खपटिन्हा कलां मे शुद्धतम इंटर-प्राइजेज का भौकाल, मौरम खनन मे डीएम के निर्देश पर सवाल… | Soochana Sansar

खपटिन्हा कलां मे शुद्धतम इंटर-प्राइजेज का भौकाल, मौरम खनन मे डीएम के निर्देश पर सवाल…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • गत 29 मार्च को जिलाधिकारी ने स्वयं इस मौरम खदान का निरीक्षण किया था।
  • मौके पर ओवरलोड परिवहन और टेम्पर्ड नम्बरो से युक्त लाल बालू भरी गाड़ियां पकड़ी थी।
  • डीएम श्रीमती जे.रीभा ने चौकी प्रभारी को बुलाकर ओवरलोड ट्रक सीज करने का आदेश दिया था। वहीं खनिज अधिकारी नोटिस जारी करने का आदेश था।
  • डीएम साहिबा की जांच मे स्वीकृत लीज अनुज्ञा क्षेत्र से 2875.50 घन मीटर मौरम का अवैध खनन मिला था।
  • जांच मे 5 वाहन मे वास्तविक स्वरूप से छेड़छाड़ करके माल ज्यादा भरने हेतु बाडी बढ़ाने / टेम्पर्ड नम्बर प्लेट मिली थी।
  • खबर की तस्वीर 17 अप्रैल 2025 को इस खदान से ग्रामीण ने ली है। नदी की जलधारा पर अवैध खनन देख लीजिए और खनिज अधिकारी से डीएम के निर्देश पर नोटिस गोल करने का कारण पूछिएगा।

बाँदा। उत्तरप्रदेश का बाँदा लाल मौरम उत्खनन को कुख्यात है। उससे भी ज्यादा यहां केन नदी मे लीज होल्डर सारे नियम ताक पर रखकर अवैध खनन करतें है। इस खबर मे बाँदा के पैलानी तहसील के ग्राम खपटिन्हा कलां मे चल रही खदान की बात कर रहें है। गौरतलब है कि यह मौरम खंड गाजियाबाद / नोयडा रहवासी मनोज मिश्रा पुत्र सतीश मिश्रा, बी 145 सेक्टर 51 गौतमबुद्धनगर के नाम है। फर्म का नाम शुद्धतम इंटर प्राइजेज है। इस खबर मे प्रयोग की जा रही तस्वीर बीते 17 अप्रैल की है। स्थानीय ग्रामीण किसान ने यह मोबाइल से ली है। कहते है फ़ोटो एक हजार शब्दों की कहानी कह देती है। खदान संचालक मनोज मिश्रा बेपरवाह होकर डीएम श्रीमती जे.रीभा के 29 मार्च को दिए निर्देश को मौरम खण्ड मे दफना चुके है। सीधे पोकलैंड केन नदी की छाती पर उत्खनन कर रही है। क्या इनसे खनिज अधिकारी बाँदा राज रंजन की सांठगांठ है ? या लोकल मीडिया को बांटने वाली रेवड़ी ने अंदर का खौफ रफूचक्कर कर दिया है। वैसे एसडीएम साहब कौन सा कार्यवाही कर रहें है। वो तो डीएम साहिबा तेज न होती तो केन नदी मौरम खण्ड संचालकों के घरों तक पहुंचा दी जाती।

जिलाधिकारी ने 29 मार्च को इस खंड मे जांच की थी लेकिन हुआ कुछ नही-


बाँदा जिलाधिकारी श्रीमती जे.रीभा ने गत 29 मार्च को जांच करके खनिज अधिकारी से नोटिस जारी करने को आदेश दिया था। वो आज तक सार्वजनिक नही हुआ ठीक वैसे जैसे खण्ड 77 ग्राम सांडी का दबाए रखें है। क्या यह संगठित अवैध खनन का कारोबार है जो जिलाधिकारी जी को भरम मे रखकर ब्यूरोक्रेसी संचालन कराती है ?
डीएम साहिबा ने स्वीकृत पट्टे से 2875.50 घन मीटर ज्यादा क्षेत्र मे अवैध खनन पाया था। 5 वाहन ओवरलोड / टेम्पर्ड नम्बर प्लेट के पकड़े थे। उन्होंने झाड़ लगाते हुए दुबारा यह न करने की हिदायत दी थी। अलबत्ता खनिज अधिकारी सब निर्देश अप्रैल की तपिश मे रुआफ़ज़ा के साथ जैसे घोलकर पी गए हो। यदि कार्यवाही होती तो खदान संचालक मनोज मिश्रा को अर्थदंड या खदान सीज पर बदहजमी ज़रूर होती। लेकिन जब व्यवस्था भ्रष्टाचार की जुगलबंदी मे होती है तब जल संरक्षण / नदी संरक्षण / जल बचाओ-जीवन बचाओ जैसे जुमले ज्यादा राजस्व निकासी व अवैध खनन के सिंडिकेट पर धराशायी हो जाते है।

एमएम 11 व एमएम प्रपत्र 1 के नियम की अनदेखी-


बाँदा की ज्यादातर खदानों मे एमएम 11(रॉयल्टी प्रपत्र) व एमएम 1 प्रपत्र ( माइनिंग प्लान ) की अनदेखी होती है। बाँदा खनिज विभाग मिनरल्स कनशेषन नियम 1960 की धारा 22-ए के तहत एमएम 1 प्रपत्र दिए बिना ही खनिज का उत्खनन कराता है। ऐसा बालू-मौरम ढोते ई-रिक्शा, मोटरसाइकिल माफिया करते है। वहीं मौरम खण्ड वाले एमएम 1 प्रपत्र माइनिंग प्लान / ले-आउट को बौना साबित करके रातदिन प्रतिबंध के बाबजूद पोकलैंड से खनन कर रहें है। यह हर सीजन मे खुलेआम होता है। वहीं पर्यावरण एनओसी जल/वायु के निर्देश मुर्दा है। एनजीटी को खनिज अधिकारी एक हलफनामा से भ्रमित करने का हुनर रखते है। साहब जुर्माना होता है , कार्यवाही होती है खबरें झूठी है , सरकार को राजस्व भी चाहिए। वहीं जल संरक्षण को विकास पुरुष / सरकारी जल योद्धा प्रयत्नशील है। क्या बे-लगाम ठेकेदार मनोज मिश्रा पर कार्यवाही मुनासिब होगी खनिज अधिकारी बाँदा ?

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *