SUPREME COURT :राजनीति में दखल कैसे दे सकते हैं गवर्नर..? सरकार गठन पर राज्यपाल का सलाह देना गलत

मुंबई (आरएनएस)। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की ओर से सरकार बनाए जाने को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन गवर्नर के रोल पर सवाल उठाया है। अदालत ने भगत सिंह कोश्यारी को लेकर कहा कि आखिर गवर्नर कैसे राजनीति में दखल दे सकते हैं। वह कैसे राजनीतिक गठबंधन और सरकार गठन को लेकर टिप्पणी कर सकते हैं। अदालत ने यह रिएक्शन गवर्नर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जवाब पर दिया। मेहता ने कहा था, ‘आप वोटर के पास एक व्यक्ति के तौर पर ही नहीं जाते बल्कि साझी विचारधारा के नाम पर पहुंचते हैं। मतदाता विचारधारा के नाम पर वोट करते हैं, जिसे पार्टियां प्रोजेक्ट करती हैं।

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बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक तुषार मेहता ने कहा कि हमने हॉर्स ट्रेडिंग शब्द सुना है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने विपरीत विचारधारा वाले लोगों के साथ मिलकर सरकार बना ली, जो शिवसेना और भाजप के गठबंधन के खिलाफ मैदान में थे। हालांकि इस टिप्पणी को अदालत ने गवर्नर की राजनीतिक सक्रियता के तौर पर लिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘आखिर गवर्नर ऐसे मामलों में क्यों बोलता है। वह सरकार के गठन पर कैसे बात कर सकता है। हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि एक राज्यपाल को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।

फिलहाल अदालत में इस बात पर सुनवाई हो रही है कि शिवसेना से बगावत करके भाजपा संग सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना चाहिए या नहीं। इसके अलावा इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि दोनों में से किस गुट को शिवसेना का तीर-धनुष का सिंबल दिया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह पूरा मसला इसलिए भी खड़ा हुआ क्योंकि उद्धव ठाकरे ने विश्वास मत का सामना ही नहीं किया। और पढ़ें:-चीनी गुब्बारे को लेकर रिपब्लिकन सांसदों ने बाइडन की कार्रवाई | LATEST NEWS गौरतलब है कि अदालत में इस बात पर भी सुनवाई चल रही है कि क्या डिप्टी स्पीकर की ओर से सदस्यों को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है या नहीं। फिलहाल संवैधानिक बेंच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

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