सुप्रीम कोर्ट ने दिए केंद्र और राज्यों को सुझाव,क्या देश में फिर लगेगा संपूर्ण लॉकडाउन ? | Lockdown In India ?

देश में कोरोना वायरस पर काबू में करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर विचार करने की बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि हम गंभीर रूप से केंद्र और राज्य सरकारों से सामूहिक समारोहों और सुपर स्प्रेडर घटनाओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का आग्रह करेंगे। वे जन कल्याण के हित में वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने पर भी विचार कर सकते हैं। कोर्ट के मुताबिक, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर लॉकडाउन का असर पड़ सकता है, उनके लिए खास इंतज़ाम किए जाएं। इन समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से ही व्यवस्था की जानी चाहिए। 

राज्यों के साथ मिलकर आक्सीजन का बफर स्टाक तैयार करे

साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आपात स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर आक्सीजन का बफर स्टाक तैयार करे और इस आपात स्टाक को अलग अलग जगह रखा जाए। कोर्ट ने केंद्र को चार दिन के भीतर यह बफर स्टाक तैयार करने का निर्देश दिया है और कहा है कि इस बफर स्टाक में रोजाना आक्सीजन की उपलब्धता का स्तर बनाए रखा जाए। कोर्ट ने साफ किया है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया गया आक्सीजन का यह बफर स्टाक राज्यों को आवंटित आक्सीजन के कोटे से अलग होगा। 

Coronavirus Lockdown Highlights: India records 1,076 COVID-19 cases in 24  hours, death toll rises to 377

पिछले 24 घंटे में 3 लाख 68 हजार से ज्यादा मामले, 34 सौ से अधिक लोगों की मौत 

ज्ञात हो कि एक बार फिर से देश में कोरोना वायरस के मामलों में इजाफा हुआ है। पिछले 24 घंटे में साढ़े तीन लाख से ज्यादा मामले देश में दर्ज किए गए हैं और करीब तीन हजार से अधिक लोगों की जान गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में भारत में 3,68,147 नए मामले दर्ज किए गए हैं और 3,417 लोगों की जान गई है। राहत की यह खबर है कि इस जानलेवा वायरस से मरीज ठीक भी हो रहे हैं। बीते 24 घंटे में 3,00,732 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं। 

मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में दो सप्ताह में राष्ट्रीय नीति बनाने को कहा

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में दो सप्ताह के भीतर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे। सभी राज्य सरकारें उस नीति का पालन करेंगी। कोर्ट ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार इस बारे में राष्ट्रीय नीति बनाती है, तब तक किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में किसी भी मरीज को स्थानीय निवास या पहचान पत्र के अभाव में अस्पताल में भर्ती करने या जरूरी दवाएं देने से मना नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार किए गए उपायों और प्रोटोकाल की समीक्षा करे। इसमें आक्सीजन की उपलब्धता, वैक्सीन की उपलब्धता और कीमत, जरूरी दवाओं की वहन योग्य कीमत भी शामिल है। कोर्ट ने आदेश में उठाए गए अन्य मुद्दों पर भी केंद्र से अगली सुनवाई तक जवाब मांगा है।

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *