विश्व के प्रतिष्ठित संस्थान ‘राष्ट्रीय स्नो एंव आइस डाटा सेंटर, नासा’ में प्रोफ. भरत राज सिंह, वरिष्ठ पर्यावरणविद व महानिदेशक, स्कूल आफ मैनेजमेन्ट साइंसेस, (संबद्ध- एकेटीयू विश्वविद्यालय ) लखनऊ की जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज-2013) की पुस्तक, जो क्रोशिया से प्रकाशित हुई थी, के दो – अध्यायो को विश्व के अनुसंधानकर्ताओ के अग्रिम शोध में उपयोग के लिये जोडा गया है ।
यहां यह भी अवगत कराना है कि यह वही पुस्तक है जिसका अध्याय-3 का अंश सयुक्त राज्य अमेरिका में 9-12 के ग्रेड के छात्रो के पाठ्यक्रम- 2014 में सामिल किया गया है तथा लिम्का बुक रिकार्ड -2015 में प्रकाशित कर डा. सिह को सम्मानित किया गया । अब उसी पुस्तक के अध्याय–9 और 10 को ‘नेशनल स्नो एंव आइस डाटा सेंटर, नासा’ में सम्म्लित करना प्रोफ. भरत राज सिंह के साथ-साथ अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय तथा स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेस, कालेज के लिये एक बडे सम्मान की बात है ।
अभी चार-पाच दिन पूर्व भी डा0 भरत राज सिह, की अन्य पुस्तक ग्लोबल वार्मिंग –काजेज, इम्पैक्ट एंड रेमेडीज, जो क्रोशिया में अप्रैल 2015 में प्रकाशित हुयी थी, मे उल्लखित पाइन-आइसबर्ग का पहाड़ जो 10-12 जुलाई 2017 में तीन-साल पहले अंटार्कटिका (दक्षिणी-ध्रुव) टूटा था, उसका एक बडा भाग 23 अप्रैल 2020 को पुनः अलग हो गया है । इस आइसबर्ग की लम्बाई 19 किलोमीटर है और आकार करीब 175 वर्ग किलोमीटर है।
इसे देखने से ऐसा लगता है कि यह दक्षिणी अमेरिका के नीचे की तरफ – दक्षिणी जॉर्जिया और दक्षिणी सैंचविच आइलैंड – के खुले समुद्र में गर्म क्षेत्र की तरफ बढ़ रहा है | इसके पिघलने के उपरांत समुद्र के पानी की सतह लगभग 3.2 मीटर (10-11फीट) बढ जायेगी और विश्व के कई निचले हिस्से डूब जायेगे और विना पिघला हुआ हिस्सा जो 2000-2700 वर्ग किलोमीटर का होगा, उसके टक्कर व समुद्री तूफानो से भारी नुकसान होने से नकारा नही जा सकता है।