एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण को लेकर अलग अलग सुर, सीडीएस जनरल रावत के रुख से वायुसेना प्रमुख असहमत

 एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण को लेकर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के विचारों से एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया पूरी तरह सहमत नहीं हैं। हालांकि इस मुद्दे पर भारतीय वायु सेना ने मीडिया की बहस में शामिल होने से इन्कार कर दिया है, लेकिन इसके वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने स्पष्ट किया कि वायुसेना थिएटर कमांड के निर्माण के समर्थन में है, लेकिन इसे सही तरीके से किया जाना चाहिए।

भदौरिया ने सीडीएस की उस टिप्पणी से भी असहमति जताई जिसमें भारतीय वायुसेना की तुलना सेना के लड़ाकू सहायक हथियारों जैसे इंजीनियर्स और आर्टिलरी से की गई थी। उन्होंने किसी भी संयुक्त सैन्य अभियान में वायु शक्ति की भूमिका को भी अहम बताया।

उल्लेखनीय है चीफ आफ डिफेंस स्टाफ चार थिएटर कमांड बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इनमें से तीन का नेतृत्व सेना के अधिकारी और एक का नेतृत्व नौसेना का अधिकारी करेगा। सभी थिएटर कमांडर उन प्रस्तावों के अनुसार सीडीएस को रिपोर्ट करेंगे जिन्हें अभी रक्षा मंत्री और सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाना है।

सेना और वायुसेना के बीच ये मतभेद ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म काउंसिल द्वारा शुक्रवार को आयोजित एक सेमिनार के दौरान सामने आए। जहां सीडीएस रावत ने कहा कि वायु सेना को जमीनी बलों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।

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उन्होंने कहा यह मत भूलिए वायु सेना, सशस्त्र बल के लिए एक सहायक शाखा बनी हुई है जिस तरह तोपखाने और इंजीनियर सेना की मदद करते हैं। उनके पास एक हवाई रक्षा चार्टर और अभियान के समय जमीनी बलों का समर्थन करने के लिए चार्टर होता है।

वायु सेना को इस मूल चार्टर को समझने की आवश्यकता पर बल देते हुए वरिष्ठतम सैन्य अधिकारी ने कहा कि नए प्रस्तावों के तहत, वायु सेना के पास एक केंद्रीकृत वायु रक्षा कमान होगी और लड़ाकू विमान जैसी संपत्ति को भूमि आधारित दो थिएटर कमांड में विभाजित किया जाएगा।

जनरल रावत ने कहा कि पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर दो कमानों में वायु रक्षा सलाहकार नियुक्त किए जाएंगे जो हवाई हमलों के संचालन पर थिएटर कमांडर को सलाह देंगे।

सीडीएस के बाद एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने थिएटर कमांड पर आंतरिक विचार-विमर्श के विवरण पर चर्चा करने से इन्कार करते हुए कहा कि मतभेदों सार्वजनिक रूप से चर्चा जरूरी नहीं है। इन्हें आंतरिक रूप से हल करने की आवश्यकता है।

हालांकि, भदौरिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि वायु सेना केवल एक सहायक शाखा नहीं है। हवाई अभियान की योजना बनाने में कई अलग-अलग पहलू शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम इन कमांड को स्थापित करने के पक्ष में हैं, लेकिन हमें इस काम को ठीक तरह से करना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण सुधार है। हमें व्यापक राष्ट्रीय शक्ति के अगले स्तर तक पहुंचने के लिए ज्यादा बंदिशें लगाने की जगह अधिक लचीलेपन का रुख अपनाना होगा।

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वायु सेना प्रमुख ने कहा कि तीनों सेनाओं में से हर एक के अपने सिद्धांत और अनुभव हैं। एक समन्वित परिणाम के लिए इन्हें एक साथ लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह मात्र सहायक भूमिका में नहीं है। वायु-शक्ति की अहम भूमिका होती है। किसी भी एकीकृत युद्ध में हवाई अभियान में बहुत सी चीजें देखी जाती हैं। इन बातों पर गौर करने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है पिछले महीने रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया गया था। इन लोगों ने सैन्य मामलों के विभाग द्वारा कमांड के प्रस्तावित ढांचे पर कई सवाल उठाए थे। सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) ने तब तीन उप प्रमुखों और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों सहित एक समिति बनाई। इन्होंने पहली बैठक में फिर से लिखित रूप में अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। मंत्रालय द्वारा उठाई गई चिंताओं का अभी तक विस्तार से जवाब नहीं दिया गया है।

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