बांगरमऊ उपचुनाव: चुनावी जंग में महिला प्रत्याशियों का कभी नहीं चमका भाग्य

उन्नाव। जहां एक ओर चुनाव में महिला सशक्तीकरण के लिए कई तरह की बातें की जाती हैं वहीं महिलाओं के प्रति बांगरमऊ का चुनावी भाग्य कुछ ऐसा है कि यहां से अब तक एक भी महिला प्रत्याशी विधानसभा में नहीं पहुंच सकी है। बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए 14 चुनावों में पांच बार महिलाएं मैदान में उतर चुकी हैं, लेकिन कभी भी जीत हासिल नहीं कर सकीं। हालांकि कांग्रेस से इस बार उपचुनाव में पूर्व गृहमंत्री गोपीनाथ दीक्षित की बेटी आरती बाजपेई को मैदान में एक बार फिर उतार कर महिलाओं को अपने पाले में लाने की कोशिश की है।

जाने कब-कब महिलाओं पर जताया गया भरोसा

  • 1980 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं के चुनावी मैदान में उतरने की शुरुआत हुई। उस समय जय देवी वर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरी थीं। तब कांग्रेस के दिग्गज नेता गोपीनाथ दीक्षित और राघवेंद्र सिंह भी मैदान में थे। जय देवी को मात्र 428 वोट ही मिल सके और उन्हें 10वें नंबर पर संतोष करना पड़ा।1989 में फिर जय देवी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप से चुनावी मैदान में उतरीं। फिर उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। 305 वोट पाकर वह नौवेेंं स्थान पर रहीं।
  • वर्ष 1993 के चुनाव में अपूर्णा ङ्क्षसह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाने मैदान में उतरीं। उन्हें भी जनता ने स्वीकार नहीं किया। परिणामस्वरूप 387 वोट पाकर 12वें स्थान पर रहीं।
  • 2012 में आशारानी ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उन्हें 1244 वोट मिले थे और वह 8वें स्थान पर रही थीं।
  •  2007 में कांग्रेस के टिकट पर आरती बाजपेई बांगरमऊ से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। इस चुनाव में उन्हेंं 13375 वोट मिले थे। वह चौथे स्थान पर रही थीं।
  • 2012 के चुनाव से ठीक पहले पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। इस पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 17098 वोट हासिल किए। हालांकि इस बार उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर से आरती बाजपेई पर ही भरोसा जताया है।
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