई शुरू कर दी और सामान्य किसानों ने बेहन डाली। खरीफ के मौसम में अन्य फसलों की बोवाई भी शुरू हुई।
प्रदेश में 27 जुलाई तक क्षेत्रवार वर्षा
- क्षेत्र – सामान्य – वास्तविक – प्रतिशत
- पश्चिम – 206.3 – 103.4 – 50.1
- मध्य – 239.8 – 91.5 – 38.2
- बुंदेलखंड – 247.1 – 143.6 – 58.1
- पूर्वी – 281.4 – 105.5 – 37.5
पिछले वर्षों में हुई वर्षा
- वर्ष – कुल वर्षा – वर्षा का प्रतिशत
- 2018-19 – 742.2 – 89.4
- 2019-20 – 703.5 – 84.8
- 2020-21 – 640.2 – 77.2
- 2021-22 – 726 – 87.5
अब तक बोवाई
- फसल का नाम – बोवाई/रोपाई का प्रतिशत
- धान – 69.74
- मक्का – 65.57
- ज्वार – 45.42
- बाजरा – 52.14
- अन्य मोटे अनाज – 90.55
- उर्द – 59.52
- मूंग – 54.92
- अरहर – 54.38
- मूंगफली – 77.51
- सोयाबीन – 89.11
- तिल – 61.56
सूखे का हो रहा आकलन :
उत्तर प्रदेश में 50 प्रतिशत से कम वर्षा होने पर केंद्र व राज्य सरकार सूखे का आकलन कर रही है। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों इस पर चिंता भी जताई। निदेशक फसल बीमा व सांख्यिकी राजेश गुप्ता का कहना है कि वर्षा कम जरूर हुई है लेकिन, आगे अच्छी बरसात होने का अनुमान है। यूपी में 89 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र है इसलिए सूखे की स्थिति अभी नहीं है।
खेतों में दरारें देख किसान परेशान :
जुलाई के पहले पखवारे में मानसून ऐसा रूठा कि धूल उड़ने लगी। खेतों में दरारें देख किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं। मानसून सक्रिय होने के सारे पूर्वानुमान ध्वस्त हुए। किसान धान की नर्सरी सूखने व रोपाई पिछड़ने से परेशान हुए। नहरों और माइनरों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं आने से धान की नर्सरी सूखने के कगार पर पहुंच गई।
उम्मीदों के अनुसार बरस नहीं :
इधर, 21 जुलाई से आसमान में मानसून सक्रिय है, लेकिन वह उम्मीदों के अनुसार बरस नहीं रहा। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 27 जुलाई तक 2020-21 में सामान्य वर्षा का 95.8 व 2021-22 में 81.7 प्रतिशत वर्षा हुई थी, जबकि इस बार महज 44 प्रतिशत वर्षा हुई है। जून-जुलाई में 339.6 के सापेक्ष 149.3 मिलीमीटर ही वर्षा हुई है।
वर्षा के नाम पर सिर्फ फुहारें :
ये हाल तब है जब 21 जुलाई को 74, 22 को 58, 23 को 64, 24 को 52, 25 को 41, 26 को 67 और 27 जुलाई को 60 जिलों में वर्षा हुई है। यानी अधिकांश जिलों में वर्षा के नाम पर सिर्फ फुहारें पड़ती रहीं हैं। वर्षा के मामले में सबसे आगे बुंदेलखंड, जबकि दूसरे पर पश्चिमी प्रदेश, तीसरे स्थान पर मध्य व सबसे पीछे पूर्वी उत्तर प्रदेश है।