प्रियंका गांधी वाड्रा ने की यूपी में गंगा में तैरते शवों की न्यायिक जांच की मांग | Latest News Update

इसी कड़ी में कांग्रेस नेता और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी में गंगा नदी में तैर रहे शवों की न्यायिक जांच की मांग की है। जो हुआ वह अमानवीय और अपराधिक है। बिहार के बक्सर जिले के चौसा में महादेवा घाट और श्मशान घाट के बीच गंगा तट पर 71 शव बहते हुए मिले थे। मंगलवार को इन सभी शवों को पोस्टमार्टम को दफना दिया गया था।

Congress leader Priyanka Gandhi demands probe into bodies floating in Ganga  river in UP

वाराणसी और गाजीपुर में गंगा में उतराते मिले 12 शव

गंगा में शवों के मिलने का क्रम जारी है। मोक्ष नगरी वाराणसी के उपनगर रामनगर के अंतर्गत सूजाबाद गांव के समीप गंगा में गुरुवार को छह शव मिले। उधर, गाजीपुर के जमानियां गंगा घाट पर भी इतने ही शव बहते मिले। शव मिलने से आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया है।

पिछले दो दिनों से गंगा में शवों के मिलने का सिलसिला जारी है। शव कहां से आ रहे, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि  गंगा में तैरती हुई अस्थियां महज एक आंकड़ा नहीं हैं, वे किसी के पिता, माता, भाई और बहन हैं। जो कुछ हुआ है वह आपको आपके अंदर तक हिला देता है। इसकी उसी सरकार से जवाबदेही होनी चाहिए जो बुरी तरह से विफल कर चुकी है।

गंगा किनारे दफन शवों का लगा अंबार, बिखरे पड़े कफन

उन्नाव जिले में गंगा के तकरीबन हर तट पर रेती में दफन शवों का अंबार लगा है। बक्सर हो या रौतापुर, परियर हो या बंदीमाता माता घाट हर जगह जिधर नजर डालिए, उधर रेत में शव दफनाकर समाधि बनाई गई दिखती है। जगह-जगह कफन बिखरे पड़े हैं। ये हालात कोरोना महामारी की भयावहता बयां करने के लिए काफी हैं। वहीं, पहले से अंतिम संस्कार के लिए तय घाटों पर भी चिताएं ही चिताएं लगी हुई हैं। खास बात ये है कि शवों को दफनाने में की गई जल्दबाजी से मानवीय संवेदनाएं तार-तार की जा रहीं हैं।

तीन-चार फीट गहरे गड्ढों में दफन शव आसपास के आवारा कुत्ते नोच रहे हैं। जिले में वैसे तो घोषित रूप से गंगाघाट शुक्लागंज, बक्सर, जाजमऊ, नानामऊ व परियर घाटों में अंतिम संस्कार किए जाते हैं। इसमें शुक्लागंज का पक्का घाट ही ठीक ढंग से बना है। बाकी घाट कच्चे हैं। कोरोना संक्रमण के बीच इन घाटों के साथ ही रौतापुर में तो 500 शव दफन होने की बात सामने आई है। कच्चे घाटों पर लगातार शव दफनाए जा रहे हैं। कोरोना से मौतों का बढ़े ग्राफ की गवाही यहां के हालात दे रहे हैं।

महामारी में गंगा और सहायक नदियों में शव मिलना गंभीर : प्रो. तारे

आइआइटी कानपुर में पर्यावरण विभाग के प्रो. विनोद तारे ने कहा कि जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तब गंगा और उसकी सहायक नदियों में शवों का मिलना बेहद गंभीर बात है। उन्होंने कहा, वैसे तो कोरोना वायरस के पानी में मिलने को लेकर फिलहाल अभी तक कोई शोध सामने नहीं आया है, फिर भी इन शवों को लेकर सभी तरह के एहतियात बरते जाने चाहिए।

ये शव कहां से आए, इसकी भी जानकारी करें। उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से गंगा में शव प्रवाहित होकर सामने आते रहे। जब सरकार ने प्रदूषण रोकने संबंधी सख्त कदम उठाए तो स्थिति काफी हद तक सुधरी भी। कहा, शव प्रवाहित होंगे तो इससे पानी जरूर दूषित होगा। आसपास रहने वालों की सेहत को भी खतरा हो सकता है।

फिर शवों की पहचान को डीएनए जांच के लिए नमूने सुरक्षित रख लिए गए थे। हालांकि, शवों के गलने से कोरोना संक्रमण का पता नहीं लग सका था। फिर भी बुधवार को जिला प्रशासन द्वारा गंगा नदी में लगाए गए जाल में उत्तर प्रदेश की तरफ से बहकर आए कुल पांच शव फंसे मिले। इनमें दो शव मंगलवार को जाल में फंसे थे। इससे पहले सोमवार को यूपी के हमीरपुर में यमुना नदी में सात शव उतराते मिले थे।

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