@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
- बुंदेलखंड के बाँदा मे बीते नवम्बर माह एक गैरसरकारी संस्था द्वारा वर्ष 2020 के बाद आत्महत्या के आंकड़ों मे बढोत्तरी हुई है। संस्था सर्वे मुताबिक बांदा में 1 साल में 192 किसानों ने की आत्महत्या जिसमें 75 महिलाएं शामिल है।
- बेटी की शादी मे लिया कर्ज न उतार पाने के चलते बसहरी गांव के किसान छोटेलाल ने आत्महत्या की है।
- किसान पर 60 हजार रुपया कर्जा था। आठ बेटियां है इनमें 4 का ब्याह हो चुका है।
बाँदा। ज़िले के मटौंध थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम बसहरी के 45 वर्षीय किसान छोटेलाल ने बेटी की शादी मे लिया कर्ज न उतार पाने से आहत होकर आत्महत्या कर ली है। खबर मुताबिक परिजन अस्पताल लेकर आये जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक किसान को बड़े भाई नत्थू ने देखा तो परिवार मे कोहराम मच गया। मृतक के भाई मुताबिक किसान पर साहूकारों का करीब 3 लाख रुपया बकाया था। किसान दो बीघा जमीन पर खेती करता था। कुछ खेती बटाई भी लेता था। घटना के समय किसान की पत्नी मझली खाना बना रही थी। थाना अध्यक्ष मटौंध संदीप सिंह अनुसार प्रथम दृष्ट्या ये आत्महत्या है। बाकी जांच की जा रही है।
समाजवादी पार्टी ने किया सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट –
https://x.com/samajwadiparty/status/1865230345047511429?t=2GLUEwKxwnlFuRj1AtrP3w&s=09
बाँदा मे विगत एक वर्ष मे 192 आत्महत्या हुई जिसमे 75 महिला है-
एक संस्था के सर्वेक्षण मुताबिक उन्होंने नवंबर माह मे दिल्ली के स्वतंत्र पत्रकार भारत डोगरा के साथ संवाद किया तो बाँदा मे किसान आत्महत्या के आंकड़े दिए गए। संस्था ने मीडिया को बतलाया कि 2020 के बाद आत्महत्या मे वृध्दि हुई है। पिछले एक साल मे 192 आत्महत्या हुई जिसमें 75 महिला है। उल्लेखनीय है विकास की दौड़ मे युवाओं, किशोरावस्था के लड़कों और किसान के साथ महिलाओं मे अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या का चलन बढ़ रहा है। यह मनोसामाजिक समस्या बनता जा रहा है। खाद्य सामग्रियों मे बढ़ते दाम, दैनिक दिनचर्या में खर्चे, खेती मे घाटा, युवाओं की बेरोजगारी और परिवार के कलह आत्महत्या के मूल कारण है।
बुंदेलखंड मे एक दशक के दरम्यान करीब 5 हजार किसान आत्महत्या हुई है-
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो / एनसीआरबी 2014 के पूर्व हर साल देशभर मे आत्महत्या के आंकड़े जारी करता था। अब वह प्रक्रिया शिथिल है। इसके सरकारी कारण है, सरकार की बदनामी न हो इसलिए किसानों की आत्महत्या से जुड़ी खबरों, आंकड़ों, आंदोलन पर पैनी नजर रहती है। जुलाई 2006 से 2014 के मध्य बुंदेलखंड मे किसान आत्महत्या की खबरे, किसान क्रेडिट कार्ड बने मौत के परवाने यह चर्चा अखबारों की सुर्खियों मे था। वहीं अब किसान आत्महत्या हासिये का मुद्दा है। एक दशक मे 5 हजार से ज्यादा किसान बुंदेलखंड से कर्जखोरी व अलग कारणों मे खुदकुशी किये है। मध्यप्रदेश मे भी यह आंकड़ा कमतर नही है।