केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा, अगले साल नौसेना में शामिल हो जाएगा पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत | Latest News Update

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत अगले साल नौसेना में शामिल हो जाएगा। इसके शामिल होने से देश की रक्षा क्षमताओं में जबर्दस्त बढ़ोतरी होगी और वह दिन दूर नहीं जब भारतीय नौसेना दुनिया की शीर्ष तीन शक्तिशाली नौसेनाओं में शुमार होगी।

India's first Indigenous Aircraft Carrier will be commissioned next year:  Rajnath Singh | India News – India TV

रक्षा मंत्री ने इससे पहले गुरुवार को कारवार में सीबर्ड प्रोजेक्ट की समीक्षा की थी। उन्होंने कहा कि भविष्य में यह भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा होगा और हिंद महासागर व अन्य क्षेत्रों में नौसेना के अभियानों में सहायता के लिए सुविधाएं और बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराएगा। राजनाथ ने कहा कि सरकार नौसेना को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और ये दोनों परियोजनाएं सरकार की दृढ़ता का उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, ‘आधुनिकीकरण की गति और देश के उद्योगों की क्षमता व तकनीक का इस्तेमाल हमारी प्राथमिकता है। 44 युद्धपोतों के आर्डर में से भारतीय शिपया‌र्ड्स में बन रहे 42 युद्धपोत इसको प्रमाणित करते हैं।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वदेशी विमान वाहक पोत के निर्माण में इस्तेमाल डिजायन से लेकर स्टील तक और हथियारों से लेकर सेंसरों तक करीब 75 फीसद सामग्री स्वदेशी है।

11 साल से हो रहा निर्माण, चीन ने तीन साल में बनाया

समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, इस पोत को आइएनएस विक्रांत नाम दिया गया है। इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था और 11 साल बाद भी यह पूरा नहीं हुआ है। जबकि चीन ने अपने पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत का निर्माण तीन साल में पूरा कर लिया था और 2018 में उसे अपनी नौसेना में शामिल कर लिया।

नौसेना की तीसरे पोत की मांग का हो रहा विरोध

‘आइएएनएस’ के मुताबिक, भारत के पास वर्तमान में सिर्फ एक विमान वाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य है और आइएनएस विक्रांत का निर्माण जारी है। बताते हैं कि नौसेना तीसरे पोत की मांग भी कर रही है, लेकिन सरकार और सैन्य योजनाकारों की ओर से उसे विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

गलवन संघर्ष के दौरान दे दिए थे इरादों के स्पष्ट संकेत

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हमेशा तैयार है। गलवन संघर्ष के दौरान नौसेना की अग्रिम मोर्चो पर तैनाती ने हमारे इरादों के संकेत दे दिए थे कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार हैं। ‘आइएएनएस’ के मुताबिक, भारत-चीन तनाव के मद्देनजर भारतीय नौसेना की अग्रिम मोर्चे पर तैनाती के बारे में यह पहला आधिकारिक बयान है।

कोचीन बंदरगाह के एर्नाकुलम जेटी पर विमान वाहक पोत के निर्माण की प्रगति की समीक्षा करने के बाद मीडिया को जारी बयान में राजनाथ ने इसे देश का गौरव और आत्मनिर्भर भारत का बेहतरीन उदाहरण करार दिया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को राजग सरकार ने मंजूरी प्रदान की थी और कोरोना महामारी के बावजूद इसने अच्छी प्रगति की है। अगले साल इसका नौसेना में शामिल होना देश की आजादी के 75वें साल पर उचित श्रद्धांजलि होगी।

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *