भारत के संविधान में संसदीय शासन व्यवस्था को स्वीकार किया है। इसमें राष्ट्रपति कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है। अनुच्छेद बावन के अनुसार कार्यपालिका शक्तियां उसी में निहित रहती है। संविधान के अनुच्छेद उन्यासी के अनुसार वह संसद का एक अंग होता है। संसद के द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून के रूप में स्थापित होता है। वह लोकसभा को भंग कर सकता है। संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण इस व्यवस्था का महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है। वह प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करता है, जो सभी नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों को शपथ ग्रहण कराता है। नए अधिवेशन की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है। संसदीय प्रणाली की संवैधानिक शब्दावली में राष्ट्रपति की ही नवनियुक्त सरकार होती है। इसीलिए वह अपने भाषण में सरकार के क्रियाकलापों का उल्लेख करते है। नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है। इसलिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछली सरकार ने महत्वपूर्ण कार्यों को चर्चा की, इसी के साथ भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
जाहिर है कि राष्ट्रपति का अभिभाषण पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। सरकार की भावी योजनाएं चर्चा में आती है, जबकि विपक्ष को सरकार की आलोचना का अवसर मिलता है। क्योंकि सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विस्तृत चर्चा होती है। इसके बाद ही अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। इसका पारित होना सरकार की प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है।
संसदीय व्यवस्था का आदर्श नियम यह है कि राष्ट्रपति और प्रदेश विधानमंडल में राज्यपाल के अभिभाषण को शालीनता और गंभीरता के साथ सुना जाए। उनके अभिभाषण से असहमत होने का सभी को अधिकार है, लेकिन इस असहमति की अभिव्यक्ति धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान होनी चाहिए। संविधान निर्माता यही चाहते थे। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में अभिभाषण के दौरान अनेक विपक्षी विधायकों ने राज्यपाल राम नाईक पर लगातार कागज के गोले फेंके, सीटी बजाई गई, यह सब संविधान की भावना के प्रतिकूल है। जो सदस्य अभिभाषण को धैर्य से सुन नहीं सकता, वह सही ढंग से उंसकी आलोचना भी नहीं कर सकता। अभी तक संसद में अपेक्षाकृत गंभीरता रही है। लेकिन इस बार राष्ट्रपति कर अभिभाषण के करीब आधे समय तक राहुल गांधी अपने मोबाइल में लगे रहे। ऐसे में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से अभिभाषण की सम्यक आलोचना की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। वही हुआ, राहुल संसद से बाहर निकले तो अपने पुराने शब्दों को ही दोहरा सके। कहा कि मेरा मानना है कि राफेल सौदे में चोरी हुई है। मतलब ढाँक के वही तीन पात।
यह अजीब था कि राष्ट्रीय गौरव के उल्लेख पर भी राहुल गांधी ने मेज थपथपाने की जहमत नहीं उठाई। वह तो अभिभाषण समाप्त होने के बाद तत्काल बाहर जा रहे थे, उन्हें राष्ट्रपति के शिष्टाचार हेतु कुछ पल के लिए रोका गया।
राष्ट्रपति ने आधे सदस्यों के पहली बार निर्वाचन, अठत्तर महिलाओं के लोकसभा पहुंचने का उल्लेख किया। इसमें तो कोई राजनीति नहीं थी। राष्ट्रपति ने इसमें कुछ भी गलत नहीं कहा था कि पांच वर्ष पहले देश में निराशा का माहौल था। वह कालखंड लोगों को आज भी याद है। यूपीए सरकार बड़े घोटालों के आरोप में घिरी थी। निवेश मिलना बंद हो गया था। नरेंद्र मोदी के सरकार ने इस स्थिति को बदला। सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर काम किया। यह गरीबों के लिए समर्पित सरकार थी, जिसे लोगों ने दुबारा जनादेश दिया। इस अवधि में गरीबों के कल्याण हेतु अनेक अभूतपूर्व योजनाएं लागू की गई। न्यू इंडिया अभियान की नींव रखी गई। दूसरी बार पदभार ग्रहण करने के तत्काल बाद नेशनल डिफेंस फंड से सैनिकों के बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि बढ़ा दी गई है। इसमें पहली बार राज्य पुलिस के जवानों के बेटे बेटियों को भी शामिल किया गया है।
नए ‘जलशक्ति मंत्रालय’ का गठन हुआ। इस नए मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। कृषि क्षेत्र की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए पच्चीस लाख करोड़ रुपए का और निवेश किया जाएगा।
आज भारत मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। नीली क्रांति के क्षेत्र में देश को नम्बर वन बनाया जाएगा।
इसलिए मछली पालन के समग्र विकास के लिए एक अलग विभाग गठित किया गया है।
पिछले कार्यकाल में सरकार ने पचास करोड़ ग़रीबों को आयुष्मान योजना से स्वास्थ्य योजना का लाभ दिया था। यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ योजना है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत, स्वरोजगार के लिए करीब उन्नीस करोड़ लोगों को ऋण दिए गए हैं। इस योजना का विस्तार करते हुए अब तीस करोड़ लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। उद्यमियों के लिए बिना गारंटी पचास लाख रुपए तक के ऋण की योजना भी लाई जाएगी।सामान्य वर्ग के ग़रीब युवाओं के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। सामाजिक क्षेत्र में भी बड़े बदलाव हुए। एक बार में तीन तलाक से मुक्ति दिलाई गई। जाहिर है कि राष्ट्रपति ने तथ्यों के आधार पर ही अपनी बात रखी है।