महराजगंज। असमय पति का साया सिर से उठने के बाद भी अड्डा बाजार की इसरावती देवी ने हिम्मत नहीं हारी। खेतों में काम किया। फावड़ा चलाया लेकिन बच्चों को पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी। खुद के बच्चे को अफसर बनाया, वहीं मोहल्ले व गांव के आधा दर्जन बच्चों प्रेरित अथवा मदद कर अच्छे पदों तक पहुंचाया। आज अड्डा बाजार ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों में इसरावती देवी महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई हैं।वर्ष 2003 में पति जगनरायन की मौत के बाद इसरावती देवी के कंधों पर तीन बेटों व दो बेटियों की जिम्मेदारी आ गई। खुद ज्यादा पढ़ा-लिखा न होने के बाद भी हाड़तोड़ मेहनत कर उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया।
बेटा कृष्ण नारायण शर्मा 2009 में प्राइमरी स्कूल में शिक्षक बना, लेकिन इसरावती अपने इस बेटे को अफसर बनाना चाहती थीं। उनकी मेहनत रंग लाई और 2018 पीसीएस की परीक्षा में सफल होकर कृष्ण नारायण कॉमर्शिलय टैक्स अफसर बन गए। अपने बाकी बच्चों के साथ ही इसरावती मोहल्ले के आधा दर्जन होनहार बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित करती रहीं। यथासंभव मदद भी। इसका असर रहा कि बृहस्पति कुमार चौबे का चयन टीजीटी-2010 झारखण्ड, डॉ. गोरखनाथ पटेल का चयन वर्ष 2012 पीसीएस, परमेश्वर गुप्ता, अखिलेश कान्दू का चयन पीजीटी झारखण्ड-2016, अमित उपाध्याय का चयन पीसीएस 2017 में हुआ। आज दर्जनों सफल युवा इसरावती देवी को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं।