दिवंगत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने किया था 'सत्याग्रह' आज करते तो राष्ट्रद्रोह भी लग सकता था… | Soochana Sansar

दिवंगत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने किया था ‘सत्याग्रह’ आज करते तो राष्ट्रद्रोह भी लग सकता था…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा

“यूपीए की केंद्र सरकार मे 30 अप्रैल 2011 को बुंदेलखंड की चटियल धरती बाँदा मे जनसभा करने आये पूर्व प्रधानमंत्री एवं अर्थशास्त्री डाक्टर मनमोहन सिंह कभी सवालों से डरे नही। उन्होंने जन-आंदोलन कर्मियों को अपनी केंद्र की सरकार मे दमनकारी नीतियों से कुचला नही था। लोकतांत्रिक देश मे एक निर्वाचित सरकार की जनता के प्रति क्या जवाबदेही होती है यह इल्म और हुनर उन्हें आत्मसात था। मुख्यधारा की पत्रकारिता से जुड़े कुछ पत्रकारों और तत्कालीन दिवंगत प्रधानमंत्री जी के सुरक्षा अधिकारी रहे पूर्व आईपीएस असीम अरुण / विधानसभा सदस्य यूपी जी ने भी डाक्टर मनमोहन सिंह की सहजता, जन सरोकार के लिए चिंता और पूर्व पीएम के अंतस मे अपने काफिले मे उस वक्त शामिल एसपीजी की बीएमडब्ल्यू के सापेक्ष अपनी निजी मारुति कार के लिए ठीक वैसा आत्मीय लगाव जैसा एक आम आदमी का अपने ‘पुराने स्कूटर’ के लिए होता है। इन स्मरणों को स्मृति पटल से सोशल मीडिया मे उकेरा है।”

विधानसभा सदस्य असीम अरुण से अभिनव पांडेय के संवाद का एक्स लिंक नीचे है…

https://x.com/Abhinav_Pan/status/1872924026903118190?t=j3KTUixcZDamy0FrFNs7bw&s=19


बाँदा। बुंदेलखंड के बाँदा की तारीख 30 अप्रैल 2011 एक ऐतिहासिक दिन था। इस दिन बाँदा का जीआईसी मैदान लोगों के जन सैलाब से खचाखच भरा था। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह का उस दौर मे मंच पर स्वागत / इस्तकबाल सदर विधायक कुअंर विवेक सिंह ने किया था। बुंदेलखंड तब लगातार पांच साल के सूखे से हलकान था। किसानों की आत्महत्या,कर्जखोरी और पलायन की खबरों ने देशी और विदेशी मीडिया को बुंदेलखंड के चक्कर लगाने को मजबूर कर दिया था।

इसी दौर मे बाँदा का ‘चुहलाबंदी आंदोलन’, महोबा के चरखारी मे दो लड़कियों का ‘दादरे की आखत’, पृथक बुंदेलखंड राज्य को लेकर राजा बुंदेला का जन सहभागी अभियान, भीषण जल संकट और किशोरी लाल साहू से अच्छेलाल निषाद तक की खुदकुशी ने बुंदेलखंड को भूखे के नक्शे का केंद्रबिंदु बना दिया था।


पूर्व प्रधानमंत्री ने की थी विशेष बुंदेलखंड पैकेज देने की घोषणा-

बाँदा आगमन पर सदर विधायक विवेक सिंह ( उस वक्त के तेजतर्रार जनप्रतिनिधि ) ने चित्रकूट मंडल समेत बुंदेलखंड के सातों जनपद की पीड़ा बतलाते हुए डाक्टर मनमोहन सिंह के बुजुर्ग हाथों मे गेहूं की सूखी फसल और बालियां रख दी थी। इस कदम ने जीआईसी मैदान की भीड़ को अनायास हतप्रभ कर दिया था। चारों तरफ सन्नाटे को चीरती तालियों ने डाक्टर मनमोहन सिंह को करुणा से भरा तो उन्होंने बिना लाग-लपेट तत्काल सूखे से सिसकते बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत पर मरहम रखतें हुए 7200 करोड़ का विशेष बुंदेलखंड पैकेज देने की घोषणा कर दी थी। बतलाते चले कि कांग्रेस वर्ष 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव की सियासी रैली कर रही थी। देश-विदेश के मीडिया ने सदर विधायक विवेक सिंह और पीएम डाक्टर मनमोहन सिंह की सूखे गेहूं की बालियों वाली तस्वीर को हाथोंहाथ लिया। यहीं से सुखाड़ और उजाड़ की मिट्टी पर विशेष बुंदेलखंड पैकेज की बुनियाद का खाका खींच दिया गया। दिवंगत पीएम ने लोगों को संवेदनशील उद्बोधन से मर्माहत करते हुए जीआईसी मैदान के सामने ‘सत्याग्रह उपवास’ कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित, अमित भटनागर, सुरेश रैकवार और उनकी टीम की जन अपील को भी बड़ी संजीदगी से सुना। साथ ही उनके द्वारा जारी श्वेत पत्र व मांगों पर विचार करके ‘केन-बेतवा नदी गठजोड़’ परियोजना के पर्यावरण परिप्रेक्ष्य मे दूरगामी प्रभावों को ध्यान मे रखकर इस प्रोजेक्ट की डीपीआर का अध्ययन एवं इनवायरमेंट मिनिस्ट्री से एनओसी के मद्देनजर तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण एवं जल संसाधन मंत्री जयराम रमेश को इस परियोजना के धरातलीय अनुश्रवण / पन्ना टाइगर रिजर्व पर पड़ने वाले जैव-विविधकीय आंकलन की कमान भी सौंप दी थी। तभी डाक्टर मनमोहन सिंह की केंद सरकार मे इस सिंचाई परियोजना को पर्यावरण एनओसी पर्यावरण मंत्रालय से नही मिली थी। बाद की दिल्ली सरकार ने जो किया उसका परिदृश्य बीते 25 दिसंबर 2024 को देशभर ने देखा है जब एक तरफ केन बेतवा नदी लिंक परियोजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिलान्यास कर रहे थे तो दूसरी तरफ सुदूर पन्ना टाइगर के जंगलों मे प्रस्तावित बांध स्थल पर आदिवासियों ने चिताओं पर लेटकर आंदोलन किया था।

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया बुंदेलखंड पैकेज-


यूपीए केंद्र सरकार मे जारी विशेष बुंदेलखंड पैकेज के 7200 करोड़ रुपये का भारीभरकम बजट उस दरम्यान भी कागजी बकरी खरीद, कागजों मे मरी बकरियों, लाखों का फर्जी पौधरोपण, कूपवेल योजना, लघु सिंचाई औऱ भूमि संरक्षण विभाग के मार्फ़त बनी बन्धिया, चेकडैम, वनविभाग के द्वारा बाँदा के फतेहगंज क्षेत्र मे बने 55 ड्राई चेकडैम, मानिकपुर-पाठा, झांसी, ललितपुर के औने-पौने गड्ढे जैसे खुदे कुओं से ठिकाने लग गया। इसमें झांसी के तत्कालीन ग्राम्य विकास राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य ने बेहद लचर निगरानी की जिसका खामियाजा जनता ने भुगता। वहीं बुंदेलखंड पैकेज और मनरेगा घोटाला आज तक सीबीआई जांच से बन्द फ़ाइलों के बाहर उजागर नही हो सका। यह अलग बात है मीडिया रिपोर्ट ने इस पैकेज की हीलाहवाली मे केंद्रीय अफसर श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया समेत अन्य अफसरों को कटघरे मे खड़ा कर दिया था। आज भी बीजेपी केन्द्र सरकार मे बुंदेलखंड विशेष पैकेज से बजट आ ही रहा है पर ग्राउंड विश्लेषण एवं जांच करता कौन है।

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