दीमक की तरह जननी सुरक्षा योजना को चट करते अधिकारी, लाख रुपया वेतन पर बेशर्म है भ्रस्टाचारी… | Soochana Sansar

दीमक की तरह जननी सुरक्षा योजना को चट करते अधिकारी, लाख रुपया वेतन पर बेशर्म है भ्रस्टाचारी…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • जननी सुरक्षा योजना में प्रशासनिक व्यय के नाम पर घोटाले का हो रहा है बड़ा खेल,सीएमओ का बाबुओं संग मेल।
  • सरकारी योजनाओं पर बट्‌टा लगा रही सीएमओ के चहेते लिपिकों की मनमानी,चहेते ठेकेदार पा रहे चिकित्सा विभाग की मेहमानी।

बांदा। उत्तरप्रदेश के बाँदा मे जहां सूबे के मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ व स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक जी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर व दुरस्त करने के लिए तत्पर है। वहीं वे इसका लाभ सभी को पहुंचाने का प्रयास कर रहे है। उधर इनके मातहत स्थानीय चिकित्सा अधिकारी हर स्तर पर चिकित्सा विभाग को बर्बाद करने पर उतारू है। चिकित्सा अधिकारी और विभागीय लिपिक मिलकर सरकारी धन का बंटरबांट कर रहे है। यह विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर बट्‌टा लगाने का काम कर रहे है। उदाहरण के लिए एक मामला जननी सुरक्षा योजना से जुड़ा है। जहां योजना मे प्रशासनिक व्यय के नाम पर हो रही घपलेबाजी सामने उजागर हुई है। बाँदा अधिवक्ता देवेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री समेत विभागीय मंत्री को शिकायती पत्र भेजकर बताया है कि सरकार द्वारा संचालित जननी सुरक्षा योजना में प्रशासनिक व्यय के नाम पर भारी घपलेबाजी की जा रही है। उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा है कि प्रशासनिक व्यय के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से अनुमोदित 19 लाख 85 हजार छह सौ रुपए के सापेक्ष लगभग डेढ़ गुना धनराशि 27 लाख 60 हजार 464 रुपए का खर्च दिखाया गया है।

उक्त अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के चहेते चिकित्साधीक्षक मनमाने ढंग से जननी सुरक्षा योजना की धनराशि का अपव्यय कर रहे है। साथ ही अपनी जेबें भरने का काम कर रहे हैं। काबिलेगौर है कि अधिवक्ता ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर स्थानांतरण नीति का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सीएमओ के चहेते लिपिकों को मनमाना प्रभार सौंपा गया है। यह उन्हीं के माध्यम से भ्रष्टाचार का खेल खेल कर रहें है। उन्होंने टीकाकरण भंडारण मे भी करीब दस करोड़ के घोटाले की बात कही है। बतलाते चलें कि
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.बिजेंद्र सिंह ने आरोपों को निराधार बताया। जैसा यह विभाग अमूमन करता है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक व्यय अकेले जननी सुरक्षा योजना के धन से नहीं बल्कि पूल के माध्यम से किया जाता है। जिसमें सीएचसी, पीएचसी आदि मे होने वाले सभी प्रकार के प्रशासनिक व्यय सम्मिलित होते हैं। उन्होंने बताया कि जिस खर्च को लेकर आरोप लगाया गया है, उसका ऑडिट भी कराया जा चुका है। ऐसे मे सवाल यह कि क्या अधिवक्ता के आरोप झूठे है या फिर पिछली जांचों की आंच से बचते तत्कालीन सीएमओ की राह पर मौजूदा सीएमओ भी भ्रष्टाचार के खिलाड़ी बनते दिख रहें है।

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *