@आशीष सागर दीक्षित / आशीष कुमार, बाँदा
“बुंदेलखंड के बाँदा मे हाल ही मे शुरू हुई पैलानी क्षेत्र के ग्राम सांडी की बालू-मौरम खदान खंड 77 पर बीते 26 दिसंबर सुबह से स्थानीय पत्रकारों की गिद्ध नजर पड़ गई थी। दिनभर की खबरिया चिल्लपो के बीच शाम तक प्रशासन की टीम ने आखिर छापा मार ही दिया। लेकिन चतुर, चपल, चंचल बंसल के हुनरमंदों ने खदान पट्टेधारक हिमांशु मीणा / मल्होत्रा ग्रुप के इशारे पर आधा दर्जन पोकलैंड मशीन नदी से लगे खेतों मे दौड़ा दी। छापेमारी की इस हलचल मे फिलहाल चेतावनी देकर अधिकारी वापस लौट आये।”
बाँदा। पैलानी क्षेत्र के ग्राम सांडी मे इस सीजन 2024 के अंतिम माह मे खण्ड 77 मौरम खदान के संचालन का आगाज हो गया है। खदान पट्टेधारक जयपुर निवासी हिमांशु मीणा है। वहीं खदान फर्म ‘न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स’ का पता मध्यप्रदेश का छतरपुर सूचना बोर्ड पर अंकित है। पैलानी क्षेत्र के मौरम मास्टर बंसल, अवैध खनन विशेषज्ञ जावेद, लाइजनर सेंगर ने पूरी कमान संभाल ली है। बड़ी प्रतिबंधित पोकलैंड केन के कछार फिर पट्टे की जद और बेखौफ नदी जलधारा पर उतरने को व्याकुल है। बीते 26 दिसंबर ही सुबह से बाँदा पत्रकारों की पैनी गिद्ध नजर और खदानों पर बाज सी झपट्टा मारने की कला ने खण्ड 77 से जुड़ी खबरों को ब्रेकिंग बनाना शुरू कर दिया था। इस दिनभर की ग़दर का फलसफा शाम तक यह हुआ कि ज़िले के आला अफसरों का निर्देश क्षेत्र के अधिकारियों एवं खनिज विभाग को मिला कि मौके पर जाकर जांच की जाए। अलबत्ता एडीएम न्यायिक अमिताभ जी, एसडीएम सदर इरफान उल्ला जी, नायब तहसीलदार पैलानी डाक्टर मुस्तकीम जी, खनिज इंस्पेक्टर गौरव गुप्ता, खान अधिकारी अर्जुन सिंह, हल्के का लेखपाल सुनील कुमार टीम बनाकर सांडी खदान खंड 77 पहुंच गए। लेकिन खदान संचालक की चपलता और अवैध मौरम खनन की तेज नेटवर्किंग ने उन्हें इसकी सूचना दे दी। जानकारी मिलते ही केन की जलधारा पर गरजती और नदी की अस्मिता उधेड़ती आधा दर्जन से ज्यादा प्रतिबंधित अर्थ मूविंग पोकलैंड किसानों के खेतों की तरफ मुड़ गई। खबर की तस्वीर पर आप कुछ मशीनों को नदी क्षेत्र के किनारे खड़ा देख भी सकते है।
गौरतलब है कि खनिज इंस्पेक्टर गौरव गुप्ता, खनिज अधिकारी अर्जुन सिंह के आशीर्वाद से अन्य संचालित मौरम खदानों की तर्ज पर सांडी के खंड 77 को भी कृपा युक्त अभयदान दिया गया है। अधिकारियों ने पट्टेधारक को अवैध खनन रोकने के दिशानिर्देश दिये और गांव के किसानों की शिकायत का फौरी निरीक्षण किया फिर अल्टीमेटम देकर वापस चले आये। स्थानीय ग्रामीणों मे शामिल सांडी रहवासी किसान पार्वती, छोटेलाल और अमित बतलाते है कि खंड 77 मे सूर्यास्त के बाद भी दिनरात मौरम निकासी जलधारा से हो रही है। भारी पोकलैंड पहली बार संचालित इस खदान का ‘लाल मौरम माल’ 3 मीटर से ज्यादा गहराई जहां तक बालू मिले निकाल रही है। किसानों की तरी से नदी की छाती तक पोकलैंड और बंसल, जावेद, पट्टेधारक के दमदार नेटवर्क इलाके के छुटभैये साथ है। किसान सुरतिया कहती है ‘आवैं वाली गर्मी मा सरकार केर नल पानी दई या गारंटी निहाय, कम से कम मरत जात नदिया तौ जुलुमदारन से बच जाए’ !!!
कमोबेश बीते कल ही बेंदा घाट का डरावना वीडियो फतेहपुर के जागरण से जुड़े पत्रकार ने भेजकर यह बता दिया है कि प्रधानमंत्री जी की ‘केन बेतवा लिंक’ परियोजना पूर्ण होने तक यह केन मुर्दानशीं हो जाएगी। फिर 44 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट पर केन के रक्तबीजों से बाँदा की जनता को क्या सरकार सिंचाई और पेयजलापूर्ति कर पायेगी ? यह अहम सवाल सांडी खण्ड 77, मरौली खंड 2 और 5, बरियारी खदान, गंछा खदान, पथरी खदान, मड़ौली खदान और बबेरू क्षेत्र के मर्का खदान मे शामिल राजनीतिक सफेदपोशों से पूछा जाना चाहिए जिन्होंने केन को अवैध खनन का सबसे बड़ा गढ़ बना रखा है।
क्या है खनन के मानक-
यूपी उप खनिज परिहार नियमावली के सैतालिसवें संशोधन की उपधारा 41 ज, खनिज लीज डीड, एनजीटी के न्यायिक दिशानिर्देश कहते है कि नदी क्षेत्र मे अर्थ मूविंग मशीनों मसलन पोकलैंड, जेसीबी, लिफ्टर ( जलचर को खत्म करने वाली भारी मशीन ) से खनन नही किया जाएगा। खनन 3 मीटर तक होगा। वहीं सूर्यास्त के बाद खनन वर्जित है। जबकि सबसे बड़ा खेल रात मे शुरू होता है जब लाल मौरम कारोबार का काला खेल केन मे “तांडव” करता है।