नई शिक्षा नीति 2020 पर PM मोदी बोले – अब तो काम की असली शुरुआत हुई है…

नई दिल्ली. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षकों को संबोधित करे रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा है कि ‘पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया. हर व्यवस्था बदल गई. इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो. लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी.’

पीएम मोदी ने कहा कि अब तो काम की असली शुरुआत हुई है. अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है. और ये काम हम सब मिलकर करेंगे. नई शिक्षा नीति नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है. इसके पीछे पिछले 4-5 वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है. लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रधानाचार्य और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं. कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के शिक्षकों से उनके सुझाव मांगे थे. एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं. ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे.
पीएम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ऐलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं. ये शिक्षा नीति क्या है? ये कैसे अलग है? इससे स्कूल और कॉलेजों में क्या बदलाव आएगा? हम सभी इस कार्यक्रम में इकट्ठा हुए हैं ताकि चर्चा कर सकें और आगे का रास्ता बना सकें. मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत foundational literacy and numeracy के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि बच्चों में मैथेमेटिकल थिंकिंग और सांटिफिक टेंपरामेंट विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है. और मैथेमेटिकल थिंकिंग का मतलब केवल यही नहीं है कि बच्चे मैथेमैटिक्स के प्रॉब्लम ही सॉल्व करें, बल्कि ये सोचने का एक तरीका है. जब शिक्षा को आस-पास के परिवेश से जोड़ दिया जाता है तो, उसका प्रभाव विद्यार्थी के पूरे जीवन पर पड़ता है, पूरे समाज पर भी पड़ता है. बता दें कि शिक्षा मंत्रालय ‘शिक्षा पर्व के एक हिस्से के रूप में 10 और 11 सितंबर को इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. आज इसका आखिरी दिन है.

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